"अशोक के अभिलेख": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
{{स्रोत कम|date=जुलाई 2018}}ऐसे ही मजेदार रोचक तथ्यों के आप हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब भी  कर सकते है
{{स्रोत कम|date=जुलाई 2014}}[[चित्र:EdictsOfAshoka.jpg|thumb|230px|अशोक के शिलालेख पूरे [[भारतीय उपमहाद्वीप]] और [[अफ़्ग़ानिस्तान]] में मिलें हैं]]
 
[[चित्र:6thPillarOfAshoka.JPG|thumb|230px|ब्रिटिश संग्राहलय में छठे शिलालेख का एक हिस्सा]]
{{स्रोतलिंक  कम|date=जुलाई 2014}}है--https://www.youtube.com/channel/UCSRTZCnVAlsObwKyWxlhaKg[[चित्र:EdictsOfAshoka.jpg|thumb|230px|अशोक के शिलालेख पूरे [[भारतीय उपमहाद्वीप]] और [[अफ़्ग़ानिस्तान]] में मिलें हैं]]
[[चित्र:AsokaKandahar.jpg|thumb|230px|[[कांधार]] में मिला [[यूनानी भाषा|यूनानी]] और [[अरामाई भाषा|अरामाई]] का द्विभाषीय शिलालेख]]
[[चित्र:6thPillarOfAshoka.JPG|thumb|230px|ब्रिटिश संग्राहलय में छठे शिलालेख का एक हिस्सा]]my youtube channel "Zetacsmart"{{Zetacsmart|india=}}
 
youtube.com/zetacsmart[[चित्र:AsokaKandahar.jpg|thumb|230px|[[कांधार]] में मिला [[यूनानी भाषा|यूनानी]] और [[अरामाई भाषा|अरामाई]] का द्विभाषीय शिलालेख]]
[[चित्र:Brahmi script on Ashoka Pillar, Sarnath.jpg|thumb|230px|[[सारनाथ]] के स्तम्भ पर [[ब्राह्मी लिपि]] में शिलालेख]]
[[मौर्य राजवंश]] के [[अशोक|सम्राट अशोक]] द्वारा प्रवर्तित कुल ३३ अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिन्हें अशोक ने [[अशोक स्तंभ, दिल्ली|स्तंभों]], चट्टानों और गुफ़ाओं की दीवारों में अपने २६९ ईसापूर्व से २३१ ईसापूर्व चलने वाले शासनकाल में खुदवाए। ये आधुनिक [[बंगलादेश]], [[भारत]], [[अफ़्ग़ानिस्तान]], [[पाकिस्तान]] और [[नेपाल]] में जगह-जगह पर मिलते हैं और [[बौद्ध धर्म]] के अस्तित्व के सबसे प्राचीन प्रमाणों में से हैं।<ref>Reference: "India: The Ancient Past" p.113, Burjor Avari, Routledge, ISBN 0-415-35615-6</ref>
Line 14 ⟶ 17:
:''अपने राज्याभिषेक के बीस वर्ष बाद, देवों के प्रिय सम्राट प्रियदर्शी इस स्थान पर आए और पूजा की क्योंकि यहाँ शाक्यमुनि बुद्ध पैदा हुए थे। उन्होने एक पत्थर की मूर्ति और एक स्तम्भ स्थापित करवाया और, क्योंकि यह भगवन का जन्मस्थान है, लुम्बिनी के गाँव को लगान से छूट दी गई और फ़सल का केवल आठवाँ हिस्सा देना पड़ा। (छोटा स्तम्भ, शिलालेख संख्या १)
 
प्रसिद्ध [[भारतविद्या|भारतविद]] [[ए एल बाशम]] का मत है कि अशोक ने स्वयं बौद्ध धर्म अपना लिया किन्तु जिस धर्म का उन्होने प्रचार-प्रसार किया उसे बौद्ध धर्म नहीं कहा जा सकता<ref>Basham, A. L. (1954). The Wonder that was India: A Survey of the History and Culture of the Indian Sub-continent Before the Coming of the Muslims. London: Sidgwick and Jackson. p. 56. OCLC 181731857</ref> हाँ, उनके संरक्षण के फलस्वरूप बौद्ध धर्म का उनके साम्राज्य में तथा अन्य राज्यों में खूब प्रसार हुआ।
 
fainal writtinb by Narsi Jyani
 
== विदेश में धर्मप्रचार का वर्णन ==
Line 28 ⟶ 33:
 
यूनानी स्रोतों से साफ़ ज्ञात नहीं होता की यह दूत इन राजाओं से वास्तव में मिले भी की नहीं और यूनानी क्षेत्र में इनका क्या प्रभाव हुआ। फिर भी, कुछ विद्वानों ने यूनानी क्षेत्रों में बौद्ध समुदाय की मौजूदगी (विशेषकर आधुनिक मिस्र में स्थित [[अल-इस्कंदरिया]] में) को अशोक के धर्म-दूतों की कुछ मात्रा में सफलता का संकेत माना है। सिकंदरिया के क्लॅमॅन्त (Clement of Alexandria, अनुमानित १५० ई॰ - २१५ ई॰) ने अपनी लेखनी में इनका ज़िक्र किया।<ref name="ref69qadih">{{cite web | title=Buddhist and Christian gospels: now first compared from the originals: being "Gospel parallels from Pāli texts", Volume 2 | author=Albert Joseph Edmunds, Masaharu Anesaki | publisher=Innes, 1908 | isbn= | url=http://books.google.com/books?id=OjgPAAAAYAAJ | quote=''... a passage preserved to us by Cyril of Alexandria, this author shows a knowledge of Buddhism in Bactria, calling the religious men there by the well-known name of Samanos. In a passage of Clement of Alexandria ...''}}</ref> अल-इस्कंदरिया में टॉलमी काल की बौद्ध समाधियों पर धर्मचक्र-धारी शिलाएँ मिली हैं।<ref name="ref54luzoh">{{cite web | title=The Greeks in Bactria and IndiaCambridge Library Collection - Classics | author=William Woodthorpe Tarn | publisher=Cambridge University Press, 2010 | isbn=9781108009416 | url=http://books.google.com/books?id=-HeJS3nE9cAC}}</ref>
 
Narsi Jyani Lalgarh
 
== स्वदेश में धर्मप्रचार का वर्णन ==
Line 43 ⟶ 50:
* कम्बोज या कम्बोह एक [[मध्य एशिया]] से आया समुदाय था जो पहले तो दक्षिणी अफ़्ग़ानिस्तान और फिर [[सिंध]], [[पंजाब]] और [[गुजरात]] के क्षेत्रों में आ बसे। आधुनिक युग में इस समुदाय के लोग पंजाबियों में मिला करते हैं और इस्लाम, हिन्दू धर्म और सिख धर्म के अनुयायियों में बंटे हुए हैं।
* नाभक, नाभ्पंकित, भोज, पितिनिक, आंध्र और पुलिंद अशोक के राज्य में बसी हुई अन्य जातियाँ थीं।
* Narsi Jyani
 
== अशोक के शिलालेख ==
Line 78 ⟶ 86:
* शिलालेख-13. कलिंग युद्ध, अशोक का हृदय परिवर्तन, पड़ोसी राजाओं का वर्णन।
* शिलालेख-14. धार्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी।
* Narsi Jyani
 
== अशोक के लघु शिलालेख ==
Line 148 ⟶ 157:
 
१५. नेतुर- यह मैसूर जिले में स्थित है।
 
16 Narsi Jyani
 
my youtube channel "Zetacsmart"
 
== अशोक के गुहा-लेख ==
Line 156 ⟶ 169:
== प्रमुख अभिलेखों का परिचय ==
अशोक के शिलालेख १४ विभिन्‍न लेखों का समूह हैं जो आठ भिन्‍न-भिन्‍न स्थानों से प्राप्त किए गये हैं। मगध साम्राज्य के प्रतापी मौर्यवंशी शासक अशोक ने अपनी लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा को प्रजा में प्रसारित करने के लिए 14 स्थलों पर शिलालेख, लघु शिलालेख एवं अन्य अभिलेख उत्कीर्ण करवाया था।
* my youtube channel "Zetacsmart"{{Zetacsmart|india=}}
 
=== धौली ===
Line 178 ⟶ 192:
 
शेष प्रज्ञापनों में लोगों में समान एवं सम्मानपूर्वक व्यवहार, अपने अपने धर्मों की अच्छी बातों का परिपालन, सत्व की बढ़ती, कलिंगयुद्ध के उपरांत युद्ध के लिए सम्राट् के मन में पश्चात्ताप एवं जीते हुए प्रदेशों में धर्मानुशासन के कार्य तथा विभिन्न स्थानों में धर्मादेशों के लिखाने की बातें हैं।
 
my youtube channel "Zetacsmart"{{Zetacsmart|india=}}
 
=== मान सेहरा ===
Line 198 ⟶ 214:
 
== अशोक के अभिलेखों के चित्र ==
my youtube channel "Zetacsmart"{{Zetacsmart|india=}}<gallery>
<gallery>
File:Ashoka Edict Girnaar1.png
File:Ashoka Edict Girnaar2.png