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{{main|कुल्लू का दशहरा}}
 
कुल्‍लु का दशहरा पुरेपूरे देश में प्रसि‍द्ध है। इसकी खासियत है कि जब पूरे देश में दशहरा खत्‍म हो जाता है तब यहां शुरु होता है। देश के बाकी हिस्‍सों की तरह यहां दशहरा रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन करके नहीं मनाया जाता। सात दिनों तक चलने वाला यह उत्‍सव हिमाचल के लोगों की संस्‍कृति और धार्मिक आस्‍था का प्रतीक है। उत्‍सव के दौरान भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा निकाली जाती है। यहां के लोगों का मानना है कि करीब 1000 देवी-देवता इस अवसर पर पृथ्‍वी पर आकर इसमें शामिल होते हैं।
 
===आदि ब्रहमा मंदिर===
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=== जगतसुख ===
 
जगतसुख कुल्‍लु की सबसे प्राचीन राजधानी है। यह विज नदी के बायीं ओर नागर और मनाली के बीच स्थित है। यहां दो प्राचीन मंदिर हैं। पहला छोटा सा गौरीशंकर मंदिर और दूसरा संध्‍या देवी का मंदिर है।
 
=== देव टिब्‍बा ===
 
समुद्र से 2953 मी. की ऊंचाई पर स्थित इस जगह को इंद्रालिका के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि महर्षि वशिष्‍ठ ने अर्जुन को पशुपति अस्‍त्र पाने के लिए तप करने का परामर्श दिया था। इसी स्‍थान पर अर्जुन ने इंद्र से यह अस्‍त्र पाने के लिए तप किया था।
 
=== बंजार ===
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=== मणीकरन ===
 
यह स्‍थान कुल्‍लु से 43 किलोमीटर दूर है। यह जगह गर्म पानी के झरने के लिए प्रसिद्ध है। हजारों लोग इस पवित्र गर्म पानी में डुबकी लगाते हैं। यहां का पानी इतना गर्म होता है कि इसमें दाल और सब्‍जी पकायी जा सकती हैं। यह हिंदुओं और सिक्‍खों का प्रसिद्ध धार्मिक स्‍थल है। यहां गुरुद्वारे के साथ रामचंद्र और शिवजी का प्राचीन मंदिर भी है।
 
 
=== रुमसू ===
 
यह स्‍थान कुल्‍लु से 25km25 km दूर नग्गर से पूर्व की और 7  km जाकर है। एस गाँव से होकर चन्द्राखनी और मलाणा जाते है। इस गाँव में बहुत सारे देवी देवता है पर इनमे प्रमुख भगवान शुभ नारायण है।
 
== कैसे जाएं ==
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