"यीशु": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2014}}
:<small>''यह लेख [[ईसाई धर्म|ईसाई]] परम्परा में [[मसीहा|मसीह]] और [[ईश्वरपुत्र]] माने जाते वाले, [[बाइबल]] के पात्र यीशु अथवा [[यीशु मसीह]] के बारे में है, जो [[ईसाई धर्म]] के केन्द्रीय पत्र एवं प्रवर्तक हैं। उन्हें इस्लामी परम्परा में भी एक महत्वपूर्ण पैग़म्बर माना गया है, तथा [[क़ुरान]] में उनका ज़िक्र है। [[इस्लाम]] के संदर्भ में उनके बारे में जानकारी हेतु [[ईसा इब्न मरियम]] देखें।''</small>
{{पात्र ज्ञानसन्दूक}}
[[चित्र:Christ Pantocrator, Church of the Holy Sepulchre.png|thumb|एक मोजेक]]
'''यीशुईसा''' या '''यीशु मसीह''' (इब्रानीया :'''''येशुआ''जीज़स क्राइस्ट'''; अन्य(इब्रानी नाम:'''ईसा मसीह''', '''जीसस क्राइस्टयेशुआ'''), जिन्हें ''नासरत का यीशु'' भी कहा जाता है, ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं। ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई [[त्रिएक परमेश्वर]] का तृतीय सदस्य मानते हैं। ईसा की जीवनी और उपदेश [[बाइबिल]] के [[नया नियम|नये नियम]] (ख़ास तौर पर चार शुभसन्देशों:शुभसन्देश -- '''मत्ती, लूका, युहन्ना, मर्कुस पौलुस का पत्रिया, पत्रस का चिट्ठियां, याकूब का चिट्ठियां, दुनिया के अंत में होने वाले चीजों का विवरण देने वाली प्रकाशित वाक्य ') में दिये गये हैं।
 
ईसा इस्लाम के अज़ीम तरीन पेग़मबरों में से एक माना जाता है।
'''यीशु''' या '''यीशु मसीह''' (इब्रानी :'''''येशुआ'''''; अन्य नाम:'''ईसा मसीह''', '''जीसस क्राइस्ट'''), जिन्हें ''नासरत का यीशु'' भी कहा जाता है, ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं। ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई [[त्रिएक परमेश्वर]] का तृतीय सदस्य मानते हैं। ईसा की जीवनी और उपदेश [[बाइबिल]] के [[नया नियम|नये नियम]] (ख़ास तौर पर चार शुभसन्देशों: मत्ती, लूका, युहन्ना, मर्कुस पौलुस का पत्रिया, पत्रस का चिट्ठियां, याकूब का चिट्ठियां, दुनिया के अंत में होने वाले चीजों का विवरण देने वाली प्रकाशित वाक्य) में दिये गये हैं।
यीशु मसीह को इस्लाम में [[ईसा इब्न मरियम|ईसा]] कहा जाता है, और उन्हें इस्लाम के भी महानतम पैग़म्बरों में से एक माना जाता है।
 
== जन्म और बचपन ==
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ईसाइयों का मानना है कि क्रूस पर मरते समय ईसा मसीह ने सभी इंसानों के पाप स्वयं पर ले लिए थे और इसलिए जो भी ईसा में विश्वास करेगा, उसे ही स्वर्ग मिलेगा। मृत्यु के तीन दिन बाद ईसा वापिस जी उठे और 40 दिन बाद सीधे स्वर्ग चले गए। ईसा के 12 शिष्यों ने उनके नये धर्म को सभी जगह फैलाया। यही धर्म [[ईसाई धर्म]] कहलाया।
 
== इस्लाम ==
== बैबलियाई आत्मकथा ==
;जनम
हेरोदेस राजा के दिनों में जब यहूदिया के बैतलहम में यीशु का जन्म हुआ, तो देखो, पूर्व से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आकर पूछने लगे।
कि यहूदियों का राजा जिस का जन्म हुआ है, कहां है? क्योंकि हम ने पूर्व में उसका तारा देखा है और उस को प्रणाम करने आए हैं।
यह सुनकर हेरोदेस राजा और उसके साथ सारा यरूशलेम घबरा गया।
और उस ने लोगों के सब महायाजकों और शास्त्रियों को इकट्ठे करके उन से पूछा, कि मसीह का जन्म कहाँ होना चाहिए?
उन्होंने उस से कहा, यहूदिया के बैतलहम में; क्योंकि भविष्यद्वक्ता के द्वारा यों लिखा है।
कि हे बैतलहम, जो यहूदा के देश में है, तू किसी रीति से यहूदा के अधिकारियों में सब से छोटा नहीं; क्योंकि तुझ में से एक अधिपति निकलेगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल की रखवाली करेगा।
तब हेरोदेस ने ज्योतिषियों को चुपके से बुलाकर उन से पूछा, कि तारा ठीक किस समय दिखाई दिया था।
और उस ने यह कहकर उन्हें बैतलहम भेजा, कि जाकर उस बालक के विषय में ठीक ठीक मालूम करो और जब वह मिल जाए तो मुझे समाचार दो ताकि मैं भी आकर उस को प्रणाम करूं।
वे राजा की बात सुनकर चले गए और देखो, जो तारा उन्होंने पूर्व में देखा था, वह उन के आगे आगे चला और जंहा बालक था, उस जगह के ऊपर पंहुचकर ठहर गया॥
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और नासरत नाम नगर में जा बसा; ताकि वह वचन पूरा हो, जो भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा कहा गया था, कि वह नासरी कहलाएगा॥
 
;लड़कपन
 
और बालक बढ़ता और बलवन्त होता और बुद्धि से परिपूर्ण होता गया; और परमेश्वर का अनुग्रह उस पर था।
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=== चमत्कार ===
  यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के साम्हने दिखाए, जो इस पुस्‍तक (बाईबल) में लिखे नहीं गए।   परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास कर के उसके नाम से जीवन पाओ।( यूहन्ना 20:30,31)।<ref>{{cite web|title=बाइबिल|url=https://www.wordproject.org/bibles/in/43/20.htm#0|publisher=www.wordproject.org|accessdate=2 अप्रैल 2018}}</ref> यह बहुत अच्‍छे इंसान थे जिसके सिर पर हाथ वह धन्य हो जाता था येशु ने अपने जीवन में अनगिनत चमत्कार किये जो पृथ्वी पर   किसी और के लिए नामुमकिन थे
 
== इस्लामी में यीशु ==
{{मुख्य|ईसा इब्न मरियम}}
[[इस्लाम]] बाइबिल में ईसा मसीह को एक आदरणीय नबी (मसीहा) माना जाता है, जो ईश्वर ने इस्राइलियों को उनके संदेश फैलाने को भेजा था। क़ुरान में ईसा के नाम का ज़िक्र मुहम्मद से भी ज़्यादा है और मुसुल्मान ईसा के कुंआरी द्वारा जन्म में मानते हैं।
 
इस्लाम में ईसा मसीह महज़ एक नश्वर इंसान माना जाता है, सब नबियों की तरह और ईश्वर-पुत्र या त्रिमूर्ति का सदस्य नहीं, और उनकी पूजा पर मनाही है। उन्हें चमत्कार करने की क्षमता ईश्वर से मिली थी और ख़ुद ईसा मसीह में ऐसी शक्तियां नहीं मौजूद थीं। यह भी नहीं माना जाता है कि वे क्रूस पर लटके। इस्लामी परंपरा के मुताबिक़, क्रूस पर मरने के ब-वजूद, ईश्वर ने उन्हें सीधे स्वर्ग में उठाया गया था।
सब नबियों की तरह, ईसा मसीह भी क़ुरान में एक मुस्लिम कहलाता है। क़ुरान के मुताबिक़, ईसा मसीह ने अपने आप को ईश्वर-पुत्र कभी नहीं माना और वे क़यामत के दिन पर इस बात का इंकार करेंगे। मुसुल्मानों की मान्यता है कि क़यामत के दिन पर, ईसा मसीह पृथ्वी पर लौटएगा और न्याय क़ैयाम करेगा।
 
=== क़ुरान मे ===
क़ुरान में इसा का नाम 25 बार आया है। ! [[सुराह मरियम]] में इनके जन्म की कथा है और इसी तरह सुराह अलि इमरान में भी।
 
=== मुहम्मद और ईसा मसीह ===
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और लगातार मन्दिर में उपस्थित होकर परमेश्वर की स्तुति किया करते थे॥
 
== इस्लामी यहूदी धर्म में यीशुमत ==
[[इस्लाम]] बाइबिल में ईसा मसीह को एक आदरणीय नबी (मसीहा) माना जाता है, जो ईश्वर ने इस्राइलियों को उनके संदेश फैलाने को भेजा था। क़ुरान में ईसा के नाम का ज़िक्र मुहम्मद से भी ज़्यादा है और मुसुल्मान ईसा के कुंआरी द्वारा जन्म में मानते हैं।
[[यहूदी]] ईसा मसीह को न तो मसीहा मानते हैं न ईश्वर-पुत्र। वे अपने [[मसीहा]] का आज भी इंतज़ार करते हैं।
 
इस्लाम में ईसा मसीह महज़ एक नश्वर इंसान माना जाता है, सब नबियों की तरह और ईश्वर-पुत्र या त्रिमूर्ति का सदस्य नहीं, और उनकी पूजा पर मनाही है। उन्हें चमत्कार करने की क्षमता ईश्वर से मिली थी और ख़ुद ईसा मसीह में ऐसी शक्तियां नहीं मौजूद थीं। यह भी नहीं माना जाता है कि वे क्रूस पर लटके। इस्लामी परंपरा के मुताबिक़, क्रूस पर मरने के ब-वजूद, ईश्वर ने उन्हें सीधे स्वर्ग में उठाया गया था।
==इन्हें भी देखें==
सब नबियों की तरह, ईसा मसीह भी क़ुरान में एक मुस्लिम कहलाता है। क़ुरान के मुताबिक़, ईसा मसीह ने अपने आप को ईश्वर-पुत्र कभी नहीं माना और वे क़यामत के दिन पर इस बात का इंकार करेंगे। मुसुल्मानों की मान्यता है कि क़यामत के दिन पर, ईसा मसीह पृथ्वी पर लौटएगा और न्याय क़ैयाम करेगा।
*[[ईसा मसीह]]
*[[ईसाई धर्म]]
*[[मरियम]]
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
<br /> [[यहूदी]] ईसा मसीह को न तो मसीहा मानते हैं न ईश्वर-पुत्र। वे अपने [[मसीहा]] का आज भी इंतज़ार करते हैं।
==बाहरी कड़ियाँ==
* {{dmoz|Society/Religion_and_Spirituality/Christianity/Jesus_Christ/}}
* [http://www.latinvulgate.com/christverse.aspx Complete Sayings of Jesus Christ] in parallel Latin and English.
* {{worldcat id|id=lccn-n79-84784}}
 
[[श्रेणी:ईसाई धर्म]]
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[[श्रेणी:यहूदी]]
[[श्रेणी:धर्म प्रवर्तक]]
[[श्रेणी:इस्लाम के पैग़म्बर]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/यीशु" से प्राप्त