"नेहरू–गांधी परिवार": अवतरणों में अंतर

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== उत्पत्ति का संक्षिप्त इतिहास ==
नेहरू परिवार का सम्बन्ध मूलत: [[कश्मीर]] से है। नेहरू ने अपनी [[आत्मकथा]] '''मेरी कहानी''' में इस बात का उल्लेख किया है कि स्वयं [[फर्रुख़ सियर|फर्रुखसियर]]<ref>{{cite book |last1=नेहरू |first1=जवाहरलाल|authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=मेरी कहानी |url=http://www.worldcat.org/title/meri-kahani/oclc/58907011?referer=di&ht=edition|format= |accessdate= |edition=6|series= |volume=2 |date= |year=1984 |month= |origyear= |publisher= सस्ता साहित्य |location=[[नई दिल्ली]] |language=हिन्दी |isbn= |oclc=58907011 |doi= |id= |page=9 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote= |ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref> ने उनके पुरखों को सन् सत्रह सौ सोलह के आसपास [[दिल्ली]] लाकर बसाया था। दिल्ली के [[चाँदनी चौक]] में उन दिनों एक [[नहर]] हुआ करती थी। नहर के किनारे बस जाने के कारण उनका परिवार नेहरू के नाम से मशहूर हो गया।
 
जवाहरलाल नेहरु केअपने दादा गंगाधर नेहरूके मूलतःविषय मुस्लिममें थेनेहरू और उनका वास्तविकने नामलिखा गयासुद्दीनहै गाजीकि था.वे [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|अठारह सौ सत्तावन के गदर]] के कुछ पहले दिल्ली के कोतवाल थे। गदर में हुई भयंकर मारकाट की वजह से उनका परिवार पूरी तरह बर्बाद हो गया और खानदान के तमाम कागज़-पत्र और दस्तावेज़ तहस-नहस हो गये,गये। एवंइस गयासुद्दीनतरह गाजीअपना अपनेसब परिवारकुछ खो चुकने के साथबाद ,अपनीउनका जानपरिवार बचानेदिल्ली केछोड़ने लिएवाले हिन्दूऔर वेषकई धारणलोगों करकेके दिल्लीसाथ वहाँ से भागकरचल पड़ा और [[कश्मीरआगरा]]में जाकर बस गया।और गयासुद्दीन गाजी ने अपना नाम गंगाधर नेहरू कर लिया, उन्होंने सिर्फ जान बचाने के लिए नाम बदला,अपना मुस्लिम धर्म नहीं बदला ।गया।
 
अठारह सौ इकसठ में चौंतिस साल की भरी जवानी में ही वह मर गये। अपने दादा गंगाधर की एक छोटी सी तस्वीर का जिक्र करते हुए नेहरू ने लिखा है कि वे मुगलिया लिबास पहने किसी [[मुगल]] सरदार जैसे लगते थे।<ref>{{cite book |last1=नेहरू|first1=जवाहरलाल|authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=मेरी कहानी |url=http://www.worldcat.org/title/meri-kahani/oclc/58907011?referer=di&ht=edition|format= |accessdate= |edition=6|series= |volume=2 |date= |year=1984 |month= |origyear= |publisher=सस्ता साहित्य |location=[[नई दिल्ली]] |language=हिन्दी |isbn= |oclc=58907011 |doi= |id= |page=10 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote= |ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref> वकौल नेहरू उनके दादा की मौत के तीन महीने बाद 1861 में उनके पिता मोतीलाल नेहरू का जन्म आगरे में हुआ। उनके पिता सहित पूरे परिवार की परवरिश उनके चाचा ताऊओं ने की।
 
[[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|1857 के विद्रोह]] से पहले [[मोतीलाल नेहरू|मोतीलाल]] के पिता अर्थात गयासुद्दीन गाजी, मुगल बादशाह [[बहादुरशाह जफर]] के जमाने में दिल्ली के नगर कोतवाल थे।
 
मोतीलाल नेहरू ने पहले वकालत पढ़ी, फिर वकालत की और अन्त में हाईकोर्ट इलाहाबाद आ गये। संयोग से उनके बड़े भाई नन्दलाल नेहरू की मृत्यु हो गयी जिससे उनके सारे मुवक्किल मोतीलाल को मिल गये और उनकी वकालत में पैसा पानी की तरह बरसा। इलाहाबाद में ही उनके बड़े बेटे [[जवाहरलाल नेहरू|जवाहर]] का जन्म हुआ। मोतीलाल नेहरू के मुंशी मुबारक अली<ref>{{cite book |last1=नेहरू |first1=जवाहरलाल|authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=मेरी कहानी |url=http://www.worldcat.org/title/meri-kahani/oclc/58907011?referer=di&ht=edition|format= |accessdate= |edition=6|series= |volume=2 |date= |year=1984 |month= |origyear= |publisher= सस्ता साहित्य |location=[[नई दिल्ली]] |language=हिन्दी |isbn= |oclc=58907011 |doi= |id= |page=18 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote= |ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref> बचपन में बालक जवाहर को पुराने जमाने की कहानियाँ सुनाया करते थे कि किस प्रकार उसके [[गंगाधर नेहरू|दादा]] को बागियों ने अठारह सौ सत्तावन के गदर में तबाह कर दिया। अगर [[मुसलमान|मुसलमानों]] ने उनकी हिफ़ाजत न की होती तो नेहरू खानदान का कहीं नामोनिशान तक न होता।<ref>{{cite book |last1=क्रान्त |first1=मदनलाल वर्मा|authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास |url=http://www.worldcat.org/title/svadhinata-sangrama-ke-krantikari-sahitya-ka-itihasa/oclc/271682218 |format= |accessdate= |edition=1 |series= |volume=2 |date= |year=2006 |month= |origyear= |publisher=प्रवीण प्रकाशन |location=नई दिल्ली |language=हिन्दी |isbn= 81-7783-120-8|oclc= |doi= |id= |page=472 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote= |ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref>
नेहरू–गांधी परिवार का राजनीतिक आधार [[मोतीलाल नेहरू]] (1861-1931) ने रखा था। मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील और स्वतन्त्रता सेनानी थे। मोतीलाल नेहरू के पिता का नाम [[गंगाधर नेहरू वास्तविक-गयासुद्दीन गाजी]] और माँ का नाम जीवरानी था।<ref>{{cite web|title=The Founder of the Nehru Dynasty|trans_title=नेहरू वंश के संस्थापक|publisher=द नवहिन्द टाइम्स|date=23 अप्रैल 2011|accessdate=31 जुलाई 2013|language=अंग्रेज़ी}}</ref> मोतीलाल के पुत्र [[जवाहरलाल नेहरू]] (1889-1964) ने स्वतन्त्रता संग्राम में हिस्सा लिया और 1929 में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये। जवाहरलाल नेहरू [[गांधी|गान्धी]] के काफी करीब थे।
 
नेहरू के कोई [[पुत्र]] न था, उनकी एक पुत्री [[इंदिरा गांधी]] थी। जिनका विवाह [[फिरोज़ गांधी]] से हुआ और इसी पीढ़ी से ये वंश चल रहा है।