"गुरु अमर दास": अवतरणों में अंतर

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गुरू साहिब ने अपने किसी भी पुत्रा को सिख गुरू बनने के लिए योग्य नहीं समझा, इसलिए उन्होंने अपने दामाद गुरू रामदास साहिब को गुरुपद प्रदान किया। यह एक प्रयोग धर्मी निर्णय था। बीबी भानी जी एवं [[गुरू रामदास]] साहिब में सिख सिद्धान्तों को समझने एवं सेवा की सच्ची श्रद्धा थी और वो इसके पूर्णतः काबिल थे। यह प्रथा यह बताती है कि गुरूपद किसी को भी दिया जा सकता है। गुरू अमरदास साहिब को देहांत ९५ वर्ष की आयु में भादों सुदी १४ (पहला आसु) सम्वत १६३१ (सितम्बर १, १५७४) को गुरू रामदास साहिब जी को गुरूपद सौंपने के पश्चात गाईन्दवाल साहिब, जो कि अमृतसर के निकट है, में हुआ था।
 
== बाहरी सूत्र कड़ियाँ==
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* [https://spiritualworld.co.in/ten-gurus-of-sikhism/3-shri-guru-amar-das-ji/shri-guru-amar-das-ji-jeevan-parichay-an-introduction श्री गुरु अमर दास जी - जीवन परिचय]
* [https://spiritualworld.co.in/ten-gurus-of-sikhism/3-shri-guru-amar-das-ji/shri-guru-amar-das-ji-guru-gaddi-milna श्री गुरु अमर दास जी - गुरु गद्दी मिलना]
* [https://spiritualworld.co.in/ten-gurus-of-sikhism/3-shri-guru-amar-das-ji/shri-guru-amar-das-ji-jyoti-jyot-samana श्री गुरु अमर दास जी - ज्योति ज्योत समाना]
* [https://spiritualworld.co.in/ten-gurus-of-sikhism/3-shri-guru-amar-das-ji/shri-guru-amar-das-ji-saakhiya श्री गुरु अमर दास जी - साखियाँ (25)]
 
[[श्रेणी:सिख धर्म]]