'''सुथार''' (संस्कृत : ''सूत्रधार'') [[भारत]] में एक [[जाति]] है। <ref>{{cite web |url= http://www.sutharcommunity.net/history.html
|title=History of Suthar Community
|accessmonthdayaccess-date= फ़रवरी|accessyear= २०१६|format= |work= }}</ref> मूलतः इस जाति के लोगों का काम है [[लकड़ी]] की अन्य वस्तुएँ बनाना है। इस [[जाति]] के लोग [[विश्वकर्मा]] को अपने [[ईष्ट देवता]] मानते हैं। '''सुथार''' शब्द का प्रयोग ज्यादातर [[राजस्थान]] में ही किया जाता है। '''सुथार''' जाति का पारंपरिक काम [[बढ़ई]] होता है। [[बढ़ई]] शब्द का उल्लेख प्राचीन कालों में भी मिलता है। इनकी आबादी भारत में 7.3 करोड़ के आस पास पाई जाती है और ये भारत के सारे राज्यो में पाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तब भगवान विश्वकर्मा जी ने ही सृष्टि की सरंचना या सृष्टि सर्जित की थी ।। जांगिड़ , कुलरिया , बामणिया आदि मुख्य उपजातियां होती है ।।