"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर
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''' भीमराव रामजी आम्बेडकर'''
आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] और [[लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स]] दोनों ही विश्वविद्यालयों से [[अर्थशास्त्र]] में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा [[विधि]], [[अर्थशास्त्र]] और [[राजनीति विज्ञान]] में शोध कार्य भी किये थे।<ref>http://www.hindustantimes.com/india/archives-released-by-lse-reveal-br-ambedkar-s-time-as-a-scholar/story-N2sq6Bm6OlxwQZkz6vBzvM.html</ref> व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता। तब भीमराव भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हो गए और पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।<ref>http://zeenews.india.com/hindi/india/zee-jankari-important-facts-of-dr-bhimrao-ambedkar/288606</ref>
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== प्रारंभिक जीवन ==
[[File:Pictures of Dr Ambedkar's parents - Ramji Ambedkar and Bhimabai.jpg|thumb|भीमराव आम्बेडकर के माता-पिता की तस्वीरे, रामजी सकपाल एवं भीमाबाई सकपाल]]
आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को [[ब्रिटिश भारत]] के मध्य भारत प्रांत (अब [[मध्य प्रदेश]]) में स्थित [[महू]] नगर सैन्य छावनी में हुआ था।<ref>{{cite book |last=Jaffrelot |first=Christophe |title= Dr. Ambedkar and Untouchability: Fighting the Indian Caste System|year= 2005 |publisher= [[Columbia University Press]]|location=New York|isbn= 0-231-13602-1 | page=2}}</ref> वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की १४ वीं व अंतिम संतान थे।<ref name="Columbia">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1890s.html| title = In the 1890s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> उनका परिवार
अपनी जाति के कारण बालक भीम को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। विद्यालयी पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को छुआछूत के कारण अनेका प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ता था। रामजी आम्बेडकर ने सन 1898 में जिजाबाई से पुनर्विवाह कर लिया। 7 नवम्बर 1900 को रामजी सकपाल ने [[सातारा]] की गवर्न्मेण्ट हाइस्कूल में अपने बेटे भीमराव का नाम भिवा रामजी अंबावडेकर दर्ज कराया। भिवा उनके बचपन का नाम था। आम्बेडकर का मूल उपनाम सकपाल की बजाय आंबडवेकर लिखवाया था, जो कि उनके [[आंबडवे]] गांव से संबंधित था। क्योंकी [[कोकण]] प्रांत के लोग अपना उपनाम गांव के नाम से रखते थे, अतः आम्बेडकर के आंबडवे गांव से आंबडवेकर उपनाम स्कूल में दर्ज करवाया गया। बाद में एक देवरुखे [[ब्राह्मण]] शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, ने उनके नाम से ‘आंबडवेकर’ हटाकर अपना सरल ‘आंबेडकर’ उपनाम जोड़ दिया।<ref>https://m.divyamarathi.bhaskar.com/news/MAH-MUM-ambedkars-teacher-family-saving-memories-of-ambedkar-5489831-NOR.html</ref> तब से आज तक वे [[आंबेडकर|आम्बेडकर]] नाम से जाने जाते हैं।
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[[File:Dr. B. R. Ambedkar with his professors and friends from the London School of Economics and Political Science, 1916-17.jpg|thumb|right|250px|लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अपने प्रोफेसरों और दोस्तों के साथ आम्बेडकर (केंद्र रेखा में, दाएं से पहले), 1916 - 17]]
अक्टूबर 1916 में, ये [[लंदन]] चले गये और वहाँ उन्होंने ''ग्रेज़ इन'' में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही [[लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स]] में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की [[डॉक्टरेट]] थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। लौटते समय उनके पुस्तक संग्रह को उस जहाज से अलग जहाज पर भेजा गया था जिसे जर्मन पनडुब्बी के टारपीडो द्वारा डुबो दिया गया। ये [[प्रथम विश्व युद्ध]] का काल था।<ref name="Columbia3" /> उन्हें चार साल के भीतर अपने थीसिस के लिए लंदन लौटने की अनुमति मिली। [[बड़ौदा]] राज्य के सेना सचिव के रूप में काम करते हुये अपने जीवन में अचानक फिर से आये भेदभाव से डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर निराश हो गये और अपनी नौकरी छोड़ एक निजी ट्यूटर और लेखाकार के रूप में काम करने लगे। यहाँ तक कि उन्होंने अपना परामर्श व्यवसाय भी आरंभ किया जो उनकी सामाजिक स्थिति के कारण विफल रहा। अपने एक अंग्रेज जानकार मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम के कारण उन्हें मुंबई के ''सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स'' मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। [[१९२०]] में कोल्हापुर के [[शाहू द्वितीय|शाहू महाराज]], अपने पारसी मित्र के सहयोग और कुछ निजी बचत के सहयोग से वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सफ़ल हो पाए तथा 1921 में विज्ञान स्नातकोत्तर ([[एम॰एससी॰]]) प्राप्त
== छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष ==
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[[भारत सरकार अधिनियम, १९१९|भारत सरकार अधिनियम १९१९]], तैयार कर रही साउथबरो समिति के समक्ष, भारत के एक प्रमुख विद्वान के तौर पर आम्बेडकर को साक्ष्य देने के लिये आमंत्रित किया गया। इस सुनवाई के दौरान, आम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिये पृथक निर्वाचिका और [[आरक्षण]] देने की वकालत की।<ref name=Tejani>{{cite book|last=Tejani|first=Shabnum|title=Indian secularism : a social and intellectual history, 1890-1950|year=2008|publisher=Indiana University Press|location=Bloomington, Ind.|isbn=0253220440|pages=205–210|url=https://books.google.com/books?id=6xtrPKa59j4C&pg=PA205&dq=%22ambedkar%22+%22+Southborough+Committee%22&hl=en&sa=X&ei=UN7mUa2EF8z7rAe_wICABA&ved=0CC8Q6AEwAA#v=onepage&q=%22ambedkar%22%20%22%20Southborough%20Committee%22&f=false|accessdate=17 July 2013|chapter=From Untouchable to Hindu Gandhi, Ambedkar and Depressed class question 1932}}</ref> [[१९२०]] में, बंबई से, उन्होंने साप्ताहिक ''मूकनायक'' के प्रकाशन की शुरूआत की। यह प्रकाशन शीघ्र ही पाठकों मे लोकप्रिय हो गया, तब आम्बेडकर ने इसका प्रयोग रूढ़िवादी हिंदू राजनेताओं व जातीय भेदभाव से लड़ने के प्रति भारतीय राजनैतिक समुदाय की अनिच्छा की आलोचना करने के लिये किया। उनके दलित वर्ग के एक सम्मेलन के दौरान दिये गये भाषण ने कोल्हापुर राज्य के स्थानीय शासक शाहू चतुर्थ को बहुत प्रभावित किया, जिनका आम्बेडकर के साथ भोजन करना रूढ़िवादी समाज मे हलचल मचा गया।<ref name="Jaffrelot">{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |page=4 }}</ref>
बॉम्बे हाईकोर्ट में विधि का अभ्यास करते हुए, उन्होंने अछूतों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उन्हें ऊपर उठाने के प्रयास किये। उनका पहला संगठित प्रयास केंद्रीय संस्थान [[बहिष्कृत हितकारिणी सभा]] की स्थापना था, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के साथ ही अवसादग्रस्त वर्गों के रूप में संदर्भित "बहिष्कार" के कल्याण करना था।<ref>{{cite web |url=http://www.ncdhr.org.in/ncdhr/general-info-misc-pages/dr-ambedkar |title=Dr. Ambedkar |accessdate=12 January 2012 |publisher=National Campaign on Dalit Human Rights |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20121008195805/http://www.ncdhr.org.in/ncdhr/general-info-misc-pages/dr-ambedkar |archivedate=8 October 2012 |df=dmy-all }}</ref> दलित अधिकारों की रक्षा के लिए, उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, प्रबुद्ध भारत और जनता जैसी पांच पत्रिकाएं निकालीं।<ref>{{cite journal|last=Benjamin|first=Joseph|title=B. R. Ambedkar: An Indefatigable Defender of Human Rights|journal=Focus|date=June 2009|volume=56|publisher=Asia-Pacific Human Rights Information Center (HURIGHTS OSAKA)|location=Japan}}</ref>
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आम्बेडकर जब पाँचवी अंग्रेजी कक्षा पढ रहे थे, तब उनकी शादी [[रमाबाई आम्बेडकर| रमाबाई]] से हुई। रमाबाई और भीमराव को पाँच बच्चे भी हुए - जिनमें चार पुत्र: यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न और एक पुत्री: इन्दु थी। किंतु 'यशवंत' को छोड़कर सभी संतानों की बचपन में ही मृत्यु हो गई थीं।
आम्बेडकर
==राजनीतिक जीवन==
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===अनुच्छेद 370 का विरोध===
आम्बेडकर ने भारत के संविधान के [[अनुच्छेद ३७०|अनुच्छेद 370]] का विरोध किया, जिसने
=== समान नागरिक संहिता ===
{{quote box
| quoted = true
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| quote = मैं व्यक्तिगत रूप से समझ नहीं पा रहा हूं कि क्यों धर्म को इस विशाल, व्यापक क्षेत्राधिकार के रूप में दी जानी चाहिए ताकि पूरे जीवन को कवर किया जा सके और उस क्षेत्र पर अतिक्रमण से विधायिका को रोक सके। सब के बाद, हम क्या कर रहे हैं के लिए इस स्वतंत्रता? हमारे सामाजिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए हमें यह स्वतंत्रता हो रही है, जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरा है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करते हैं।<ref name="UCC1">{{cite web|title=Ambedkar with UCC|url=http://www.outlookindia.com/website/story/ambedkar-and-the-uniform-civil-code/221068|publisher=Outlook India|accessdate=14 August 2013}}</ref>}}
{{main|समान नागरिक संहिता}}
आम्बेडकर वास्तव में समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे और कश्मीर के मामले में धारा 370 का विरोध करते थे। आम्बेडकर का भारत आधुनिक, वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत विचारों का देश होता, उसमें पर्सनल कानून की जगह नहीं होती।<ref>{{cite web|url=http://timesofindia.indiatimes.com/india/one-nation-one-code-how-ambedkar-and-others-pushed-for-a-uniform-code-before-partition/articleshow/60370522.cms|title=One nation one code: How Ambedkar and others pushed for a uniform code before Partition}}</ref> संविधान सभा में बहस के दौरान, आम्बेडकर ने एक समान नागरिक संहिता को अपनाने की सिफारिश करके भारतीय समाज में सुधार करने की अपनी इच्छा प्रकट कि।<ref>{{cite web|url=http://www.outlookindia.com/website/story/ambedkar-and-the-uniform-civil-code/221068|title=Ambedkar And The Uniform Civil Code|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160414123716/http://www.outlookindia.com/website/story/ambedkar-and-the-uniform-civil-code/221068|archivedate=14 April 2016|df=dmy-all}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.thehindu.com/news/national/ambedkar-favoured-common-civil-code/article7934565.ece|title=Ambedkar favoured common civil code|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20161128184514/http://www.thehindu.com/news/national/ambedkar-favoured-common-civil-code/article7934565.ece|archivedate=28 November 2016|df=dmy-all}}</ref> 1951 मे संसद में अपने [[हिन्दू कोड बिल]] (हिंदू संहिता विधेयक) के मसौदे को रोके जाने के बाद आम्बेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। हिंदू कोड बिल द्वारा भारतीय महिलाओं को कई अधिकारों प्रदान करने की बात कहीं गई थी। इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की मांग की गयी थी।<ref>{{cite book |last1=Chandrababu |first1=B. S |last2=Thilagavathi |first2=L |title=Woman, Her History and Her Struggle for Emancipation |year=2009 |publisher=Bharathi Puthakalayam |location=Chennai |isbn=8189909975 |pages=297–298 }}</ref> हालांकि प्रधानमंत्री नेहरू, कैबिनेट और कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओं ने इसका समर्थन किया पर राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद एवं वल्लभभाई पटेल समेत संसद सदस्यों की एक बड़ी संख्या इसके खिलाफ़ थी। आम्बेडकर ने 1952 में बॉम्बे (उत्तर मध्य) निर्वाचन क्षेत्र में लोक सभा का चुनाव एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप मे लड़ा पर वह हार गये। इस चुनाव में आम्बेडकर को 123,576 वोट तथा नारायण सडोबा काजोलकर को 138,137 वोटों का मतदान किया गया था।<ref>{{cite book |editor1-first=Vasudha |editor1-last=Dalmia |editor2-first=Rashmi |editor2-last=Sadana |title=The Cambridge Companion to Modern Indian Culture |edition=illustrated |series=Cambridge Companions to Culture |year=2012 |publisher=Cambridge University Press |isbn=0521516250 |page=93 |chapter=The Politics of Caste Identity}}</ref><ref>{{cite book | title=India After Gandhi: The History of the World's Largest Democracy| edition=| first= Ramachandra |last= Guha| year=2008| pages=156| publisher=| isbn=978-0-06-095858-9}}</ref><ref>{{cite web|title=Statistical Report On General Elections, 1951 to The First Lok Sabha: List of Successful Candidates |url=http://eci.nic.in/eci_main/StatisticalReports/LS_1951/VOL_1_51_LS.PDF |pages=83, 12 |publisher=[[Election Commission of India]] |accessdate=24 June 2014 |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20141008191615/http://eci.nic.in/eci_main/StatisticalReports/LS_1951/VOL_1_51_LS.PDF |archivedate=8 October 2014 |df=dmy }}</ref> मार्च 1952 में उन्हें संसद के ऊपरी सदन यानि राज्य सभा के लिए नियुक्त किया गया और इसके बाद उनकी मृत्यु तक वो इस सदन के सदस्य रहे।<ref>{{cite web |first= Rajya |last= Sabha |title= Alphabetical List of All Members of Rajya Sabha Since 1952 |website= Rajya Sabha Secretariat |url=http://164.100.47.5/Newmembers/alphabeticallist_all_terms.aspx |quote= Serial Number 69 in the list |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20100109030114/http://164.100.47.5/Newmembers/alphabeticallist_all_terms.aspx |archivedate= 9 January 2010 |df= dmy-all }}</ref>
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| quote = मैं बुद्ध के धम्म को सबसे अच्छा मानता हूं। इससे किसी धर्म की तुलना नहीं की जा सकती है। यदि एक आधुनिक व्यक्ति जो विज्ञान को मानता है, उसका धर्म कोई होना चाहिए, तो वह धर्म केवल [[बौद्ध धर्म]] ही हो सकता है। सभी धर्मों के घनिष्ठ अध्ययन के पच्चीस वर्षों के बाद यह दृढ़ विश्वास मेरे बीच बढ़ गया है।<ref>http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/ambedkar_buddha/</ref>}}
14 अक्टूबर 1956 को [[नागपुर]] शहर में डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर ने खुद और उनके समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक धर्मांतरण समारोह का आयोजन किया। प्रथम डॉ॰ आम्बेडकर ने अपनी पत्नी सविता एवं कुछ सहयोगियों के साथ भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी द्वारा पारंपरिक तरीके से [[त्रिरत्न]] और [[पंचशील]] को अपनाते हुये [[बौद्ध धर्म]] ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने अपने 5,00,000 अनुयायियो को [[त्रिरत्न]], [[पंचशील]] और 22 प्रतिज्ञाएँ देते हुए [[नवयान]] बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया।<ref name="Columbia7"/> वे देवताओं के संजाल को तोड़कर एक ऐसे मुक्त मनुष्य की कल्पना कर रहे थे जो धार्मिक तो हो लेकिन ग़ैर-बराबरी को जीवन मूल्य न माने। हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक किया जा सके इसलिए आम्बेडकर ने अपने बौद्ध अनुयायियों के लिए [[बाइस प्रतिज्ञाएँ]] स्वयं निर्धारित कीं जो बौद्ध धर्म का एक सार एवं दर्शन है। यह प्रतिज्ञाएं हिंदू धर्म की त्रिमूर्ति में अविश्वास, अवतारवाद के खंडन, श्राद्ध-तर्पण, पिंडदान के परित्याग, बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों में विश्वास, ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह न भाग लेने, मनुष्य की समानता में विश्वास, बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग के अनुसरण, प्राणियों के प्रति दयालुता, चोरी न करने, झूठ न बोलने, शराब के सेवन न करने, असमानता पर आधारित हिंदू धर्म का त्याग करने और बौद्ध धर्म को अपनाने से संबंधित थीं।<ref>http://thewirehindi.com/21396/bhimrao-ambedkar-buddhism-dalit-dhammadeeksha/amp/</ref> [[नवयान]] लेकर आम्बेडकर और उनके समर्थकों ने विषमतावादी [[हिन्दू धर्म]] और [[हिन्दू दर्शन]] की स्पष्ट निंदा की और उसे त्याग दिया। आम्बेडकर ने दुसरे दिन 15 अक्टूबर को फीर वहाँ अपने 2 से 3 लाख अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी, यह वह अनुयायि थे जो 14 अक्तुबर के समारोह में नहीं पहुच पाये थे या देर से पहुचे थे। आम्बेडकर ने नागपूर में करीब 8 लाख लोगों बौद्ध धर्म की दीक्षा दी, इसलिए यह भूमी [[दीक्षाभूमि]] नाम से प्रसिद्ध हुई। तिसरे दिन 16 अक्टूबर को आम्बेडकर [[चंद्रपुर]] गये और वहां भी उन्होंने करीब 3,00,000 समर्थकों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी।<ref name="Columbia7"/><ref>{{cite web| last = Sinha| first = Arunav|url=http://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/Monk-who-witnessed-Ambedkars-conversion-to-Buddhism/articleshow/46925826.cms| title = Monk who witnessed Ambedkar’s conversion to Buddhism| deadurl=no| archiveurl=https://web.archive.org/web/20150417154149/http://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/Monk-who-witnessed-Ambedkars-conversion-to-Buddhism/articleshow/46925826.cms| archivedate = 17 April 2015| df = dmy-all}}</ref> इस तरह केवल तीन में आम्बेडकर ने स्वयं 11 लाख से अधिक लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित कर विश्व के बौद्धों की संख्या 11 लाख बढा दी और [[भारत में बौद्ध धर्म]] को पुनर्जिवीत किया। इस घटना से कई लोगों एवं बौद्ध देशों में से अभिनंदन प्राप्त हुए। इसके बाद वे [[नेपाल]] में चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन मे भाग लेने के लिए [[काठमांडू]] गये। वहां वह काठमांडू शहर की दलित बस्तियों में गए थे। नेपाल का आंबेडकरवादी आंदोलन, दलित नेताओं द्वारा संचालित किया जाता है, तथा नेपाल के अधिकांश दलित नेता यह मानते हैं कि "आम्बेडकर का दर्शन" ही जातिगत भेदभाव को मिटाने में सक्षम है।<ref>[https://www.forwardpress.in/2014/06/nepals-dalits-should-turn-to-ambedkar-gahatraj-hindi/ आंबेडकर से जुड़ें नेपाल के दलित : गहतराज]</ref><ref name="Docker"/> उन्होंने अपनी अंतिम पांडुलिपि ''[[बुद्ध]] या [[कार्ल मार्क्स]]'' को [[2 दिसंबर]] [[1956]] को पूरा किया।<ref>[http://www.ambedkar.org/ambcd/20.Buddha%20or%20Karl%20Marx.htm Buddha or Karl Marx – Editorial Note in the source publication: Babasaheb Ambedkar: Writings and Speeches, Vol. 3] {{webarchive|url=https://web.archive.org/web/20120319041541/http://www.ambedkar.org/ambcd/20.Buddha%20or%20Karl%20Marx.htm |date=19 March 2012 }}. Ambedkar.org. Retrieved on 12 August 2012.</ref>
==निधन==
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==पुस्तकें व अन्य रचनाएँ==
{{मुख्य|भीमराव आम्बेडकर द्वारा लिखित किताबें व अन्य रचनाएँ}}
भीमराव आम्बेडकर प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। [[भीमराव आम्बेडकर द्वारा लिखित किताबें व अन्य रचनाएँ|32 किताबें और मोनोग्राफ (''22 पुर्ण तथा 10 अधुरी किताबें''), 10 ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य, 10 अनुसंधान दस्तावेज, लेखों और पुस्तकों की समीक्षा एवं 10 प्रस्तावना और भविष्यवाणियां]] इतनी सारी उनकी अंग्रेजी भाषा की रचनाएँ हैं।<ref>{{Cite book|title=प्रज्ञा महामानवाची (खंड २)|last=जाधव|first=डॉ. नरेंद्र|publisher=ग्रंथाली|year=24 अक्तुबर 2012|isbn=9789380092300|location=|pages=344-350|language=मराठी}}</ref> उन्हें ग्रारह भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें [[मराठी भाषा|मराठी]] (मातृभाषा), [[अंग्रेजी]], [[हिन्दी]], [[पालि]], [[संस्कृत]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[जर्मन]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]], [[फ्रेंच]], [[कन्नड]] और [[बंगाली भाषा|बंगाली]] ये भाषाएँ शामील है।<ref>{{Cite book|title=माझी आत्मकथा|last=आंबेडकर|first=डॉ. बाबासाहेब|publisher=|year= 2012|isbn=|location=|pages=|language=मराठी}}</ref> आम्बेडकर ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लेखन किया हैं।<ref>{{Cite book|title=बोल महामानवाचे|last=जाधव|first=डॉ. नरेंद्र|publisher=ग्रंथाली|year=24 अक्तुबर 2012|isbn=9789380092300|location=|pages=5|language=मराठी}}</ref> उन्होंने अधिकांश लेखन अंग्रेजी में किया हैं। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के साथ ही, उनके द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे। उनके साहित्यिक रचनाओं को उनके विशिष्ट सामाजिक दृष्टिकोण, और विद्वता के लिए जाना जाता है, जिनमें उनकी दूरदृष्टि और अपने समय के आगे की सोच की झलक मिलती है। आम्बेडकर के ग्रंथ भारत सहित पुरे विश्व में बहुत पढे जाते है। [[भगवान बुद्ध और उनका धम्म]] यह उनका ग्रंथ 'भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ' है तथा बौद्ध देशों में महत्वपुर्ण है।<ref>{{cite book|author=Christopher Queen|editor=Steven M. Emmanuel|title=A Companion to Buddhist Philosophy|url=https://books.google.com/books?id=P_lmCgAAQBAJ |year=2015|publisher=John Wiley & Sons|isbn=978-1-119-14466-3|pages=529–531}}</ref> उनके डि.एस.सी. प्रबंध ''द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन'' से भारत के केन्द्रिय बैंक यानी [[भारतीय रिज़र्व बैंक]] की स्थापना हुई है।<ref>[http://topyaps.com/reserve-bank-of-india-facts-2]</ref><ref> [https://drambedkarbooks.com/tag/dr-ambedkars-role-in-the-formation-of-reserve-bank-of-india/]</ref><ref>http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/RBI290410BC.pdf</ref>
[[महाराष्ट्र]] सरकार के शिक्षा विभाग ने बाबासाहेब आंबेडकर के सम्पूर्ण साहित्य को कई खण्डों में प्रकाशित करने की योजना बनायी है। इसके अन्तर्गत अभी तक ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज’ नाम से 22 खण्ड अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं, और इनकी पृष्ठ संख्या 15 हजार से भी अधिक हैं। इस वृहत योजना के पहले खण्ड का प्रकाशन आम्बेडकर के जन्म दिवस 14 अप्रैल, 1979 को हुआ। ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज’ के खण्डों के महत्व एवं लोकप्रियता को देखते हुए [[भारत सरकार]] के ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के डॉ॰ आम्बेडकर प्रतिष्ठान ने इस खण्डों के हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने की योजना बनायी और इस योजना के अन्तर्गत अभी तक "बाबा साहेब डा. अम्बेडकर: संपूर्ण वाङ्मय" नाम से 21 खण्ड हिन्दी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं।<ref>http://velivada.com/2017/05/01/pdf-21-volumes-of-dr-ambedkar-books-in-hindi/</ref> इन हिन्दी खण्डों के कई संस्करण प्रकाशित किये जा चुके हैं।<ref>https://www.forwardpress.in/2017/02/baba-sahab-dr-ambedkar-ka-srijnatmak-sahity/</ref>
==पत्रकारिता==
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[[नीला रंग]] आम्बेडकर का एक प्रतिक हैं। आम्बेडकर को नीला रंग प्रिय था क्योंकि वह "[[समानता]]" प्रतिक हैं। तथा नीला, [[आकाश]] का रंग हैं जोकि उसकी व्यापकता को दर्शाता हैं, आम्बेडकर का भी यही विजन था और निजी जीवन में भी वह इसका खासा इस्तेमाल करते थे। बाबासाहब की प्रतिमा हमेशा नीले रंग के कोट में दिखती है। 1942 में उन्होंने शेड्यूल्ड कास्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पार्टी की स्थापना की थी, उस पार्टी के झंडे का रंग नीला था और उसके मध्य में [[अशोक चक्र]] स्थित था। इसके बाद 1956 में जब पुरानी पार्टी को खत्म कर [[रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया]] का गठन किया गया तो इसमें भी इसी नीले रंग के झंडे का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने ये रंग महाराष्ट्र के सबसे बड़े दलित वर्ग [[महार]] के झंडे से लिया। अब यह बौद्ध धर्म का अशोकचक्र वाला यह नीला झंडा आम्बेडकर का प्रतिक चिन्ह बन चुका हैं। बाद में [[भारिप बहुजन महासंघ]], [[बहुजन समाज पार्टी]] समेत अन्य सभी आम्बेडकरवादी संगठनों तथा पाटीओं ने भी इसी रंग को अपनाया और इस तरह यह आम्बेडकरवादी बौद्धों (नवबौद्धों) तथा दलितों के प्रतिरोध, संघर्ष और अस्मिता का प्रतीक बन गया। बौद्ध एवं दलित हर मौके पर नीला रंग तथा नीला झंडे का इस्तेमाल करते हैं।<ref>[http://zeenews.india.com/hindi/india/why-blue-colour-is-attached-with-dr-br-ambedkar/391280&hl=en-IN नीला रंग आखिरकार बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर के साथ क्यों जुड़ा है?]</ref><ref>https://www.livemint.com/Politics/vSI3JCDhYrnoBObUCN6h1M/Why-is-blue-the-colour-of-Dalit-resistance.html</ref><ref>https://hindi.firstpost.com/politics/ambedkar-politics-statue-of-br-ambedkar-painted-saffron-has-been-re-painted-blue-ad-104444.html</ref><ref>https://hindi.news18.com/news/knowledge/why-blue-is-the-color-of-dalits-1328481.html</ref>
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1920 के दशक में, लंदन में छात्र के रूप में रहने वाले आम्बेडकर जिस मकान में रहे, वह तिन मंजिला घर महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक संग्रहालय में परिवर्तित कर उसे "अंतर्राष्ट्रीय आम्बेडकर मेमोरियल" में बदल दिया गया है। इसका लोकार्पण [[भारत के प्रधानमंत्री]] [[नरेन्द्र मोदी]] द्वारा 14 नवम्बर 2015 को हुआ हैं।<ref>[http://www.loksatta.com/desh-videsh-news/pm-modi-inaugurate-dr-babasaheb-ambedkars-london-home-1160247/ पंतप्रधानांच्या हस्ते डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांच्या लंडनमधील घराचे लोकार्पण]</ref><ref>[http://m.maharashtratimes.com/international/international-news/pm-narendra-modi-inaugurating-dr-babasaheb-ambedkar-memorial-/articleshow/49782022.cms डॉ. आंबेडकरांच्या लंडनमधील घराचे लोकार्पण]</ref><ref>[http://online3.esakal.com/NewsDetails.aspx?NewsId=5188816461508612005&SectionId=20&SectionName=%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A4%B2&NewsDate=20151115&Provider=&NewsTitle=%E0%A4%A1%E0%A5%89.%20%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%B2%20%E0%A4%98%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%87%20%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A3 डॉ. आंबेडकरांच्या लंडनमधील घराचे लोकार्पण]</ref>
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* [[महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म]]
* [[नवबौद्ध]]
== सन्दर्भ ==
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