"नगरी (चित्तौड़गढ़)": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
पुरा विशेषज्ञों के अनुसार नगरी का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है। इसे पूर्व में 'मध्यमिका' के नाम से जाना जाता था। बरसों पूर्व हुए उत्खनन कार्य के दौरान ईसा के पहले की सभ्यता, खासतौर पर बौद्धकालीन व हिंदू संस्कृति के अवशेष, सैकड़ों, हजारों साल पुराने मिटटी के बर्तन, सिक्के, I have a look at the moment , मूर्तियां मिल चुकी हैं। यहां स्थित [[प्रकाश स्तम्भ]] के बारे में कहा जाता है कि [[सफेद पत्थर|सफेद पत्थरों]] से बने 16वीं शताब्दी में [[अकबर]] द्वारा [[चित्तौड़]] पर आक्रमण के दौरान अपनी सेना के पड़ाव के दौरान रात्रि में प्रकाश व्यवस्था करने के लिए इसका निर्माण किया गया। इस स्तंभ का एक हिस्सा नदी किनारे में भी होने की जानकारी मिली है।
 
==इन्हें भी देखें==