"बर्तोल्त ब्रेख्त": अवतरणों में अंतर

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==नाट्य सिद्धांत==
ब्रेख्त ने अपनी रचनाओं के लिये जो विचाधारा चुनी वे उसके साथ आजीवन जुड़े रहे। उन्होंने नाटकों द्वारा मार्क्सवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार करने के लिये ‘एपिक थियेटर’ नाम से नाट्य मंडली का गठन किया ।किया। हिंदी में एपिक थियेटर को लोक नाटक के रूप में जाना जाता है। ब्रेख्त ने पारंपरिक अरस्तू के नाट्य सिद्धांतों से सर्वथा भिन्न तथा मौलिक नाट्य सिद्धांत रचे। उनका तर्क था कि जो कुछ मंच पर घटित है उससे दर्शक एकात्म न हों। वे समझे कि जो कुछ दिखाया जा रहा है वह विगत की ही गाथा है। गौरतलब है कि ऐसा ही प्रभाव लोक गीतों को गाये जाने की कला करती है।
==रचनाएं==
बर्तोल्त ब्रेख्त की प्रमुख रचनाएं हैं :