"विकिपीडिया:अनुरोधित लेख": अवतरणों में अंतर

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार
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अगर सोच अच्छी होगी एक पुरुष को उसका अस्तित्व देने वाली नारी के लिए तो हर स्त्री खुली हवा में साँस लेकर अपने सपनो की उड़ान भर सकेगी क्योकि तब वो खुदको सुरक्षित महसूस करेगी जैसे की पूरी दुनिआ उसका अपना घरोंदा है जहा उसे सिर्फ सुकून है सुरक्षा का , विश्वास का और प्यार का....
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बलात्कार यानि जबरन किया गया सम्भोग जोकि एक ऐसा अपराध है जो न की सिर्फ एक लड़की के साथ होता है बल्कि उसके पुरे परिवार के साथ होता है एक लड़की का बलात्कार उसके शरीर, उसकी आत्मा का,तथा सभी भावो का बलात्कार होता है इस अपराध में या तो बलात्कारी पकड़ा जाता है या बच के निकल जाता है,अगर पकड़ा जाता है या तो वो किसी न किसी कारण से छूट जाता है और यदि उसे सजा भी होती है तो तब भी वह अपराधी होते हुए भी वो सजा नहीं भुगतता जो की निर्दोष पीड़िता को भुगतना पड़ता हैा पीड़िता को बिना कसूर के उसे कसूरवार समझा जाता हैा
हमारे समाज में सभी तरह की मानसिकता और अलग अलग विचारधारा वाले नागरिक रहते है वो कभी भी रेप पीड़िता को सुकून वह सम्मान से जीने की प्रेरणा प्रदान नहीं करते है उनके हिसाब से बलात्कारी से जयादा दोषी वह खुद होती है या तो उसके चालचलन , कपडे इत्यादि को कारण मन जाता है या फिर समय का ध्यान नहीं रखा गया होगा ऐसा दोष दिया जाता हैा
पुरुष प्रधान समाज में सरे नियम महिलाओ के लिए ही बने है इसलिए इस तरह के अपराध में उन्हें ही कसूरवार ठहराया जाता हैा समाज के दबाव में रहते हुए पीड़िता के आसपास के लोग , मित्रगण, रिश्तेदार और परिवार के लोग भी पीड़िता को ही दोषी ठहराते हुए उससे दुरी बनाना ही उचित समझते है और पीड़िता भी अपने आप को दोषी मानती है और ये कई गुना मानसिक पीड़ा जो उसे बलात्कार की एक दुर्घटना से मिलती है अपने जीवन भर सहती हैा
आज अख़बार, न्यूज़ चेंनल हर जगह शहर, गांव, कसबे में मासूम बच्चियों से लेकर वृद्ध महिलाओ के बड़ी दरिंदगी के साथ बलात्कार और मारने की घटना सामने आती है ऐसा क्यों होता है इस अपराध को करने के पीछे काया मानसिकता रहती है बलात्कार करने वाले की सोच चाहे कुछ भी रही हो पर ये इस अपराध के बाद पीड़िता के जीवन को पूर्ण तरह शत विशत कर देते हैा
अगर हम रेप के आकड़ो पर गौर करे तो पायगे की देश में हर महीने ५० से १०० बलात्कार के केसेस दर्ज होते है ये वो अकड़े है जिन्हे दर्ज किया गया है अनयथा कुछ मामले ऐसे भी है जिन्हे पीड़िता ने किसी से जाहिर भी नै किया होता है क्योकि उसे चुपचाप ये क्रूरता सहती होती हैा
नशा, किसी तरह की पुराणी रंजिश या आपसी विवाद या एक आदमी के अंदर का हवस का जागना बलात्कार जैसे क्रूर अपराध का कोई भी कारण हो सकता है परन्तु इसके पीछे के कारण का मनोवैज्ञानिक आधार पर निष्कर्ष ज्ञात करना अति आवश्यक है जिससे इस अपराध को रोकने के लिए मजबूत कदम उठाये जा सके तो इस तरह के अपराधों में कुछ कमी लायी जा सकती है आज कैंडल मार्च या आंदोलन करना या फिर कोई भी प्रकार का सामाजिक दबाव बनाना, इस अपराध को काम करना या इसके खिलाफ न्याय मांगना काफी नहीं होगा बल्कि एक स्वस्थ सोच वाले समाज का निर्माण करना होगा एवं सतर्कता और जागरूकता का सन्देश विस्तृत करना होगा ा