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सर मैंने तो केवल तीन सम्पादन किए थे। (क्यूकी पेज दो थे तो एक का करते हैं तो दूसरे का भी करके पड़ेगा ही अर्थात सम्पादन 6) जबकि पीयूष जी ने सम्पादन 4 किए थे। उन्होने अनामदास जी के संपदान भी रोलबैक किए थे। 3 वाले को अवरोधित कर दिया गया वो भी बिना चेतवानी के जबकि मैं हर टिप्पणी में विवाद को खत्म करने के लिए संजीव जी या एसएम7 जी के आने का इंजार करने को कहता रह गया। आपके कहने पर मैं शांति धारण करता हूँ और देखता हूँ आप में सही को सही कहकर मेटा तक चलने का साहस हैं या नहीं।--<span style="background:#444;padding:2px;font-size:12px">[[User:Jayprakash12345|<span style="color:#fff">जयप्रकाश</span>]]<span style="color:#FC0;letter-spacing:-2px"> >>> </span>[[User talk:Jayprakash12345|<span style="color:#fff">वार्ता</span>]]</span> 12:54, 26 मार्च 2018 (UTC)
:{{सुनो|Jayprakash12345}} जी, आप भरोसा रखें कि 'साहस' का परिचय मैं यथासमय दे ही दूंगा। साहस दिखाने के लिए मुझे अमर्यादित होने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यहाँ संपादन भी मैं खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने के भाव से नहीं करता। स्नेह और शुभकामनाएं। --[[User:अजीत कुमार तिवारी|<span style="text-shadow:gray 3px 3px 2px;"><font color="red"><sup></sup> अजीत कुमार तिवारी</font></span>]]<sup>[[User talk:अजीत कुमार तिवारी|<font color="green"> वार्ता</font>]]</sup> 13:05, 26 मार्च 2018 (UTC)
 
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:जब प्रबंधक और किसी सदस्य के बीच विवाद हो तो विवाद में शामिल प्रबंधक को स्वयं अपने विचारों के पक्ष में निर्णय लेने से बचना चाहिए। इसके लिए किसी तीसरे प्रबंधक से आग्रह किया जाना चाहिए। प्रतिबंध २ घंटे का भी लगाया जाना एक गलत निर्णय है। इससे अधिक का होता तो किसी दूसरे प्रबंधक द्वारा वह जरूर परिवर्तित कर दिया जाता। इसलिए सदस्य को इसे अपना अपमान मानने के बजाय उक्त प्रबंधक की नासमझी मानकर आगे बढ़ जाना चाहिए। निश्चिंत रहें विकि पर अकारण और बिना आम सहमति के किसी सदस्य का प्रतिबंधित होना असंभव है। ऐसा दुबारा हो तो मुझे मेल जरूर करें। मेटा पर जाने का रास्ता खुला है मगर अभी उचित समय नहीं है। आगे ऐसी गलती दुहरायी नहीं जाएगी मुझे इसकी पूरी उम्मीद है। [[सदस्य:अनिरुद्ध!|अनिरुद्ध!]] ([[सदस्य वार्ता:अनिरुद्ध!|वार्ता]]) 18:28, 26 मार्च 2018 (UTC)