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== करियर ==
कुमार सानू हिंदी सिनेमा के एक जानेमाने पार्श्व गायक हैं। [[कोलकता]] में जन्मे कुमार सानू का मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनके पिताजी स्वयं एक अच्छे गायक और संगीतकार थे। उन्होंने ही कुमार सानू को गायकी और तबला वादन सिखाया था। गायक किशोर कुमार को अपना आदर्श मानने वाले सानू ने गायकी में अपना खुद का अलग अंदाज़ बनाये रखा है। उनको पहला ब्रेक [[जगजीत सिंह]] ने दिया था। उन्होंने उन्हें कल्याणजी आनंद जी से मिलवाया जिन्होंने 1989 में आई फिल्म 'जादूगर' के लिए कुमार सानू से गीत गवाया।
कुमार सानु को अधिकतर 1990 के दशक की फ़िल्मों में दिये गए पार्श्व गायन के लिये जाना जाता है। ''[[ज़ुर्म (1990 फ़िल्म)|ज़ुर्म]]'' फिल्म के "जब कोई बात बिगड़ जाए" से उन्हें पहली सफलता मिली। लेकिन उन्हें ''[[आशिकी]]'' ने सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म से उन्होंने शुरुआत कर लगातार पाँच सालों तक, 1991 से लेकर 1995 तक [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार]] जीता। जो कि एक कीर्तिमान है।<ref>{{cite news|title=कुमार सानू: 90 के दशक को कल्ट बना देने वाले गायक|url=https://hindi.firstpost.com/special/kumar-sanu-super-hit-cult-singing-sensation-of-90-s-with-ashiqui-ddlj-k2h2-sadak-55677.html|accessdate=27 मई 2018|work=[[फर्स्टपोस्ट]]|date=23 सितम्बर 2017|language=hi-IN}}</ref> उन्होंने उस समय के लगभग सभी संगीतकार के लिये गीत गाए हैं:- [[आनंद-मिलिंद]], [[जतिन-ललित]] और [[अनु मलिक]]। लेकिन वो [[नदीम-श्रवण]] है जिनके साथ उनकी सफलता की शुरुआत हुई और उन्हें सर्वाधिक कामयाबी प्राप्त हुई।
 
एक दिन में 28 गाने रिकॉर्ड करवाने वाले वह एकमात्र गायक हैं। उन्होंने चौदह हज़ार गाने गाये हैं। कुमार सानू का आज के दौर के संगीत के बारे में कहना है कि 'आज के संगीत से मेलोडी, सुर, ताल आदि कहीं गुम होता जा रहा है और उसकी जगह शोर ले रहा है। यही वजह है कि आज के अधिकतर गीत यादगार प्रतीत नहीं होते।' उनकी चाहत हमेशा रही कि काश उन्होंने सचिन देव बर्मन के साथ कोई गाना गाया होता।
== पुरस्कार ==
=== [[फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार]] ===
कुमार सानू हिंदी सिनेमा के एक जानेमाने पार्श्व गायक हैं। [[कोलकता]] में जन्मे कुमार सानू का मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनके पिताजी स्वयं एक अच्छे गायक और संगीतकार थे। उन्होंने ही कुमार सानू को गायकी और तबला वादन सिखाया था। गायक किशोर कुमार को अपना आदर्श मानने वाले सानू ने गायकी में अपना खुद का अलग अंदाज़ बनाये रखा है।
 
बहुत समय से वे बंगाली फिल्मों में सक्रिय हैं और हिंदी फिल्मों में कम, बहुत जल्द उनकी होम प्रोडक्शन फिल्म ‘यह संडे क्यूं आता है’ आ रही है, जिसमें उन्होंने संगीत भी दिया है और दो गाने भी गाए हैं। इसके अलावा सत्तर-अस्सी हिंदी फ़िल्में आ रही हैं, जिसमें उनके गाये गाने हैं।कम। सन् 2009 में उनके अभूतपूर्व संगीत योगदान के लिए उन्हें [[पद्मश्री]] से नवाज़ा गया और देश के चौथे सबसे सम्मानित नागरिक के तौर पर मनोनीत भी हुए।
कुमार सानू के घर पर शुरू से ही संगीत की परंपरा थी। पिताजी शास्त्रीय संगीत के टीचर थे। मां भी गाती थीं। बड़ी बहन भी रेडियो में गाती है और आज भी वह पिताजी का संगीत स्कूल चला रही हैं। इस तरह परिवार के माहौल ने सानू को एक अच्छा गायक बना दिया। करीब करीब 350 से अधिक फिल्मों के लिए गा चुके कुमार सानू को सफलता वर्ष 1990 में बनी 'आशिकी' फिल्म से मिली जिसके गीत सुपरहिट हुए और कुमार सानू लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गए थे। बहरहाल, आशिकी कुमार सानू की पहली फिल्म नहीं थी। उनको पहला ब्रेक [[जगजीत सिंह]] ने दिया था। उन्होंने उन्हें कल्याणजी आनंद जी से मिलवाया जिन्होंने 1989 में आई फिल्म 'जादूगर' के लिए कुमार सानू से गीत गवाया।
फिल्म [[रावड़ीराउड़ी राठौर]] में गीत 'छम्मक-छल्लो छैल छबीली' के साथ दोबारा वापसी की। फिर सन् 2014 की रिलीज यशराज फिल्म निर्मित [[दम लगा के हईशा]] फिल्म में गीत 'दर्द करारा' गाया।
 
कुमार सानु को अधिकतर 1990 के दशक की फ़िल्मों में दिये गए पार्श्व गायन के लिये जाना जाता है। ''[[ज़ुर्म (1990 फ़िल्म)|ज़ुर्म]]'' फिल्म के "जब कोई बात बिगड़ जाए" से उन्हें पहली सफलता मिली। लेकिन उन्हें ''[[आशिकी]]'' ने सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म से उन्होंने शुरुआत कर लगातार पाँच सालों तक, 1991 से लेकर 1995 तक [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार]] जीता। जो कि एक कीर्तिमान है।<ref>{{cite news|title=कुमार सानू: 90 के दशक को कल्ट बना देने वाले गायक|url=https://hindi.firstpost.com/special/kumar-sanu-super-hit-cult-singing-sensation-of-90-s-with-ashiqui-ddlj-k2h2-sadak-55677.html|accessdate=27 मई 2018|work=[[फर्स्टपोस्ट]]|date=23 सितम्बर 2017|language=hi-IN}}</ref> उन्होंने उस समय के लगभग सभी संगीतकार के लिये गीत गाए हैं:- [[आनंद-मिलिंद]], [[जतिन-ललित]] और [[अनु मलिक]]। लेकिन वो [[नदीम-श्रवण]] है जिनके साथ उनकी सफलता की शुरुआत हुई और उन्हें सर्वाधिक कामयाबी प्राप्त हुई।
लगातार पांच बार [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार]] जीत चुके कुमार सानू की आवाज़ काफी हद तक किशोर कुमार से मिलती जुलती है। हालांकि उन्होंने मुकेश और मोहम्मद रफी की शैली अपनाने की भी कोशिश की लेकिन बाद में अपनी अलग शैली विकसित की।
 
== पुरस्कार ==
एक दिन में 28 गाने रिकॉर्ड करवाने वाले वह एकमात्र गायक हैं। उन्होंने चौदह हज़ार गाने गाये हैं। कुमार सानू का आज के दौर के संगीत के बारे में कहना है कि 'आज के संगीत से मेलोडी, सुर, ताल आदि कहीं गुम होता जा रहा है और उसकी जगह शोर ले रहा है। यही वजह है कि आज के अधिकतर गीत यादगार प्रतीत नहीं होते।' उनकी चाहत हमेशा रही कि काश उन्होंने सचिन देव बर्मन के साथ कोई गाना गाया होता।
=== [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार|फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार]] ===
 
{| class="wikitable sortable"
बहुत समय से वे बंगाली फिल्मों में सक्रिय हैं और हिंदी फिल्मों में कम, बहुत जल्द उनकी होम प्रोडक्शन फिल्म ‘यह संडे क्यूं आता है’ आ रही है, जिसमें उन्होंने संगीत भी दिया है और दो गाने भी गाए हैं। इसके अलावा सत्तर-अस्सी हिंदी फ़िल्में आ रही हैं, जिसमें उनके गाये गाने हैं। सन् 2009 में उनके अभूतपूर्व संगीत योगदान के लिए उन्हें [[पद्मश्री]] से नवाज़ा गया और देश के चौथे सबसे सम्मानित नागरिक के तौर पर मनोनीत भी हुए।
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फिल्म [[रावड़ी राठौर]] में गीत 'छम्मक-छल्लो छैल छबीली' के साथ दोबारा वापसी की। फिर सन् 2014 की रिलीज यशराज फिल्म निर्मित [[दम लगा के हईशा]] फिल्म में गीत 'दर्द करारा' गाया।
! वर्ष
! गीत
! फिल्म
! संगीत निर्देशक
! गीतकार
|-
|1991
|"अब तेरे बिन"
|''[[आशिकी]]''
|[[नदीम-श्रवण]]
|[[समीर]]
|-
|1992
|"मेरा दिल भी कितना पागल है"
|''[[साजन (1991 फ़िल्म)|साजन]]''
|नदीम-श्रवण
|समीर
|-
|1993
|"सोचेंगे तुम्हे प्यार"
|''[[दीवाना (1992 फ़िल्म)|दीवाना]]''
|नदीम-श्रवण
|समीर
|-
|1994
|"ये काली काली आँखें"
|''[[बाज़ीगर]]''
|[[अनु मलिक]]
|देव कोहली
|-
|1995
|"एक लड़की को देखा"
|''[[1942: अ लव स्टोरी (1993 फ़िल्म)|1942: अ लव स्टोरी]]''
|[[आर॰ डी॰ बर्मन]]
|[[जावेद अख्तर]]
|}
 
=== [[अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी पुरस्कार]] ===
 
* [[2000]] - [[आई आई एफ ए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार]] - [[हम दिल दे चुके सनम]] – आँखों की गुस्ताखियाँ