"गैबरीला मिस्त्राल": अवतरणों में अंतर
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== जीवन-परिचय ==
''गैबरीला मिस्त्राल'' का वास्तविक नाम '''ल्यूसिला गोदोई ई अलकायागा''' था।<ref>[[हिंदी विश्वकोश]], खंड-6, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण-1966, पृष्ठ-451.</ref> इनका जन्म [[चिली]] के ''विकुना'' गाँव में 7 अप्रैल 1889 ई० को हुआ था।<ref>नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-238.</ref> इनके पिता स्थानीय त्योहारों के लिए गाने लिखते थे और आवारा किस्म के व्यक्ति थे। जब ''गैबरीला'' मात्र 3 वर्ष की थी तभी पिता ने हमेशा के लिए परिवार से नाता तोड़ लिया था। इनकी माता ''माण्टे ग्रांडे'' नगर में आ बसी थी और वहीं रिश्ते की एक बहन ने इन्हें पढ़ाना आरंभ कर दिया था। मिस्त्राल में भी अध्यापिका बनने की प्रवृत्ति जगी और 1907 में में वह सहायक अध्यापिका हो गयी थी। कविता के प्रति उनकी स्वाभाविक अभिरुचि थी और अपने विचार वे कविता के द्वारा प्रकट करने लगी थी। यहीं उनका रेल पटरी मजदूर ''उरेटा'' से प्रेम हुआ था, परंतु विचारों में मतभेद होने के कारण उन्होंने शादी की बात छिपाकर ही रखी। 2 साल बाद उरेटा ने निराश होकर आत्महत्या कर ली। इसी से दुखी होकर मिस्त्राल ने '''साॅनेट्स ऑफ डेथ''' नामक कविता-पुस्तक लिखी थी।<ref name="अ">नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-152.</ref> इस पुस्तक का प्रकाशन 1914 में हुआ था और इसे चिली में साहित्यिक प्रतियोगिता में पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था। इससे स्पेनिश भाषी देशों में मिस्त्राल की ख्याति फैल गयी थी। मिस्त्राल का एक और प्रेम-संबंध हुआ था, परंतु वह भी बुरी तरह असफल रहा था।<ref name="अ" /> 1921 ई० में मिस्त्राल चिली की राजधानी सेंटियागो के स्कूल में प्रिंसिपल हो गयी थी।
== रचनात्मक परिचय ==
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