"पिंजर (फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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| image =Pinjar film poster.jpg
| caption = '''पिंजर''' का पोस्टर
| producer = [[ट्वेंटिएथ सेंचुरी फ़ॉक्स]]
| producer =
| director = चंद्र प्रकाश द्विवेदी
| director =
| music = [[उत्तम सिंह]]
| story = अमृता प्रीतम
| writer =
| based on = {{based on|''[[पिंजर (उपन्यास)|पिंजर]]''|[[अमृता प्रीतम]]}}
| starring = [[उर्मिला मातोंडकर]], <br />[[मनोज बाजपेयी]], <br />[[संजय सूरी]], <br />[[ईशा कोपिकर]], <br />[[लिलेट दुबे]], <br />[[कुलभूषण खरबंदा]], <br />[[फरीदा ज़लाल]], <br />[[आलोकसंदली नाथसिन्हा]], <br />[[सीमाप्रियांशु बिस्वासचटर्जी]], <br />[[सुधा शिवपुरी]], <br />[[दीना पाठक]], <br />समर जय सिंह, <br />
| screenplay =
| screenplay = चंद्र प्रकाश द्विवेदी
| released =[[2003]]
| released = 24 अक्तूबर, 2003
| country = [[भारत]]
| language = [[हिन्दी]]
| budget =
}}
'''पिंजर''' 2003 में बनी [[हिन्दी भाषा]] की नाट्य फिल्म है। यह चंद्र प्रकाश द्विवेदी द्वारा निर्देशित 2003 की फिल्म है। फिल्म [[भारत के विभाजन]] के दौरान हिंदुओं और मुसलमानों की समस्याओं के बारे में है। फिल्म [[अमृता प्रीतम]] द्वारा लिखित [[[[पिंजर (उपन्यास)|इसी नाम के]] एक पंजाबी उपन्यास पर आधारित है। [[उर्मिला मातोंडकर]], [[मनोज बाजपेयी]] और [[संजय सूरी]] प्रमुख भूमिकाओं में हैं। आलोचकों की प्रशंसा के अलावा, फिल्म ने राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए [[राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार]] जीता जीता।था।
 
== संक्षेप ==
यह कहानी 1947 के विभाजन के समय की है। पिंजर पूरो ([[उर्मिला मातोंडकर]]) की कहानी है, जो अपने परिवार के साथ एक सुंदर जीवन जी रही होती है। पूरो का रिश्ता एक प्यारे जवान लड़के, रामचन्द ([[संजय सूरी]]) के साथ तय हो जाता है जो एक होनहार परिवार से है। पूरो की खुशियाँ तब बिखर जाती है जब वह अपनी छोटी बहन रज्जो ([[ईशा कोपिकर]]) के साथ एक इत्मीनान यात्रा पर जाती है और एक रहस्यमय मुस्लिम आदमी, रशीद ([[मनोज बाजपेयी]]), उसका अपहरण कर लेता है। रशीद के परिवार और पूरो के परिवार के बीच एक पुश्तैनी विवाद है। पूरो के परिवार ने रशीद के परिवार की संपत्ति लेकर उन्हे बेघर कर दिया था। और तो और पूरो के भव्य चाचा ने रशीद की भव्य चाची का अपहरण कर लिया और फिर उसे अपवित्र कर के उसे छोड़ दिया था। रशीद के परिवार ने उसे वह बदला चुकाने के लिये पूरो का अपहरण करने कि कसम खिलायी थी। लेकिन उसके मन मे पूरो के प्रति बहुत इज्जत और प्रेम भी होता है। यह स्पष्ट है कि रशीद पूरो के लिए कुछ भी करने को तैयार है। एक रात, पूरो भागने और अपने माता - पिता के पास वापस जाने में सफल होती है। उसके घर वाले उसे नही अपनाते, यह कहकर की उसके कारण उनकी समाज मे इज़्ज़त नहीं रहेगी। जब वह जिन्दगी से हारकर अपनी जान देने जाती है तब राशिद उसे रोक लेता है। बिना किसी सहारे के पूरो रशीद के पास वापस आ जाती है। रशीद उसके भागने से अच्छी तरह से वाकिफ था, क्योंकी उसे पता था कि उसके माता पिता उसे अपनायेंगे नहीं और इसलिये वह पास ही इंतजार कर रहा था।
 
कुछ ही महीनों के बाद पूरो का परिवार रज्जो की शादी रामचंद के चचेरे भाई से करा देते हैं और रामचंद की छोटी बहन, लाजो ([[संदली सिन्हा]]) की शादी उनके पुत्र त्रिलोक ([[प्रियांशु चटर्जी]]) से। इस बीच रशीद पूरो जिसका नाम अब हमीदा है से निकाह कर लेता है और वे सड़क पर मिले एक बच्चे को अपना कर उसे बहुत स्नेह और प्यार से पालते हैं। जब गांव के लोगों को पता चलता है कि बच्चा हिन्दू पृष्ठभूमि से है तो वे उसे दोनों से दूर ले जाते हैं। ब्रिटिश सरकार भारत छोड़ जाती है और भारत विभाजन के प्रभाव से जूझ रहा होता है। रामचंद के चाचा, चचेरे भाई और रज्जो भारत के लिए पहले निकल जाते हैं और सुरक्षित हैं। रामचंद और उसके माता पिता और लाजो दंगों में फंस जाते हैं। रामचंद के पिता पहले से ही गायब हैं और रामचंद तुरंत अपनी छोटी बहन लाजो और माँ के साथ भारत के लिए निकल जाता है। कुछ ही समय बाद, गुंडे लाजो का अपहरण कर लेते हैं। पूरो रामचंद से मिलती है, जो उसे लाजो का दुखड़ा सुनाता है। पूरो लाजो का पता ढूंढती है और उसे रशीद की सहायता से भागने में मदद करती है। वे उसे लाहौर ले जाते हैं जहाँ त्रिलोक और रामचंद उसे लेने के लिए आते हैं।
 
त्रिलोक और उसकी बहन पूरो का पुर्नमिलन होता है और वह उसे बताता है कि रामचंद अब भी उसे स्वीकार करने के लिए तैयार है और वह नए सिरे से जिंदगी शुरू कर सकती है। पूरो मना करके उसे आश्चर्यचकित कर देती है और कहती है कि वह वहीं है जहाँ उसे होना चाहिये। यह देखकर कि पूरो ने रशीद को स्वीकार कर लिया है, रामचंद पूरो को जबरदस्त सहानुभूति के साथ बढ़ावा देता है। पूरो को अपने लोगों के साथ आसानी से छोड़ने के लिए राशीद धीरे-धीरे गायब होने की कोशिश करता है, लेकिन उसका दिल टूट जाता है क्योंकि वह उसे दिलो-जान से चाहता है। फिर भी पूरो रशीद को ढूँढ लेती है और दोनों ​​डबडबाई आँखों से हमेशा के लिए रामचंद, त्रिलोक और लाजो को विदा कर देते हैं।
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* [[मनोज बाजपेयी]] - रशीद
* [[संजय सूरी]]- रामचंद
* [[संदली सिन्हा]] - लाजो
* [[प्रियांशु चटर्जी]] - त्रिलोक
* [[ईशा कोपिकर]] - रज्जो
* [[लिलेट दुबे]] - तारा, पूरो की माँ
* [[कुलभूषण खरबंदा]] - मोहनलाल
* [[फरीदा ज़लाल]] - रामचंद की माँ
* [[आलोक नाथ]] - श्यामलाल
* [[सीमा बिस्वास]] - पागल औरत
* [[सुधा शिवपुरी]] - रशीद की माँ
* [[दीना पाठक]] - रहीम की आंटी
* [[रोहिताश गौड़]] - रशीद का भाई
* समर जय सिंह
 
== दल ==
== संगीत ==
{{Tracklist
== रोचक तथ्य ==
| heading = गीत
== परिणाम ==
| extra_column = गायक
=== बौक्स ऑफिस ===
| all_music = [[उत्तम सिंह]]
=== समीक्षाएँ ===
| title1 = शबा नि शबा
| extra1 = [[साधना सरगम]], [[उदित नारायण]], [[कविता कृष्णमूर्ति]]
| length1 = 5:41
| lyrics1 = [[गुलज़ार (गीतकार)|गुलज़ार]]
 
| title2 = मार उदारी
| extra2 = [[जसपिंदर नरुला]], प्रीति उत्तम सिंह, अमय डेट
| length2 = 5:27
| lyrics2 = गुलज़ार
 
| title3 = हाथ छूटे
| extra3 = [[जगजीत सिंह]]
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| lyrics3 = गुलज़ार
 
| title4 = वतना वे
| extra4 = [[रूप कुमार राठोड़]]
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| lyrics4 = गुलज़ार
 
| title5 = दर्द मरया
| extra5 = वदाली बंधु, जसपिंदर नरुला
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| lyrics5 = गुलज़ार
 
| title6 = चरखा चलाती माँ
| extra6 = प्रीति उत्तम सिंह
| length6 = 4:57
| lyrics6 = अमृता प्रीतम
 
| title7 = सीता को देखें
| extra7 = [[सुरेश वाडकर]], साधना सरगम
| length7 = 3:11
| lyrics7 = ज़हरा निगाह
 
| title8 = शब्द
| extra8 = प्रीति उत्तम सिंह
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| lyrics8 = पारंपरिक
 
| title9 = वारिस शाह नूँ
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| length9 = 9:05
| lyrics9 = अमृता प्रीतम
}}
 
== नामांकन और पुरस्कार ==
* राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए [[राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* {{imdb title|0347779|पिंजर}}