"भूमि उपयोग": अवतरणों में अंतर

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==भूमि उपयोग नीति==
भारत में पहली बार तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी के प्रयासों द्वारा सन् 1988 में एक राष्ट्रीय भूमि उपयोग नीति बनाई गयी। इसके द्वारा भूमि उपयोग में अवांछित परिवर्तन को अवैध क़रार दिया गया। हालाँकि सत्तर के दशक में ही ज्यादातर राज्यों ने भूमि उपयोग बोर्डों की स्थापना की थी किन्तु इनमें कार्य राष्ट्रीय नीति के बनने के बाद ही शुरू हो पाया और वर्तमानकाल में इनमें से कितने सक्रिय हैं कहा नहीं जा सकता।<ref name="d2e_art">{{cite web |url= http://www.downtoearth.org.in/content/land-use-policy-country-anvil|title= Land use policy for the country on anvil
|access-date= 16 दिसम्बर 2014|last= Mahapatra |first= Richard |authorlink= |coauthorsauthor2= |date= 30|year= 2014 |month= अगस्त |format= |work= |publisher= DownToEarth पत्रिका
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भारत में भूमि उपयोग नीति के मुख्य लक्ष्य थे: भूमि उपयोग का विस्तृत और वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराना, [[राष्ट्रीय वन नीति|वन नीति]] के अनुरूप 33.3% भूमि पर वनावरण स्थापित करना, गैर-कृषि योग्य भूमि के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी को रोकना, बंजर भूमि का विकास कर इसे कृषि लायक बनाना, स्थायी चारागाहों का विकास करना और शस्य गहनता में वृद्धि करना।<ref>{{cite book |last= तिवारी|first= आर॰ सी॰|authorlink= |coauthorsauthor2= |editor= |others= |title= भारत का भूगोल|origdate= origyear= |origmonth= |url= |format= |access-date= 16 12 2014|edition= 6|date= |year=2013 |month= |publisher= प्रवालिका प्रकाशन |location= इलाहाबाद|language= हिन्दी|id= |doi = |pages= 198|chapter= |chapterurl= |quote = }}</ref>
 
वर्ष 2013 में तैयार की गयी [[राष्ट्रीय वन नीति]] इन्हीं उद्देश्यों को आगे बढ़ाने और भूमि संसाधनों के लिये अलग-अलग सेक्टर्स के बीच बढ़ती प्रतियोगिता को नियमित तथा नियंत्रित करने का प्रयास है। नयी नीति के अनुसार देश को मुख्य भूमि उपयोगों के आधार पर छह मण्डलों (ज़ोन्स) में बांटने की योजना है।<ref name="d2e_art" /> ये छह ज़ोन हैं: ग्रामीण एवं कृषि क्षेत्र, रूपान्तरण से गुजार रहे क्षेत्र (जैसे नगरीय उपान्त), नगरीय क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, पारिस्थितिकीय और आपदा-प्रद क्षेत्र। प्रत्येक प्रकार के क्षेत्र के लिये स्थानीय तौर पर अलग ज़रूरतों के मुताबिक अलग तरह के आयोजन तरीकों का उपयोग किया जायेगा। इसके द्वारा कृषि और पारितान्त्रीय संवेदनशीलता वाले क्षेत्रों में भूमि उपयोग परिवर्तन को अपरिवर्तनीय बनाये जाने की योजना भी शामिल है।<ref name="d2e_art" /> यह नीति वर्तमान समय में चल रहे भूमि अधिग्रहण विवादों के कारण भी महत्वपूर्ण है।
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नगरीकरण और भूमि उपयोग परिवर्तनों को समेकित रूप से जलवायु परिवर्तन के सबसे प्रमुख कारक के रूप में भी देखा जाता है किन्तु इनमें से कौन कितना प्रभाव डालता है यह मापन थोड़ा मुश्किल है।<ref>{{cite web |url= http://www.nature.com/nature/journal/v423/n6939/full/nature01675.html|title= http://www.nature.com/nature/journal/v423/n6939/full/nature01675.html
|access-date= दिसम्बर 16 2014|last= Kalnay |first= Eugenia|authorlink= |coauthorsauthor2= Ming Cai|date= |year= |month= |format= |work= |publisher= Neture
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