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'''देवघर''' [[भारत]] के [[झारखंड]] राज्य का एक प्रमुख शहर हैहै। यह यहांशहर हिन्दुओं का प्रसिद्ध [[तीर्थ-स्थल]] रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग है ।है। इस शहर को [[बाबाधाम]] और बैद्यनाथधाम के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि [[शिव पुराण]] में देवघर को बारह [[ज्योतिर्लिंगजोतिर्लिंगों]] में से एक माना गया है। यहाँ भगवान शिव का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर स्थित है। हर सावन में यहाँ लाखों शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है जो देश के विभिन्न हिस्सों सहित विदेशों से भी यहाँ आते हैं। इन भक्तों को [[काँवरिया]] कहा जाता है। ये शिव भक्त [[बिहार]] में [[सुल्तानगंज]] से उतर लवाहिनी [[गंगा]] [[नदी]] से कांवर में [[गंगाजल]] लेकर 105 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर देवघर में भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं। इसलिए भक्तों को [[काँवरिया]] भी कहा जाता है।
 
''झारखंड कुछ प्रमुख तीर्थस्थानों का केंद्र है जिनका ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। इन्हीं में से एक स्थान है देवघर ।देवघर। यह स्थान संथाल परगना के अंतर्गत आता है। ''देवघर शांति और भाईचारे का प्रतीक है। यह एक प्रसिद्ध हेल्थ रिजॉर्ट है। लेकिन इसकी पहचान हिंदु तीर्थस्थान के रूप में की जाती है। यहां बाबा बैद्यनाथ का ऐतिहासिक मंदिर है जो भारत के बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है। माना जाता है कि भगवान शिव को लंका ले जाने के दौरान उनकी स्थापना यहां हुई थी। प्रतिवर्ष श्रावण मास में श्रद्धालु 100 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा करके सुल्तानगंज से पवित्र जल लाते हैं जिससे बाबा बैद्यनाथ का अभिषेक किया जाता है। देवघर की यह यात्रा बासुकीनाथ के दर्शन के साथ सम्पन्न होती है।
देवघर [[भारत]] के [[झारखंड]] राज्य का एक प्रमुख शहर है । यहां हिन्दुओं का प्रसिद्ध [[तीर्थ-स्थल]] रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग है । इस शहर को [[बाबाधाम]] और बैद्यनाथधाम के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि [[शिव पुराण]] में देवघर को बारह [[ज्योतिर्लिंग]] में से एक माना गया है। यहाँ भगवान शिव का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर स्थित है। हर सावन में यहाँ लाखों शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है जो देश के विभिन्न हिस्सों सहित विदेशों से भी यहाँ आते हैं। ये शिव भक्त [[बिहार]] में [[सुल्तानगंज]] से उतर लवाहिनी [[गंगा]] नदी से कांवर में [[गंगाजल]] लेकर 105 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर देवघर में भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं। इसलिए भक्तों को [[काँवरिया]] भी कहा जाता है।
बाबा बैद्यनाथ भारत के बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है। माना जाता है कि एक बार लंकापति रावण कठोर तप करके आशुतोष भगवान शिव को लंका ले जा रहे थे । पर भगवान शिव ने शर्त रखी कि इस दौरान शिवलिंग को जमीन पर न रखा जाए वरना जहां जमीन पर रखा गया वही स्थापित हो जाएगा । कैलाश से लंका यात्रा के दौरान रावण को लघुशंका लगी और उसे शिवलिंग को एक चरवाहे के संभालने देना पड़ा पर विलम्ब होने के कारण चरवाहे ने शिवलिंग को जमीन पर ही रख दिया । इस प्रकार यहाँ इस लिंग की स्थापना हुई ।
 
प्रतिवर्ष श्रावण मास में श्रद्धालु 100 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा करके सुल्तानगंज से पवित्र जल लाते हैं जिससे बाबा बैद्यनाथ का अभिषेक किया जाता है। देवघर की यह यात्रा बासुकीनाथ के दर्शन के साथ सम्पन्न होती है ।
सावन मास में यहां बहुत बड़ा मेला आयोजन होता है । झारखंड सरकार द्वारा इसे राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया गया है ।
 
बैद्यनाथ धाम के अलावा भी यहां कई मंदिर और पर्वत हैं जहां दर्शन कर अपनी इच्छापूर्ति की कामना की जा सकती है।
 
== नाम का उद्गम ==
देवघर शब्द का निर्माण देव + घर हुआ है। यहाँ देव का अर्थ देवी-देवताओं से है और घर का अर्थ निवास स्थान से है। देवघर "बैद्यनाथ धाम", "बाबा धाम" आदि नामों से भी जाना जाता है।<ref>Sacred Complexes of Deoghar and Rajgir - Sachindra Narayan (b. 1974)</ref>
"https://hi.wikipedia.org/wiki/देवघर" से प्राप्त