"चन्द्रवंशी": अवतरणों में अंतर

Reverted to revision 3776660 by आर्यावर्त: अनावश्यक प्रचार। लेख मेन असंदर्भित तथ्य न लिखें। सुधार की जरूरत. (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
बहुप्रतीक्षित स्रोत हीन कथन हटाये, टैग हटाया। कृपया संदर्भों के आधार पर ही लेख को विकसित करें। यह जातिगत लेख नहीं है, पौराणिक अस्थाओं पर आधारित है। इसे जाति प्रचार हेतु न प्रयोग करें।
पंक्ति 1:
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, '' चंद्र वंश '' [[हिंदू धर्म]] के [[क्षत्रिय]] या योद्धा-शासक वर्ग के चार प्रमुख वंशों में से एक है। संबन्धित पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वंश '[[चंद्र]]' या चंद्रमा से निकला था।<ref>{{cite book |url=https://books.google.co.in/books?id=TGyzMJYZn-0C&pg=PA21 |title=Message of the Purans |publisher=Diamond Pocket Books Ltd |first=B. B. |last=Paliwal |year=2005 |page=21 |isbn=978-8-12881-174-6}}</ref>
{{स्रोतहीन|date=अप्रैल 2016}}
'''चंद्रवंश''' एक प्रमुख प्राचीन भारतीय [[क्षत्रिय]]कुल।
 
"महाभारत" के अनुसार, इस राजवंश के प्रजननकर्ता ''इला'' [[प्रयाग]] के शासक थे, जबकि उनके पुत्र शशिबिन्दु बहली देश में शासन करते थे।<ref>{{cite book |first=Wendy |last=Doniger |title=Splitting the difference: gender and myth in ancient Greece and India |url=https://books.google.com/books?id=G4pgM3birUwC&pg=PA273 |accessdate=25 August 2011 |year=1999 |publisher=University of Chicago Press |isbn=978-0-226-15641-5 |page=273}}</ref>
आनुश्रुतिक [[साहित्य]] से ज्ञात होता है। कि आर्यों के [[प्रथम]] शासक ([[राजा]]) वैवस्वत मनु हुए। उनके नौ पुत्रों से सूर्यवंशी क्षत्रियों का प्रारंभ हुआ। मनु की एक [[कन्या]] भी थी - इला। उसका [[विवाह]] [[बुध]] से हुआ जो [[चंद्रमा]] का पुत्र था। उनसे पुरुरवस्‌ की उत्पत्ति हुई, जो ऐल कहलाया और चंद्रवंशियों का प्रथम शासक हुआ। उसकी [[राजधानी]] प्रतिष्ठान थी, जहाँ आज प्रयाग के [[निकट]] [[झूँसी]] बसी है। [[पुरुरवा]] के छ: पुत्रों में [[आयु]] और अमावसु अत्यंत प्रसिद्ध हुए। आयु प्रतिष्ठान का शासक हुआ और अमावसु ने [[कान्यकुब्ज]] में एक नए [[राजवंश]] की स्थापना की। कान्यकुब्ज के राजाओं में जह्वु प्रसिद्ध हुए जिनके [[नाम]] पर [[गंगा]] का नाम [[जाह्नवी]] पड़ा। आगे चलकर विश्वरथ अथवा विश्वामित्र भी प्रसिद्ध हुए, जो पौरोहित्य [[प्रतियोगिता]] में [[कोसल]] के [[पुरोहित]] वसिष्ठ के [[संघर्ष]] में आए।ततपश्चात वे तपस्वी हो गए तथा उन्होंने ब्रह्मर्षि की उपाधि प्राप्त की। आयु के बाद उसका जेठा पुत्र [[नहुष]] प्रतिष्ठान का शासक हुआ। उसके छोटे [[भाई]] क्षत्रवृद्ध ने [[काशी]] में एक [[राज्य]] की स्थापना की। नहुष के छह पुत्रों में यति और [[ययाति]] सर्वमुख्य हुए। यति संन्यासी हो गया और ययाति को राजगद्दी मिली। ययाति शक्तिशाली और विजेता [[सम्राट्]] हुआ तथा अनेक आनुश्रुतिक कथाओं का [[नायक]] भी। उसके [[पाँच]] पुत्र हुए - [[यदु]], [[तुर्वसु]], द्रुह्यु, अनु और [[पुरु]]। इन पाँचों ने अपने अपने [[वंश]] चलाए और उनके वंशजों ने दूर दूर तक विजय कीं। आगे चलकर ये ही वंश [[यादव]], तुर्वसु, द्रुह्यु, आनव और [[पौरव]] कहलाए। [[ऋग्वेद]] में इन्हीं को पंचकृष्टय: कहा गया है। यादवों की एक [[शाखा]] हैहय नाम से प्रसिद्ध हुई और दक्षिणापथ में [[नर्मदा]] के किनारे जा बसी। [[माहिष्मती]] हैहयों की राजधानी थी और कार्तवीर्य अर्जुन उनका सर्वशक्तिमान्‌ और विजेता राजा हुआ। तुर्वसुके वंशजों ने पहले तो [[दक्षिण]] पूर्व के प्रदेशों को अधीनस्थ किया, परंतु बाद में वे पश्चिमोत्तर चले गए। द्रुह्युओं ने [[सिंध]] के किनारों पर कब्जा कर लिया और उनके राजा गांधार के नाम पर प्रदेश का नाम गांधार पड़ा। आनवों की एक शाखा पूर्वी [[पंजाब]] और दूसरी पूर्वी [[बिहार]] में बसी। पंजाब के आनव कुल में [[उशीनर]] और [[शिवि]] नामक प्रसिद्ध राजा हुए। पौरवों ने [[मध्यदेश]] में अनेक राज्य स्थापित किए और गंगा-यमुना-दोआब पर शासन करनेवाला [[दुष्यंत]] नामक राजा उनमें मुख्य हुआ। [[शकुंतला]] से उसे भरत नामक [[मेधावी]] पुत्र उत्पन्न हुआ। उसने दिग्विजय द्वारा एक [[विशाल]] [[साम्राज्य]] की स्थापना की और संभवत: देश को [[भारतवर्ष]] नाम दिया।
 
महान ऋषि [[विश्वामित्र]], कान्यकुब्ज राजवंश के राजा गढ़ी के पुत्र थे जो कि चंद्रवंशी राजा पुरू या पुरूरवा के पुत्र अमावसु के वंशज थे<ref>{{cite book|title=A Classical Dictionary of Hindu Mythology and Religion, Geography, History, and Literature|url=https://books.google.co.in/books?id=UyAHAAAAQAAJ|publisher=Trübner & Company|year=1879|page=364}}</ref>
चंद्रवंशियों की मूल राजधानी प्रतिष्ठान में, [[ययाति]] ने अपने छोटे लड़के पुरु को उसके [[व्यवहार]] से प्रसन्न होकर - कहा जाता है कि उसने अपने [[पिता]] की आज्ञा से उसके सुखोपभोग के लिये अपनी [[युवावस्था]] दे दी और उसका [[बुढ़ापा]] ले लिया - राज्य दे दिया। फिर [[अयोध्या]] के ऐक्ष्वाकुओं के दबाव के कारण प्रतिष्ठान के चंद्रवंशियों ने अपना राज्य खो दिया। परंतु [[रामचंद्र]] के युग के बाद पुन: उनके उत्कर्ष की बारी आई और एक बार फिर यादवों और पौरवों ने अपने पुराने गौरव के अनुरूप आगे बढ़ना शुरू कर दिया। [[मथुरा]] से [[द्वारका]] तक यदुकुल फैल गए और [[अंधक]], [[वृष्णि]], [[कुकुर]] और भोज उनमें मुख्य हुए। [[कृष्ण]] उनके सर्वप्रमुख प्रतिनिधि थे। बरार और उसके दक्षिण में भी उनकी शाखाएँ फैल गई। पांचाल में पौरवों का राजा [[सुदास]] अत्यंत प्रसिद्ध हुआ। उसकी बढ़ती हुई [[शक्ति]] से सशंक होकर पश्चिमोत्तर भारत के [[दस]] रा[[जा]]<nowiki/>ओं ने एक [[संघ]] बनाया और [[परुष्णी]] (रावी) के किनारे उनका सुदास से [[युद्ध]] हुआ, जिसे दाशराज्ञ युद्ध कहते हैं और जो [[ऋग्वेद]] की प्रमुख कथाओं में एक का विषय है। किंतु विजय सुदास की ही हुई। थोड़े ही दिनों बाद पौरव वंश के ही राजा संवरण और उसके पुत्र कुरु का युग आया। कुरु के ही नाम से कुरु वंश प्रसिद्ध हुआ, उस के वंशज [[कौरव]] कहलाए और आगे चलकर [[दिल्ली]] के पास [[इंद्रप्रस्थ]] और [[हस्तिनापुर]] उनके दो प्रसिद्ध [[नगर]] हुए। कौरवों और पांडवों का विख्यात [[महाभारत]] युद्ध भारतीय [[इतिहास]] की विनाशकारी घटना सिद्ध हुआ। सारे भारतवर्ष के राजाओं ने उसमें भाग लिया। पांडवों की विजय तो हुई, परंतु वह नि:सार विजय थी। उस युद्ध का समय प्राय: 1400 ई.पू. माना जाता है। उसके बाद अनेक [[सूर्यवंशी]] अथवा चंद्रवंशी राजवंश शासन तो करते रहे पर न तो उनका पूर्ण और ब्योरेवार इतिहास ही मिलता है और न वे बहुत शक्तिशाली ही थे। ई.पू. छठी सदी में [[मगध]] साम्राज्य के विकास तक राजनीतिक इतिहास का एक प्रकार से अंधकार युग था और धीरे-धीरे प्राचीन राजवंशों के आनुश्रुतिक युग का [[अंत]] हो गया।
 
इसके साथ ही हूंणो का आक्रमण हुआ। और उनको क्षत्रिय की उपाधि दी गयी तथा सनातन धर्म का हिस्सा बनाया गया। फिर क्षत्रीय जाट राजपूत गुुुर्जर यादव मराठा मेंं टूट गए। राजपूतों के वर्चस्व ने चंद्रवंशी क्षत्रियों को हाशिये पर ला खड़ा किया तथा इनको पीछे धकेल दिया।
इला के वंशज,चंद्रवंशी या अइला कहलाए जो कि प्राचीन भारत का एक राजवंश था जिसकी नींव बुध के पुत्र पुरू या पुरुरवा ने रखी थी।<ref>[https://books.google.com/books?id=w9pmo51lRnYC&pg=PA17&dq=aila+Ila&hl=en&ei=MoazTte5DYnYsga-4eTSAw&sa=X&oi=book_result&ct=result&resnum=4&ved=0CEIQ6AEwAw#v=onepage&q=aila%20Ila&f=false Encyclopaedia of the Hindu world, Volume 1 By Gaṅgā Rām Garg]</ref>
इनमे अनेक जातियां आती हैं, जैसे यादव, गुर्जर, जाट,राजपूत, खत्री, सोलंकी, कुशवाहा, मराठा हैं।
 
==संदर्भ==
{{reflist}}