"नील नदी": अवतरणों में अंतर
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संसार की सबसे लम्बी नदी '''नील''' है जो [[अफ्रीका]] की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया से निकलकर विस्तृत [[सहारा मरुस्थल]] के पूर्वी भाग को पार करती हुई उत्तर में [[भूमध्यसागर]] में उतर पड़ती है। यह [[भूमध्य रेखा]] के निकट भारी वर्षा वाले क्षेत्रों से निकलकर दक्षिण से उत्तर क्रमशः [[युगाण्डा]], [[इथियोपिया]], [[सूडान]] एवं [[मिस्र]] से होकर बहते हुए काफी लंबी घाटी बनाती है जिसके दोनों ओर की भूमि पतली पट्टी के रूप में शस्यश्यामला दिखती है। यह पट्टी संसार का सबसे बड़ा मरूद्यान है।<ref>{{cite book |last=प्रसाद |first=सुरेश प्रसाद |title= भौतिक और प्रादेशिक भूगोल |year=जुलाई १९९५ |publisher=भारती भवन |location=पटना |id= |page=११८ |
नील नदी की घाटी का दक्षिणी भाग [[भूमध्य रेखा]] के समीप स्थित है, अतः वहाँ भूमध्यरेखीय जलवायु पायी जाती है। यहाँ वर्ष भर ऊँचा तापमान रहता है तथा वर्षा भी वर्ष भर होती है। वार्षिक वर्षा का औसत २१२ से. मी. है। उच्च तापक्रम तथा अधिक वर्षा के कारण यहाँ भूमध्यरेखीय [[सदाबहार के वन]] पाये जाते हैं। नील नदी के मध्यवर्ती भाग में सवाना तुल्य जलवायु पायी जाती है जो उष्ण परन्तु कुछ विषम है एवं वर्षा की मात्रा अपेक्षाकृत कम है। इस प्रदेश में सवाना नामक [[उष्ण कटिबन्धीय]] घास का मैदान पाया जाता है। यहाँ पाये जाने वाले गोंद देने वाले पेड़ो के कारण सूडान विश्व का सबसे बड़ा गोंद उत्पादक देश है। उत्तरी भाग में वर्षा के अभाव में [[खजूर]], कँटीली झाड़ीयाँ एवं [[बबूल]] आदि मरुस्थलीय वृक्ष मिलते हैं। उत्तर के डेल्टा क्षेत्र में [[भूमध्यसागरीय जलवायु]] पायी जाती है जहाँ वर्षा मुख्यतः जाड़े में होती है।
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