"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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}}
''' भीमराव रामजी आम्बेडकर'''{{efn|भीमराव आम्बेडकर के उपनाम की मूल व सही वर्तनी "आंबेडकर" [मराठी शब्द, अंग्रेजी में: Āmbēdkar] हैं, जिसे (शुद्ध) हिन्दी में "आम्बेडकर" भी लिखा जाता है। इसके अलावा "अम्बेडकर/ अंबेडकर" या "अम्बेदकर/ अंबेदकर" यह उनके उपनाम की गलत वर्तनीयाँ हैं।}} ([[14 अप्रैल]], [[1891]] – [[6 दिसंबर]], [[1956]]), '''बाबासाहब आम्बेडकर'''{{efn|भीमराव आम्बेडकर को सन्मान से लोग "बाबासाहेब" [मूल मराठी शब्द] बुलाते हैं, जिसे हिन्दी में "बाबासाहब" या "बाबासाहिब" कहां जाता है।}} नाम से लोकप्रिय, भारतीय [[बहुज्ञ]], [[विधिवेत्ता]], [[अर्थशास्त्री]], [[राजनीतिज्ञ]], और [[भारतीय समाजसुधारक|समाजसुधारक]] थे।<ref>{{cite web|url=http://indianexpress.com/photos/india-news/br-ambedkars-anniversary-his-quotes-on-gender-politics-and-untouchability-4970611/|title=BR Ambedkar’s anniversary: His quotes on gender, politics and untouchability}}</ref> उन्होंने [[दलित बौद्ध आंदोलन]] को प्रेरित किया और [[अछूत|अछूतों]] ([[दलित|दलितों]]) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था।<ref>http://www.firstpost.com/politics/rescuing-ambedkar-from-pure-dalitism-he-wouldve-been-indias-best-prime-minister-2195498.html</ref><ref>https://feminisminindia.com/2017/04/14/br-ambedkar-hindi/</ref> वे स्वतंत्र भारत के [[क़ानून एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार|प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री]], [[भारत का संविधान| भारतीय संविधान]] के जनक एवं [[भारत गणराज्य]] के निर्माता थे।<ref>http://www.dnaindia.com/analysis/standpoint-do-we-really-respect-dr-ambedkar-or-is-it-mere-lip-service-2040352</ref><ref>http://www.deccanchronicle.com/140415/nation-politics/article/now-dr-br-ambedkar-narendra-modi-quiver</ref><ref>https://www.telegraphindia.com/1150216/jsp/frontpage/story_3660.jsp#.WKrDXmXbvIV</ref><ref>http://www.freepressjournal.in/india/milestones-achieved-by-dr-babasaheb-ambedkar/823227</ref>
 
आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] और [[लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स]] दोनों ही विश्वविद्यालयों से [[अर्थशास्त्र]] में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा [[विधि]], [[अर्थशास्त्र]] और [[राजनीति विज्ञान]] में शोध कार्य भी किये थे।<ref>http://www.hindustantimes.com/india/archives-released-by-lse-reveal-br-ambedkar-s-time-as-a-scholar/story-N2sq6Bm6OlxwQZkz6vBzvM.html</ref> व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता। तब भीमराव भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हो गए और पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।<ref>http://zeenews.india.com/hindi/india/zee-jankari-important-facts-of-dr-bhimrao-ambedkar/288606</ref>
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== प्रारंभिक जीवन ==
[[File:Pictures of Dr Ambedkar's parents - Ramji Ambedkar and Bhimabai.jpg|thumb|भीमराव आम्बेडकर के माता-पिता की तस्वीरे, रामजी सकपाल एवं भीमाबाई सकपाल]]
आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को [[ब्रिटिश भारत]] के मध्य भारत प्रांत (अब [[मध्य प्रदेश]]) में स्थित [[महू]] नगर सैन्य छावनी में हुआ था।<ref>{{cite book |last=Jaffrelot |first=Christophe |title= Dr. Ambedkar and Untouchability: Fighting the Indian Caste System|year= 2005 |publisher= [[Columbia University Press]]|location=New York|isbn= 0-231-13602-1 | page=2}}</ref> वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की १४ वीं व अंतिम संतान थे।<ref name="Columbia">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1890s.html| title = In the 1890s| format = PHP| accessdate = 2006-08-02}}</ref> उनका परिवार [[कबीर पंथ|कबीर पंथी]] व [[मराठी भाषा|मराठी]] मूूल का था और वो वर्तमान [[महाराष्ट्र]] के [[रत्नागिरी]] जिले में [[आंबडवे]] गांव का निवासी था।<ref>{{cite web|url=https://scroll.in/article/859984/whats-in-a-name-those-who-invoke-ambedkar-are-complicit-in-a-forgetting-much-like-gandhi|title=What’s in a name?: Those who invoke Ambedkar are complicit in a forgetting, much like Gandhi}}</ref> वे [[हिंदू]] [[महार]] जाति से संबंध रखते थे, जो तब [[अछूत]] कही जाती थी और इस कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव सहन करना पड़ता था।<ref>{{cite web |work=[[Encyclopædia Britannica]] |url=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/357931/Mahar |title=Mahar |publisher=britannica.com |accessdate=12 January 2012 |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20111130060042/http://www.britannica.com/EBchecked/topic/357931/Mahar |archivedate=30 November 2011 |df=dmy-all }}</ref> भीमराव आम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय से [[ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी]] की सेना में कार्यरत रहे थे और उनके पिता रामजी सकपाल, [[भारतीय सेना]] की [[महू]] छावनी में सेवारत थे तथा यहां काम करते हुये वे सुबेदार के पद तक पहुँचे थे। उन्होंने [[मराठी]] और [[अंग्रेजी]] में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी।<ref>{{cite book|last=Ahuja|first=M. L.|title=Eminent Indians : administrators and political thinkers|year=2007|publisher=Rupa|location=New Delhi|isbn=8129111071|pages=1922–1923|url=https://books.google.com/books?id=eRLLxV9_EWgC&pg=PA1922|accessdate=17 July 2013|chapter=Babasaheb Ambedkar|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20161223004804/https://books.google.com/books?id=eRLLxV9_EWgC&pg=PA1922|archivedate=23 December 2016|df=dmy-all}}</ref>
 
अपनी जाति के कारण बालक भीम को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। विद्यालयी पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को छुआछूत के कारण अनेका प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ता था। रामजी आम्बेडकर ने सन 1898 में जिजाबाई से पुनर्विवाह कर लिया। 7 नवम्बर 1900 को रामजी सकपाल ने [[सातारा]] की गवर्न्मेण्ट हाइस्कूल में अपने बेटे भीमराव का नाम भिवा रामजी अंबावडेकर दर्ज कराया। भिवा उनके बचपन का नाम था। आम्बेडकर का मूल उपनाम सकपाल की बजाय आंबडवेकर लिखवाया था, जो कि उनके [[आंबडवे]] गांव से संबंधित था। क्योंकी [[कोकण]] प्रांत के लोग अपना उपनाम गांव के नाम से रखते थे, अतः आम्बेडकर के आंबडवे गांव से आंबडवेकर उपनाम स्कूल में दर्ज करवाया गया। बाद में एक देवरुखे [[ब्राह्मण]] शिक्षक कृष्णा महादेव आंबेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, ने उनके नाम से ‘आंबडवेकर’ हटाकर अपना सरल ‘आंबेडकर’ उपनाम जोड़ दिया।<ref>https://m.divyamarathi.bhaskar.com/news/MAH-MUM-ambedkars-teacher-family-saving-memories-of-ambedkar-5489831-NOR.html</ref> तब से आज तक वे [[आंबेडकर|आम्बेडकर]] नाम से जाने जाते हैं।
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[[File:Dr. B. R. Ambedkar with his professors and friends from the London School of Economics and Political Science, 1916-17.jpg|thumb|right|250px|लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अपने प्रोफेसरों और दोस्तों के साथ आम्बेडकर (केंद्र रेखा में, दाएं से पहले), 1916 - 17]]
 
अक्टूबर 1916 में, ये [[लंदन]] चले गये और वहाँ उन्होंने ''ग्रेज़ इन'' में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही [[लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स]] में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की [[डॉक्टरेट]] थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। लौटते समय उनके पुस्तक संग्रह को उस जहाज से अलग जहाज पर भेजा गया था जिसे जर्मन पनडुब्बी के टारपीडो द्वारा डुबो दिया गया। ये [[प्रथम विश्व युद्ध]] का काल था।<ref name="Columbia3" /> उन्हें चार साल के भीतर अपने थीसिस के लिए लंदन लौटने की अनुमति मिली। [[बड़ौदा]] राज्य के सेना सचिव के रूप में काम करते हुये अपने जीवन में अचानक फिर से आये भेदभाव से डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर निराश हो गये और अपनी नौकरी छोड़ एक निजी ट्यूटर और लेखाकार के रूप में काम करने लगे। यहाँ तक कि उन्होंने अपना परामर्श व्यवसाय भी आरंभ किया जो उनकी सामाजिक स्थिति के कारण विफल रहा। अपने एक अंग्रेज जानकार मुंबई के पूर्व राज्यपाल लॉर्ड सिडनेम के कारण उन्हें मुंबई के ''सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स'' मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। [[१९२०]] में कोल्हापुर के [[शाहू द्वितीय|शाहू महाराज]], अपने पारसी मित्र के सहयोग और कुछ निजी बचत के सहयोग से वो एक बार फिर से इंग्लैंड वापस जाने में सफ़ल हो पाए तथा 1921 में विज्ञान स्नातकोत्तर ([[एम॰एससी॰]]) प्राप्त की, जिसके लिए उन्होंने 'प्रोवेन्शियल डीसेन्ट्रलाईज़ेशन ऑफ इम्पीरियल फायनेन्स इन ब्रिटिश इण्डिया' (ब्रिटिश भारत में शाही अर्थ व्यवस्था का प्रांतीय विकेंद्रीकरण) खोज ग्रन्थ प्रस्तुत किया था।<ref>https://books.google.co.in/books/about/Provincial_Decentralization_of_Imperial.html?id=LdRBswEACAAJ&redir_esc=y</ref><ref>https://www.dnaindia.com/india/report-london-school-of-economics-releases-br-ambedkar-archives-2175964</ref><ref>https://m.hindustantimes.com/india/archives-released-by-lse-reveal-br-ambedkar-s-time-as-a-scholar/story-N2sq6Bm6OlxwQZkz6vBzvM.html</ref>की। 1922 में, उन्हें ग्रेज इन ने बैरिस्टर-एट-लॉज डिग्री प्रदान की और उन्हें ब्रिटिश बार में [[बैरिस्टर]] के रूप में प्रवेश मिल गया। 1923 में, उन्होंने अर्थशास्त्र में [[डी॰एससी॰]] (डॉक्टर ऑफ साईंस) उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस "दी प्राब्लम आफ दि रुपी: इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन" (रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान) पर थी।<ref name="firstpost.com"/> लंदन का अध्ययन पूर्ण कर भारत वापस लौटते हुये भीमराव आम्बेडकर तीन महीने [[जर्मनी]] में रुके, जहाँ उन्होंने अपना अर्थशास्त्र का अध्ययन, [[बॉन विश्वविद्यालय]] में जारी रखा। किंतु समय की कमी से वे विश्वविद्यालय में अधिक नहीं ठहर सकें। उनकी तीसरी और चौथी डॉक्टरेट्स (एलएल॰डी॰, कोलंबिया विश्वविद्यालय, 1952 और डी॰लिट॰, उस्मानिया विश्वविद्यालय, 1953) सम्मानित उपाधियाँ थीं।<ref>{{cite web|url=https://books.google.com/books?id=Wx218EFVU8MC&pg=PA163&lpg=PA163&dq=ambedkar%20D'Litt&source=bl&ots=8x9u7TVg4j&sig=1sDv8tzWRC3mZNB-IQNxlO6K7Nc&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwi7spXG94rNAhWp8YMKHYcDDRQQ6AEIXjAO#v=onepage&q=ambedkar%20D'Litt&f=false|title=Dalit Movement in India and Its Leaders, 1857-1956|first=Rāmacandra|last=Kshīrasāgara|date=1 January 1994|publisher=M.D. Publications Pvt. Ltd.|accessdate=2 November 2016|via=Google Books}}</ref>
 
== छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष ==
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[[भारत सरकार अधिनियम, १९१९|भारत सरकार अधिनियम १९१९]], तैयार कर रही साउथबरो समिति के समक्ष, भारत के एक प्रमुख विद्वान के तौर पर आम्बेडकर को साक्ष्य देने के लिये आमंत्रित किया गया। इस सुनवाई के दौरान, आम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिये पृथक निर्वाचिका और [[आरक्षण]] देने की वकालत की।<ref name=Tejani>{{cite book|last=Tejani|first=Shabnum|title=Indian secularism : a social and intellectual history, 1890-1950|year=2008|publisher=Indiana University Press|location=Bloomington, Ind.|isbn=0253220440|pages=205–210|url=https://books.google.com/books?id=6xtrPKa59j4C&pg=PA205&dq=%22ambedkar%22+%22+Southborough+Committee%22&hl=en&sa=X&ei=UN7mUa2EF8z7rAe_wICABA&ved=0CC8Q6AEwAA#v=onepage&q=%22ambedkar%22%20%22%20Southborough%20Committee%22&f=false|accessdate=17 July 2013|chapter=From Untouchable to Hindu Gandhi, Ambedkar and Depressed class question 1932}}</ref> [[१९२०]] में, बंबई से, उन्होंने साप्ताहिक ''मूकनायक'' के प्रकाशन की शुरूआत की। यह प्रकाशन शीघ्र ही पाठकों मे लोकप्रिय हो गया, तब आम्बेडकर ने इसका प्रयोग रूढ़िवादी हिंदू राजनेताओं व जातीय भेदभाव से लड़ने के प्रति भारतीय राजनैतिक समुदाय की अनिच्छा की आलोचना करने के लिये किया। उनके दलित वर्ग के एक सम्मेलन के दौरान दिये गये भाषण ने कोल्हापुर राज्य के स्थानीय शासक शाहू चतुर्थ को बहुत प्रभावित किया, जिनका आम्बेडकर के साथ भोजन करना रूढ़िवादी समाज मे हलचल मचा गया।<ref name="Jaffrelot">{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |page=4 }}</ref>
 
आम्बेडकर ने एक धाराशास्त्री के रूप में काम जारी रखा। 1926 में, उन्होंने तीन गैर-ब्राह्मण नेताओं का बचाव किया; जिन्होंने ब्राह्मण समुदाय के ऊपर भारत को बर्बाद करने का आरोप लगाया था। बाद में उनके ऊपर ब्राह्मणों का अपमान करने के लिए मुकदमा चलाया गया था। [[धनंजय कीर|धनञ्जय कीर]] के अनुसार "डॉक्टर साहब एवं मुद्दई, दोनों की ही सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से जीत बढ़ती जा रही थी।"<ref>https://books.google.co.in/books?id=B-2d6jzRmBQC&pg=PA64&lpg=PA64&dq=The+victory+was+resounding,+both+socially+and+individually,+for+the+clients+and+the+Doctor.%22&source=bl&ots=x0ADO6j2Z_&sig=Vkz0UuGhJS3RUaYqwsP94XHGQj0&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwiv_7HX_svdAhUVWysKHa2FBpUQ6AEwAHoECAUQAQ#v=onepage&q=The%20victory%20was%20resounding%2C%20both%20socially%20and%20individually%2C%20for%20the%20clients%20and%20the%20Doctor.%22&f=false</ref>
 
बॉम्बे हाईकोर्ट में विधि का अभ्यास करते हुए, उन्होंने अछूतों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उन्हें ऊपर उठाने के प्रयास किये। उनका पहला संगठित प्रयास केंद्रीय संस्थान [[बहिष्कृत हितकारिणी सभा]] की स्थापना था, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के साथ ही अवसादग्रस्त वर्गों के रूप में संदर्भित "बहिष्कार" के कल्याण करना था।<ref>{{cite web |url=http://www.ncdhr.org.in/ncdhr/general-info-misc-pages/dr-ambedkar |title=Dr. Ambedkar |accessdate=12 January 2012 |publisher=National Campaign on Dalit Human Rights |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20121008195805/http://www.ncdhr.org.in/ncdhr/general-info-misc-pages/dr-ambedkar |archivedate=8 October 2012 |df=dmy-all }}</ref> दलित अधिकारों की रक्षा के लिए, उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, प्रबुद्ध भारत और जनता जैसी पांच पत्रिकाएं निकालीं।<ref>{{cite journal|last=Benjamin|first=Joseph|title=B. R. Ambedkar: An Indefatigable Defender of Human Rights|journal=Focus|date=June 2009|volume=56|publisher=Asia-Pacific Human Rights Information Center (HURIGHTS OSAKA)|location=Japan}}</ref>
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आम्बेडकर जब पाँचवी अंग्रेजी कक्षा पढ रहे थे, तब उनकी शादी [[रमाबाई आम्बेडकर| रमाबाई]] से हुई। रमाबाई और भीमराव को पाँच बच्चे भी हुए - जिनमें चार पुत्र: यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न और एक पुत्री: इन्दु थी। किंतु 'यशवंत' को छोड़कर सभी संतानों की बचपन में ही मृत्यु हो गई थीं।
आम्बेडकर ने कहां है की, उनका जीवन तीन गुरुओं और तीन उपास्यों से बना है। उन्होंने जिन तीन महान व्यक्तियों को अपना [[गुरु]] मानामानते उनमेंथे। उनके पहले गुरु थे [[तथागत]] [[गौतम बुद्ध]], दूसरे थे [[संत]] [[कबीर]] और तीसरे गुरु थे [[महात्मा]] [[ज्योतिबा फुले]] थे। उनके तीन उपास्य (देवता) थे — ज्ञान, स्वाभिमान व शील।<ref>[https://hindi.news18.com/news/nation/important-facts-about-baba-sahib-bheem-rao-ambedkar-1188525.html जाने कैसे बाबा साहेब ने बुद्ध के तीन सूत्रों को लोकप्रिय नारों में बदल दिया]</ref><ref>[https://www.jansatta.com/sunday-column/ambedkar-statue-at-sppu-univ-shows-new-clay-model-to-critics-before-casting-bronze/90463/]</ref><ref>[https://www.nationalindianews.in/india/dr-br-ambedkar/]</ref><ref>[http://sainimali.com/jyotibaPhule.aspx]</ref>
 
==राजनीतिक जीवन==
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===अनुच्छेद 370 का विरोध===
आम्बेडकर ने भारत के संविधान के [[अनुच्छेद ३७०|अनुच्छेद 370]] का विरोध किया, जिसने [[जम्मू-कश्मीर]] राज्य को विशेष दर्जा दिया, और जिसे उनकी इच्छाओं के खिलाफ संविधान में शामिल किया गया था। [[बलराज माधोक]] ने कहा था कि, आम्बेडकरअम्बेडकर ने कश्मीरी नेता [[शेख अब्दुल्ला]] को स्पष्ट रूप से बताया था: "आप चाहते हैं कि भारत को आपकी सीमाओं की रक्षा करनी चाहिए, उसे आपके क्षेत्र में सड़कों का निर्माण करना चाहिए, उसे आपको अनाज की आपूर्ति करनी चाहिए, और कश्मीर को भारत के समान दर्जा देना चाहिए। लेकिन भारत सरकार के पास केवल सीमित शक्तियां होनी चाहिए और भारतीय लोगों को कश्मीर में कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। इस प्रस्ताव को सहमति देने के लिए, मैं भारत के कानून मंत्री के रूप में भारत के हितों के खिलाफ एक विश्वासघाती बात होंगी, यह कभी नहीं करेगा। "फिर अब्दुल्ला ने नेहरू से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें [[गोपाल स्वामी अयंगार]] को निर्देशित किया, जिन्होंने बदले में [[वल्लभभाई पटेल]] से संपर्क किया और कहा कि नेहरू ने स्के का वादा किया था। अब्दुल्ला विशेष स्थिति। पटेल द्वाराको अनुच्छेद पारित किया गया, जबकि नेहरू एक विदेश दौरे पर थे। जिस दिन लेख चर्चा के लिए आया था, आम्बेडकर ने इस पर सवालों का जवाब नहीं दिया लेकिन अन्य लेखों पर भाग लिया। सभी तर्क कृष्णा स्वामी अयंगार द्वारा किए गए थे।<ref name=Jamanadas>{{cite web |last=amanadas |first=Dr. K. |title=Kashmir Problem From Ambedkarite Perspective |url=http://www.ambedkar.org/jamanadas/KashmirProblem1.htm |publisher=ambedkar.org |accessdate=17 September 2013 |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20131004225153/http://www.ambedkar.org/jamanadas/KashmirProblem1.htm |archivedate=4 October 2013 |df=dmy-all }}</ref><ref>{{cite book|last=Sehgal|first=Narender|title=Converted Kashmir: Memorial of Mistakes|year=1994|publisher=Utpal Publications|location=Delhi|url=http://www.kashmir-information.com/ConvertedKashmir/Chapter26.html|accessdate=17 September 2013|chapter=Chapter 26: Article 370|deadurl=yes|archiveurl=https://web.archive.org/web/20130905070936/http://www.kashmir-information.com/ConvertedKashmir/Chapter26.html|archivedate=5 September 2013|df=dmy-all}}</ref><ref>{{cite web|last=Tilak |title=Why Ambedkar refused to draft Article 370 |url=http://india.indymedia.org/en/2003/08/6710.shtml |archive-url=https://web.archive.org/web/20040207095529/http://www.india.indymedia.org/en/2003/08/6710.shtml |dead-url=yes |archive-date=7 February 2004 |publisher=Indymedia India |accessdate=17 September 2013 }}</ref>
 
=== समान नागरिक संहिता ===
{{main|समान नागरिक संहिता}}
 
{{quote box
| quoted = true
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| quote = मैं व्यक्तिगत रूप से समझ नहीं पा रहा हूं कि क्यों धर्म को इस विशाल, व्यापक क्षेत्राधिकार के रूप में दी जानी चाहिए ताकि पूरे जीवन को कवर किया जा सके और उस क्षेत्र पर अतिक्रमण से विधायिका को रोक सके। सब के बाद, हम क्या कर रहे हैं के लिए इस स्वतंत्रता? हमारे सामाजिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए हमें यह स्वतंत्रता हो रही है, जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरा है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करते हैं।<ref name="UCC1">{{cite web|title=Ambedkar with UCC|url=http://www.outlookindia.com/website/story/ambedkar-and-the-uniform-civil-code/221068|publisher=Outlook India|accessdate=14 August 2013}}</ref>}}
 
{{main|समान नागरिक संहिता}}
आम्बेडकर वास्तव में समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे और कश्मीर के मामले में धारा 370 का विरोध करते थे। आम्बेडकर का भारत आधुनिक, वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत विचारों का देश होता, उसमें पर्सनल कानून की जगह नहीं होती।<ref>{{cite web|url=http://timesofindia.indiatimes.com/india/one-nation-one-code-how-ambedkar-and-others-pushed-for-a-uniform-code-before-partition/articleshow/60370522.cms|title=One nation one code: How Ambedkar and others pushed for a uniform code before Partition}}</ref> संविधान सभा में बहस के दौरान, आम्बेडकर ने एक समान नागरिक संहिता को अपनाने की सिफारिश करके भारतीय समाज में सुधार करने की अपनी इच्छा प्रकट कि।<ref>{{cite web|url=http://www.outlookindia.com/website/story/ambedkar-and-the-uniform-civil-code/221068|title=Ambedkar And The Uniform Civil Code|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160414123716/http://www.outlookindia.com/website/story/ambedkar-and-the-uniform-civil-code/221068|archivedate=14 April 2016|df=dmy-all}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.thehindu.com/news/national/ambedkar-favoured-common-civil-code/article7934565.ece|title=Ambedkar favoured common civil code|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20161128184514/http://www.thehindu.com/news/national/ambedkar-favoured-common-civil-code/article7934565.ece|archivedate=28 November 2016|df=dmy-all}}</ref> 1951 मे संसद में अपने [[हिन्दू कोड बिल]] (हिंदू संहिता विधेयक) के मसौदे को रोके जाने के बाद आम्बेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। हिंदू कोड बिल द्वारा भारतीय महिलाओं को कई अधिकारों प्रदान करने की बात कहीं गई थी। इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की मांग की गयी थी।<ref>{{cite book |last1=Chandrababu |first1=B. S |last2=Thilagavathi |first2=L |title=Woman, Her History and Her Struggle for Emancipation |year=2009 |publisher=Bharathi Puthakalayam |location=Chennai |isbn=8189909975 |pages=297–298 }}</ref> हालांकि प्रधानमंत्री नेहरू, कैबिनेट और कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओं ने इसका समर्थन किया पर राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद एवं वल्लभभाई पटेल समेत संसद सदस्यों की एक बड़ी संख्या इसके खिलाफ़ थी। आम्बेडकर ने 1952 में बॉम्बे (उत्तर मध्य) निर्वाचन क्षेत्र में लोक सभा का चुनाव एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप मे लड़ा पर वह हार गये। इस चुनाव में आम्बेडकर को 123,576 वोट तथा नारायण सडोबा काजोलकर को 138,137 वोटों का मतदान किया गया था।<ref>{{cite book |editor1-first=Vasudha |editor1-last=Dalmia |editor2-first=Rashmi |editor2-last=Sadana |title=The Cambridge Companion to Modern Indian Culture |edition=illustrated |series=Cambridge Companions to Culture |year=2012 |publisher=Cambridge University Press |isbn=0521516250 |page=93 |chapter=The Politics of Caste Identity}}</ref><ref>{{cite book | title=India After Gandhi: The History of the World's Largest Democracy| edition=| first= Ramachandra |last= Guha| year=2008| pages=156| publisher=| isbn=978-0-06-095858-9}}</ref><ref>{{cite web|title=Statistical Report On General Elections, 1951 to The First Lok Sabha: List of Successful Candidates |url=http://eci.nic.in/eci_main/StatisticalReports/LS_1951/VOL_1_51_LS.PDF |pages=83, 12 |publisher=[[Election Commission of India]] |accessdate=24 June 2014 |deadurl=yes |archiveurl=https://web.archive.org/web/20141008191615/http://eci.nic.in/eci_main/StatisticalReports/LS_1951/VOL_1_51_LS.PDF |archivedate=8 October 2014 |df=dmy }}</ref> मार्च 1952 में उन्हें संसद के ऊपरी सदन यानि राज्य सभा के लिए नियुक्त किया गया और इसके बाद उनकी मृत्यु तक वो इस सदन के सदस्य रहे।<ref>{{cite web |first= Rajya |last= Sabha |title= Alphabetical List of All Members of Rajya Sabha Since 1952 |website= Rajya Sabha Secretariat |url=http://164.100.47.5/Newmembers/alphabeticallist_all_terms.aspx |quote= Serial Number 69 in the list |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20100109030114/http://164.100.47.5/Newmembers/alphabeticallist_all_terms.aspx |archivedate= 9 January 2010 |df= dmy-all }}</ref>
 
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| quote = मैं बुद्ध के धम्म को सबसे अच्छा मानता हूं। इससे किसी धर्म की तुलना नहीं की जा सकती है। यदि एक आधुनिक व्यक्ति जो विज्ञान को मानता है, उसका धर्म कोई होना चाहिए, तो वह धर्म केवल [[बौद्ध धर्म]] ही हो सकता है। सभी धर्मों के घनिष्ठ अध्ययन के पच्चीस वर्षों के बाद यह दृढ़ विश्वास मेरे बीच बढ़ गया है।<ref>http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/ambedkar_buddha/</ref>}}
 
14 अक्टूबर 1956 को [[नागपुर]] शहर में डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर ने खुद और उनके समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक धर्मांतरण समारोह का आयोजन किया। प्रथम डॉ॰ आम्बेडकर ने अपनी पत्नी सविता एवं कुछ सहयोगियों के साथ भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी द्वारा पारंपरिक तरीके से [[त्रिरत्न]] और [[पंचशील]] को अपनाते हुये [[बौद्ध धर्म]] ग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने अपने 5,00,000 अनुयायियो को [[त्रिरत्न]], [[पंचशील]] और 22 प्रतिज्ञाएँ देते हुए [[नवयान]] बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया।<ref name="Columbia7"/> वे देवताओं के संजाल को तोड़कर एक ऐसे मुक्त मनुष्य की कल्पना कर रहे थे जो धार्मिक तो हो लेकिन ग़ैर-बराबरी को जीवन मूल्य न माने। हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक किया जा सके इसलिए आम्बेडकर ने अपने बौद्ध अनुयायियों के लिए [[बाइस प्रतिज्ञाएँ]] स्वयं निर्धारित कीं जो बौद्ध धर्म का एक सार एवं दर्शन है। यह प्रतिज्ञाएं हिंदू धर्म की त्रिमूर्ति में अविश्वास, अवतारवाद के खंडन, श्राद्ध-तर्पण, पिंडदान के परित्याग, बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों में विश्वास, ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह न भाग लेने, मनुष्य की समानता में विश्वास, बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग के अनुसरण, प्राणियों के प्रति दयालुता, चोरी न करने, झूठ न बोलने, शराब के सेवन न करने, असमानता पर आधारित हिंदू धर्म का त्याग करने और बौद्ध धर्म को अपनाने से संबंधित थीं।<ref>http://thewirehindi.com/21396/bhimrao-ambedkar-buddhism-dalit-dhammadeeksha/amp/</ref> [[नवयान]] लेकर आम्बेडकर और उनके समर्थकों ने विषमतावादी [[हिन्दू धर्म]] और [[हिन्दू दर्शन]] की स्पष्ट निंदा की और उसे त्याग दिया। आम्बेडकर ने दुसरे दिन 15 अक्टूबर को फीर वहाँ अपने 2 से 3 लाख अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी, यह वह अनुयायि थे जो 14 अक्तुबर के समारोह में नहीं पहुच पाये थे या देर से पहुचे थे। आम्बेडकर ने नागपूर में करीब 8 लाख लोगों बौद्ध धर्म की दीक्षा दी, इसलिए यह भूमी [[दीक्षाभूमि]] नाम से प्रसिद्ध हुई। तिसरे दिन 16 अक्टूबर को आम्बेडकर [[चंद्रपुर]] गये और वहां भी उन्होंने करीब 3,00,000 समर्थकों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी।<ref name="Columbia7"/><ref>{{cite web| last = Sinha| first = Arunav|url=http://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/Monk-who-witnessed-Ambedkars-conversion-to-Buddhism/articleshow/46925826.cms| title = Monk who witnessed Ambedkar’s conversion to Buddhism| deadurl=no| archiveurl=https://web.archive.org/web/20150417154149/http://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/Monk-who-witnessed-Ambedkars-conversion-to-Buddhism/articleshow/46925826.cms| archivedate = 17 April 2015| df = dmy-all}}</ref> इस तरह केवल तीन में आम्बेडकर ने स्वयं 11 लाख से अधिक लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित कर विश्व के बौद्धों की संख्या 11 लाख बढा दी और [[भारत में बौद्ध धर्म]] को पुनर्जिवीत किया। इस घटना से कई लोगों एवं बौद्ध देशों में से अभिनंदन प्राप्त हुए। इसके बाद वे [[नेपाल]] में चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन मे भाग लेने के लिए [[काठमांडू]] गये। वहां वह काठमांडू शहर की दलित बस्तियों में गए थे। नेपाल का आंबेडकरवादी आंदोलन, दलित नेताओं द्वारा संचालित किया जाता है, तथा नेपाल के अधिकांश दलित नेता यह मानते हैं कि "आम्बेडकर का दर्शन" ही जातिगत भेदभाव को मिटाने में सक्षम है।<ref>[https://www.forwardpress.in/2014/06/nepals-dalits-should-turn-to-ambedkar-gahatraj-hindi/ आंबेडकर से जुड़ें नेपाल के दलित : गहतराज]</ref><ref name="Docker"/> उन्होंने अपनी अंतिम पांडुलिपि ''[[बुद्ध]] या [[कार्ल मार्क्स]]'' को [[2 दिसंबर]] [[1956]] को पूरा किया।<ref>[http://www.ambedkar.org/ambcd/20.Buddha%20or%20Karl%20Marx.htm Buddha or Karl Marx&nbsp;– Editorial Note in the source publication: Babasaheb Ambedkar: Writings and Speeches, Vol. 3] {{webarchive|url=https://web.archive.org/web/20120319041541/http://www.ambedkar.org/ambcd/20.Buddha%20or%20Karl%20Marx.htm |date=19 March 2012 }}. Ambedkar.org. Retrieved on 12 August 2012.</ref>
 
==निधन==
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==पुस्तकें व अन्य रचनाएँ==
{{मुख्य|भीमराव आम्बेडकर द्वारा लिखित किताबें व अन्य रचनाएँ}}
भीमराव आम्बेडकर प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। आम्बेडकर को पढने में बहोत रूची थी तथा वह लेखन में भी रूची रखते थे। इसके चलते उन्होंने मुंबई के घर "[[राजगृह (घर)|राजगृह]]" में ही एक समृद्ध ग्रंथालय का निर्माण किया था, जिसमें 50 हजार से भी अधिक किताबें थी। अपने लेखन द्वारा उन्होंने दलितों व देश की समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने लिखे हुए महत्वपूर्ण ग्रंथो में, 'अनहिलेशन ऑफ कास्ट', 'द बुद्ध अँड हिज धम्म', 'कास्ट इन इंडिया', 'हू वेअर द शूद्राज?', 'रिडल्स इन हिंदुइझम' आदि शामिल हैं। [[भीमराव आम्बेडकर द्वारा लिखित किताबें व अन्य रचनाएँ|32 किताबें और मोनोग्राफ (''22 पुर्ण तथा 10 अधुरी किताबें''), 10 ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य, 10 अनुसंधान दस्तावेज, लेखों और पुस्तकों की समीक्षा एवं 10 प्रस्तावना और भविष्यवाणियां]] इतनी सारी उनकी अंग्रेजी भाषा की रचनाएँ हैं।<ref>{{Cite book|title=प्रज्ञा महामानवाची (खंड २)|last=जाधव|first=डॉ. नरेंद्र|publisher=ग्रंथाली|year=24 अक्तुबर 2012|isbn=9789380092300|location=|pages=344-350|language=मराठी}}</ref> उन्हें ग्रारह भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें [[मराठी भाषा|मराठी]] (मातृभाषा), [[अंग्रेजी]], [[हिन्दी]], [[पालि]], [[संस्कृत]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[जर्मन]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]], [[फ्रेंच]], [[कन्नड]] और [[बंगाली भाषा|बंगाली]] ये भाषाएँ शामील है।<ref>{{Cite book|title=माझी आत्मकथा|last=आंबेडकर|first=डॉ. बाबासाहेब|publisher=|year= 2012|isbn=|location=|pages=|language=मराठी}}</ref> आम्बेडकर ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लेखन किया हैं।<ref>{{Cite book|title=बोल महामानवाचे|last=जाधव|first=डॉ. नरेंद्र|publisher=ग्रंथाली|year=24 अक्तुबर 2012|isbn=9789380092300|location=|pages=5|language=मराठी}}</ref> उन्होंने अधिकांश लेखन अंग्रेजी में किया हैं। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के साथ ही, उनके द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे। उनके साहित्यिक रचनाओं को उनके विशिष्ट सामाजिक दृष्टिकोण, और विद्वता के लिए जाना जाता है, जिनमें उनकी दूरदृष्टि और अपने समय के आगे की सोच की झलक मिलती है। आम्बेडकर के ग्रंथ भारत सहित पुरे विश्व में बहुत पढे जाते है। [[भगवान बुद्ध और उनका धम्म]] यह उनका ग्रंथ 'भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ' है तथा बौद्ध देशों में महत्वपुर्ण है।<ref>{{cite book|author=Christopher Queen|editor=Steven M. Emmanuel|title=A Companion to Buddhist Philosophy|url=https://books.google.com/books?id=P_lmCgAAQBAJ |year=2015|publisher=John Wiley & Sons|isbn=978-1-119-14466-3|pages=529–531}}</ref> उनके डि.एस.सी. प्रबंध ''द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन'' से भारत के केन्द्रिय बैंक यानी [[भारतीय रिज़र्व बैंक]] की स्थापना हुई है।<ref>[http://topyaps.com/reserve-bank-of-india-facts-2]</ref><ref> [https://drambedkarbooks.com/tag/dr-ambedkars-role-in-the-formation-of-reserve-bank-of-india/]</ref><ref>http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/RBI290410BC.pdf</ref>
 
भीमराव आम्बेडकर प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। [[भीमराव आम्बेडकर द्वारा लिखित किताबें व अन्य रचनाएँ|32 किताबें और मोनोग्राफ (''22 पुर्ण तथा 10 अधुरी किताबें''), 10 ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य, 10 अनुसंधान दस्तावेज, लेखों और पुस्तकों की समीक्षा एवं 10 प्रस्तावना और भविष्यवाणियां]] इतनी सारी उनकी अंग्रेजी भाषा की रचनाएँ हैं।<ref>{{Cite book|title=प्रज्ञा महामानवाची (खंड २)|last=जाधव|first=डॉ. नरेंद्र|publisher=ग्रंथाली|year=24 अक्तुबर 2012|isbn=9789380092300|location=|pages=344-350|language=मराठी}}</ref> उन्हें ग्रारह भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें [[मराठी भाषा|मराठी]] (मातृभाषा), [[अंग्रेजी]], [[हिन्दी]], [[पालि]], [[संस्कृत]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[जर्मन]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]], [[फ्रेंच]], [[कन्नड]] और [[बंगाली भाषा|बंगाली]] ये भाषाएँ शामील है।<ref>{{Cite book|title=माझी आत्मकथा|last=आंबेडकर|first=डॉ. बाबासाहेब|publisher=|year= 2012|isbn=|location=|pages=|language=मराठी}}</ref> आम्बेडकर ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लेखन किया हैं।<ref>{{Cite book|title=बोल महामानवाचे|last=जाधव|first=डॉ. नरेंद्र|publisher=ग्रंथाली|year=24 अक्तुबर 2012|isbn=9789380092300|location=|pages=5|language=मराठी}}</ref> उन्होंने अधिकांश लेखन अंग्रेजी में किया हैं। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के साथ ही, उनके द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे। उनके साहित्यिक रचनाओं को उनके विशिष्ट सामाजिक दृष्टिकोण, और विद्वता के लिए जाना जाता है, जिनमें उनकी दूरदृष्टि और अपने समय के आगे की सोच की झलक मिलती है। आम्बेडकर के ग्रंथ भारत सहित पुरे विश्व में बहुत पढे जाते है। [[भगवान बुद्ध और उनका धम्म]] यह उनका ग्रंथ 'भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ' है तथा बौद्ध देशों में महत्वपुर्ण है।<ref>{{cite book|author=Christopher Queen|editor=Steven M. Emmanuel|title=A Companion to Buddhist Philosophy|url=https://books.google.com/books?id=P_lmCgAAQBAJ |year=2015|publisher=John Wiley & Sons|isbn=978-1-119-14466-3|pages=529–531}}</ref> उनके डि.एस.सी. प्रबंध ''द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन'' से भारत के केन्द्रिय बैंक यानी [[भारतीय रिज़र्व बैंक]] की स्थापना हुई है।<ref>[http://topyaps.com/reserve-bank-of-india-facts-2]</ref><ref> [https://drambedkarbooks.com/tag/dr-ambedkars-role-in-the-formation-of-reserve-bank-of-india/]</ref><ref>http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/RBI290410BC.pdf</ref>
;आम्बेडकर के साहित्य के प्रकार:
#उनका वैचारिक लेखन
#अखबार में लेखन
#उनके खत
#उनका शोध लेखन
#उनके भाषण
 
[[महाराष्ट्र]] सरकार के शिक्षा विभाग ने बाबासाहेब आंबेडकर के सम्पूर्ण साहित्य को कई खण्डों में प्रकाशित करने की योजना बनायी है। इसके अन्तर्गत अभी तक ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज’ नाम से 22 खण्ड अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं, और इनकी पृष्ठ संख्या 15 हजार से भी अधिक हैं। इस वृहत योजना के पहले खण्ड का प्रकाशन आम्बेडकर के जन्म दिवस 14 अप्रैल, 1979 को हुआ। ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज’ के खण्डों के महत्व एवं लोकप्रियता को देखते हुए [[भारत सरकार]] के ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के डॉ॰ आम्बेडकर प्रतिष्ठान ने इस खण्डों के हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने की योजना बनायी और इस योजना के अन्तर्गत अभी तक "बाबा साहेब डा. अम्बेडकर: संपूर्ण वाङ्मय" नाम से 21 खण्ड हिन्दी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं।<ref>http://velivada.com/2017/05/01/pdf-21-volumes-of-dr-ambedkar-books-in-hindi/</ref> इन हिन्दी खण्डों के कई संस्करण प्रकाशित किये जा चुके हैं।<ref>https://www.forwardpress.in/2017/02/baba-sahab-dr-ambedkar-ka-srijnatmak-sahity/</ref>
 
===सम्पूर्ण साहित्य की सूची===
बाबासाहेब आम्बेडकर ने राजनीति, अर्थशास्त्र, मानवविज्ञान, धर्म, समाजशास्त्र, कानून, कृषि आदि विषयों पर पुस्तकें हैं। भीमराव आम्बेडकर के सम्पूर्ण लेखन साहित्य की सूची निम्नलिखित हैं।<ref>{{Cite book|title=बोल महामानवाचे|last=जाधव|first=डॉ. नरेंद्र|publisher=ग्रंथाली|year=24 अक्तुबर 2012|isbn=9789380092300|location=|pages=अंतिम पन्ने|language=मराठी}}</ref><ref>[https://drambedkarbooks.com/dr-b-r-ambedkar-books/</ref>
 
==== पुस्तकें ====
[1] एडमिनिस्ट्रेशन एंड फिनांसेज़ ऑफ़ द ईस्ट इंडिया कंपनी ''(एम॰ए॰ की थीसिस)''
[2] द एवोल्यूशन ऑफ़ प्रोविंशियल फिनांसेज़ इन ब्रिटिश इंडिया ''(पीएच॰डी॰ की थीसिस, 1917, 1925 में प्रकाशित)''
[3] दी प्राब्लम आफ दि रुपी : इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन ''(डीएस॰सी॰ की थीसिस, 1923 में प्रकाशित)''
[4] अनाइहिलेशन ऑफ कास्ट्स ([[जाति प्रथा का विनाश]]) ''(मई 1936)''
[5] विच वे टू इमैनसिपेशन ''(मई 1936)''
[6] फेडरेशन वर्सेज़ फ्रीडम ''(1936)''
[7] पाकिस्तान और द पर्टिशन ऑफ़ इण्डिया / थॉट्स ऑन पाकिस्तान ''(1940)''
[8] रानडे, गांधी एंड जिन्नाह ''(1943)''
[9] मिस्टर गांधी एण्ड दी एमेन्सीपेशन ऑफ़ दी अनटचेबल्स (सप्टेबर 1945)
[10] वॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स ? ''(जून 1945)''
[11] कम्यूनल डेडलाक एण्ड अ वे टू साल्व इट ''(मई 1946)''
[12] हू वेर दी शूद्राज़ ? ''(अक्तुबर 1946)''
[13] भारतीय संविधान में परिवर्तन हेतु कैबिनेट मिशन के प्रस्तावों का, अनुसूचित जनजातियों (अछूतों) पर उनके असर के सन्दर्भ में दी गयी समालोचना ''(1946)''
[14] द कैबिनेट मिशन एंड द अंटचेबल्स ''(1946)''
[15] स्टेट्स एण्ड माइनोरीटीज ''(1947)''
[16] महाराष्ट्र एज ए लिंग्विस्टिक प्रोविन्स स्टेट ''(1948)''
[17] द अनटचेबल्स: हू वेर दे आर व्हाय दी बिकम अनटचेबल्स ''(अक्तुबर 1948)''
[18] थॉट्स ऑन लिंगुइस्टिक स्टेट्स: राज्य पुनर्गठन आयोग के प्रस्तावों की समालोचना ''(प्रकाशित 1955)''
[19] [[:en:The Buddha and His Dhamma|द बुद्धा एंड हिज धम्मा]] ([[भगवान बुद्ध और उनका धम्म]]) ''(1957)''
[20] रिडल्स इन हिन्दुइज्म
 
[21] डिक्शनरी ऑफ पाली लॅग्वेज (पालि-इग्लिश)
 
[22] द पालि ग्रामर (पालि व्याकरण)
[23] [[वेटिंग फ़ॉर अ वीज़ा]] ''(आत्मकथा) (1935-1936)''
[24] अ पीपल ऐट बे
[25] द अनटचेबल्स और द चिल्ड्रेन ऑफ़ इंडियाज़ गेटोज़
[26] केन आय बी अ हिन्दू?
 
[27] व्हॉट द ब्राह्मिण्स हैव डन टू द हिन्दुज
 
[28] इसेज ऑफ भगवत गिता
 
[29] इण्डिया एण्ड कम्यूनिज्म
[30] रेवोलोटिओं एंड काउंटर-रेवोलुशन इन एनशियंट इंडिया
[31] द बुद्धा ऑर कार्ल मार्क्स (बुद्ध या कार्ल मार्क्स)
[32] कोन्स्टिट्यूशन एंड कोस्टीट्यूशनलीज़म
 
====ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य====
 
[1] On Franchise and Framing Constituencies मताधिकार एवं निर्वाचन क्षेत्र बनाने के सन्दर्भ में ''(1919)''
[2] Statement of Evidence to the Royal Commission of Indian Currency भारतीय मुद्रा के दिया गया शाही आयुक्तालय को साक्ष्य का बयान ''(1926)''
[3] Protection of the Interests of the Depressed Classes शोषित/वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा पर दिया गया बयान ''(मई 29, 1928)''
[4] State of Education of the Depressed Classes in the Bombay Presidency बम्बई प्रेसीडेंसी में पिछड़े वर्गों में शिक्षा के स्तर के सम्बन्ध में ''(1928)''
[5] Constitution of the Government of Bombay Presidency बम्बई प्रेसीडेंसी सरकार का संविधान ''(मई 17, 1929)''
[6] A Scheme of Political Safeguards for the protection of the Depressed in the Future Constitution of a Self- governing India भविष्य के स्वशासित भारतीय संविधान में पिछड़े वर्गों के लिए राजनैतिक प्रतिरक्षण की योजना ''(1930)''
[7] The Claims of the Depressed Classes for Special Represention पिछड़े वर्गों के विशेष प्रतिनिधित्व की मांग ''(1931)''
[8] Franchise and Tests of Untouchability छुआ-छूत की परख और विशेषाधिकार ''(1932)''
[9] The Cripps Proposals on Constitutional Advancement संवैधानिक प्रगति पर क्रिप्स प्रस्ताव ''(जुलाई 18, 1942)''
[10] Grievances of the Schedule Castes अनुसूचित जातियों की शिकायतें ''(अक्तुबर 29, 1942)''
 
==== अनुसन्धान दस्तावेज, लेख और पुस्तकों की समीक्षा====
[1] [[:en:Castes in India: Their Mechanism, Genesis and Development|कास्ट्स इन इण्डिया : देयर जीनियस, मेकैनिज़म एंड डिवेलपमेंट]] ''(1918)''
[2] Mr. Russel and the Reconstruction of Society मिस्टर रसल एंड द रिकंस्ट्रक्शन ऑफ़ सोसाइटी ''(1918)''
[3] स्माल होलिंग्स इन इंडिया एण्ड देयर रेमिडीज ''(1918)''
[4] करेंसी एंड एक्सचेंजेज़ ''(1925)''
[5] द प्रेजेंट प्रॉब्लम ऑफ द इंडियन करेंसी ''(अप्रैल 1925)''
[6] Report of Taxation Enquiry Committee कराधान जाँच समिति की रिपोर्ट ''(1926)''
[7] Thoughts on the Repform of Legal Education in the Bombay Presidency बम्बई प्रेसीडेंसी में न्यायिक शिक्षा में सुधार पर विचार ''(1936)''
[8] राइजिंग एंड फाल ऑफ हिन्दू वुमन ''(1950)''
[9] Need for checks and Balances नीड फॉर चेक्स एंड बैलेंसेज़ (नियंत्रणों और संतुलनों की आवश्यकता) ''(अप्रैल 23, 1953)''
[10] बुद्ध पूजा पाठ ''(मराठी में) (नवम्बर 1956)''
 
==== प्रस्तावना और भविष्यवाणियां====
[1] Forward to Untouchable Workers of Bombay City अंटचेबल वर्कर्स ऑफ़ बॉम्बे सिटी की प्रस्तावना ''(1938)''
[2] Forward to commodity Exchange पुस्तक: कमोडिटी एक्सचेंज की प्रस्तावना ''(1947)''
[3] Preface to the Essence of Buddhism पुस्तक, द एसेंस ऑफ़ बुद्धिजम की भूमिका ''(1948)''
[4] Forward to Social Insurance and India सोशल इन्शुरन्स एंड इंडिया की प्रस्तावना ''(1948)''
[5] Preface to Rashtra Rakshake Vaidik Sadhan पुस्तक, राष्ट्र रक्षा के वैदिक साधन की भूमिका ''(1948)''
 
===उल्लेखनिय लेख===
आम्बेडकर ने पत्र-पत्रिकाएँ में आदि महत्वपूर्ण व प्रसिद्ध लेख लिखे हैं, उनमें से कुछ निन्मलिखीत हैं।<ref>https://www.forwardpress.in/2017/02/baba-sahab-dr-ambedkar-ka-srijnatmak-sahity/</ref>
 
*आइडिया ऑफ ए नेशन
*फिलॉसॉफी ऑफ हिन्दुइज्म
*सोशल जस्टिस एंड पॉलिटिकल सेफगार्ड ऑफ डिप्रेस्ड क्लासेज
*गांधी एंड गांधीइज्म
*बुद्धिस्ट रेवोल्यूशन एंड काउंटर-रेवोल्यूशन इन एनशिएंट इंडिया
*द डिक्लाइन एंड फॉल ऑफ बुद्धिइज्म इन इंडिया
 
===भाषण===
आम्बेडकर प्रभावी वक्ता थे, उन्होंने विभिन्न विषयों पर कुल 537 भाषण किये हैं। यह भाषण भी आम्बेडकर साहित्य का महत्वपूर्ण भाग हैं। कई भाषणों संकलन कर पुस्तके भी निर्माण कि गई हैं। [[नरेन्द्र जाधव]] की मराठी किताब "बोल महामानवाचे" (हिंदी: बोल महामानव के) में आम्बेडकर के 500 भाषणों का संग्रह हैं।
 
===डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज===
[[महाराष्ट्र]] सरकार के शिक्षा विभाग ने बाबासाहब आम्बेडकर के सम्पूर्ण साहित्य को कई खण्डों में प्रकाशित करने की योजना बनायी है। इसके अन्तर्गत अभी तक "डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज" नाम से 22 खण्ड अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं, और इनकी पृष्ठ संख्या 15 हजार से भी अधिक हैं। इस वृहत योजना के पहले खण्ड का प्रकाशन आम्बेडकर के जन्म दिवस 14 अप्रैल, 1979 को हुआ। ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज’ के खण्डों के महत्व एवं लोकप्रियता को देखते हुए [[भारत सरकार]] के ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के डॉ॰ आम्बेडकर प्रतिष्ठान ने इस खण्डों के हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने की योजना बनायी और इस योजना के अन्तर्गत अभी तक "बाबा साहेब डा. अम्बेडकर: संपूर्ण वाङ्मय" नाम से 21 खण्ड हिन्दी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं।<ref>http://velivada.com/2017/05/01/pdf-21-volumes-of-dr-ambedkar-books-in-hindi/</ref> इन हिन्दी खण्डों के कई संस्करण प्रकाशित किये जा चुके हैं।<ref>https://www.forwardpress.in/2017/02/baba-sahab-dr-ambedkar-ka-srijnatmak-sahity/</ref>
 
==पत्रकारिता==
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[[नीला रंग]] आम्बेडकर का एक प्रतिक हैं। आम्बेडकर को नीला रंग प्रिय था क्योंकि वह "[[समानता]]" प्रतिक हैं। तथा नीला, [[आकाश]] का रंग हैं जोकि उसकी व्‍यापकता को दर्शाता हैं, आम्बेडकर का भी यही विजन था और निजी जीवन में भी वह इसका खासा इस्‍तेमाल करते थे। बाबासाहब की प्रतिमा हमेशा नीले रंग के कोट में दिखती है। 1942 में उन्होंने शेड्यूल्‍ड कास्‍ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पार्टी की स्‍थापना की थी, उस पार्टी के झंडे का रंग नीला था और उसके मध्‍य में [[अशोक चक्र]] स्थित था। इसके बाद 1956 में जब पुरानी पार्टी को खत्‍म कर [[रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया]] का गठन किया गया तो इसमें भी इसी नीले रंग के झंडे का इस्‍तेमाल किया गया। उन्होंने ये रंग महाराष्ट्र के सबसे बड़े दलित वर्ग [[महार]] के झंडे से लिया। अब यह बौद्ध धर्म का अशोकचक्र वाला यह नीला झंडा आम्बेडकर का प्रतिक चिन्ह बन चुका हैं। बाद में [[भारिप बहुजन महासंघ]], [[बहुजन समाज पार्टी]] समेत अन्य सभी आम्बेडकरवादी संगठनों तथा पाटीओं ने भी इसी रंग को अपनाया और इस तरह यह आम्बेडकरवादी बौद्धों (नवबौद्धों) तथा दलितों के प्रतिरोध, संघर्ष और अस्मिता का प्रतीक बन गया। बौद्ध एवं दलित हर मौके पर नीला रंग तथा नीला झंडे का इस्तेमाल करते हैं।<ref>[http://zeenews.india.com/hindi/india/why-blue-colour-is-attached-with-dr-br-ambedkar/391280&hl=en-IN नीला रंग आखिरकार बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर के साथ क्‍यों जुड़ा है?]</ref><ref>https://www.livemint.com/Politics/vSI3JCDhYrnoBObUCN6h1M/Why-is-blue-the-colour-of-Dalit-resistance.html</ref><ref>https://hindi.firstpost.com/politics/ambedkar-politics-statue-of-br-ambedkar-painted-saffron-has-been-re-painted-blue-ad-104444.html</ref><ref>https://hindi.news18.com/news/knowledge/why-blue-is-the-color-of-dalits-1328481.html</ref>
 
''[[भीमयान]]: एक्यपेरियन्स ऑफ अनचलेब्लिटी'' (''भीमयान: छुआछूत का अनुभव'') यह पारदन-गोंड कलाकार दुर्गाबाई व्याम और सुभाष व्याम और लेखकों श्रीविद नटराजन और एस आनंद द्वारा निर्मित आम्बेडकर की एक ग्राफिक जीवनी है। इस पुस्तक में आम्बेडकर द्वारा बचपन से वयस्कता तक छुआछूत के अनुभवों को दर्शाया गया है। सीएनएन ने इसे शीर्ष 5 राजनीतिक कॉमिक किताबों में से एक नाम दिया।<ref>{{cite web |url=http://edition.cnn.com/2011/WORLD/europe/05/19/graphic.novels/index.html |title=The top five political comic books |last1=Calvi |first1=Nuala |date=23 May 2011 |publisher=CNN |accessdate=14 April 2013 |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20130109004845/http://edition.cnn.com/2011/WORLD/europe/05/19/graphic.novels/index.html |archivedate=9 January 2013 |df=dmy-all }}</ref>
 
1920 के दशक में, लंदन में छात्र के रूप में रहने वाले आम्बेडकर जिस मकान में रहे, वह तिन मंजिला घर महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक संग्रहालय में परिवर्तित कर उसे "अंतर्राष्ट्रीय आम्बेडकर मेमोरियल" में बदल दिया गया है। इसका लोकार्पण [[भारत के प्रधानमंत्री]] [[नरेन्द्र मोदी]] द्वारा 14 नवम्बर 2015 को हुआ हैं।<ref>[http://www.loksatta.com/desh-videsh-news/pm-modi-inaugurate-dr-babasaheb-ambedkars-london-home-1160247/ पंतप्रधानांच्या हस्ते डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांच्या लंडनमधील घराचे लोकार्पण]</ref><ref>[http://m.maharashtratimes.com/international/international-news/pm-narendra-modi-inaugurating-dr-babasaheb-ambedkar-memorial-/articleshow/49782022.cms डॉ. आंबेडकरांच्या लंडनमधील घराचे लोकार्पण]</ref><ref>[http://online3.esakal.com/NewsDetails.aspx?NewsId=5188816461508612005&SectionId=20&SectionName=%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A4%B2&NewsDate=20151115&Provider=&NewsTitle=%E0%A4%A1%E0%A5%89.%20%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%80%E0%A4%B2%20%E0%A4%98%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%87%20%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A3 डॉ. आंबेडकरांच्या लंडनमधील घराचे लोकार्पण]</ref>
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* [[महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म]]
* [[नवबौद्ध]]
* [[भीमायन]]
 
== सन्दर्भ ==
===नोट===
{{notelist}}
 
===संदर्भ===
{{टिप्पणीसूची}}