"भीष्म साहनी": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Content deleted Content added
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
|||
पंक्ति 1:
{{आज का आलेख}}
{{ज्ञानसन्दूक लेखक
| नाम
| चित्र
| चित्र आकार
| चित्र शीर्षक
| उपनाम
| जन्मतारीख़ = [[८ अगस्त]] [[१९१५]]
| जन्मस्थान = [[रावलपिंडी]], (तत्कालनी) [[भारत]], वर्तमान [[पाकिस्तान]]
पंक्ति 13:
| राष्ट्रीयता = [[भारत|भारतीय]]
| भाषा = [[हिन्दी]]
| काल
| विधा
| विषय
| आन्दोलन
| पहली कृति =
| प्रभाव डालने वाला = <!--यह लेखक किससे प्रभावित होता है-->
| प्रभावित = <!--यह लेखक किसको प्रभावित करता है-->
| हस्ताक्षर
| जालपृष्ठ
| मुख्य काम
| टीका-टिप्पणी =
}}
[[रावलपिंडी]] [[पाकिस्तान]] में जन्मे '''भीष्म साहनी''' ([[८ अगस्त]] [[१९१५]]- [[११ जुलाई]] [[२००३]]) आधुनिक [[हिन्दी]] साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से थे। [[१९३७]] में लाहौर गवर्नमेन्ट कॉलेज, [[लाहौर]] से अंग्रेजी साहित्य में एम ए करने के बाद साहनी ने [[१९५८]] में [[पंजाब विश्वविद्यालय]] से पीएचडी की उपाधि हासिल की। भारत पाकिस्तान विभाजन के पूर्व अवैतनिक शिक्षक होने के साथ-साथ ये व्यापार भी करते थे। विभाजन के बाद उन्होंने भारत आकर समाचारपत्रों में लिखने का काम किया। बाद में [[भारतीय जन नाट्य संघ]] (इप्टा) से जा मिले। इसके पश्चात [[अंबाला]] और [[अमृतसर]] में भी अध्यापक रहने के बाद [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] में साहित्य के प्रोफेसर बने। [[१९५७]] से [[१९६३]] तक [[मास्को]] में विदेशी भाषा प्रकाशन गृह (फॉरेन लॅग्वेजेस पब्लिकेशन हाउस) में अनुवादक के काम में कार्यरत रहे। यहां उन्होंने करीब दो दर्जन रूसी किताबें जैसे टालस्टॉय आस्ट्रोवस्की इत्यादि लेखकों की किताबों का हिंदी में रूपांतर किया। [[१९६५]] से [[१९६७]] तक दो सालों में उन्होंने नयी कहानियां नामक पात्रिका का सम्पादन किया। वे प्रगतिशील लेखक संघ और अफ्रो-एशियायी लेखक संघ (एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन) से भी जुड़े रहे। [[१९९३]] से ९७ तक वे [[साहित्य अकादमी]] के कार्यकारी समीति के सदस्य रहे।
भीष्म साहनी को हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है।<ref>{{cite web |url= http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_5611338/ |title=प्रेमचंद की परंपरा के लेखक थे भीष्म साहनी|
== प्रमुख रचनाएँ ==
|