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|pages=10–18
|url=http://hdl.handle.net/2248/502
|accessdate= 2007-07-21 जुलाई 2007}}</ref>
 
एक ताजा अध्ययन के अनुसार आर्यभट, [[केरल]] के [[चाम्रवत्तम]] (१०उत्तर५१, ७५पूर्व४५) के निवासी थे। अध्ययन के अनुसार अस्मका एक [[जैन धर्म|जैन]] प्रदेश था जो कि [[श्रवणबेलगोला|श्रवणबेलगोल]] के चारों तरफ फैला हुआ था और यहाँ के पत्थर के खम्बों के कारण इसका नाम अस्मका पड़ा। चाम्रवत्तम इस जैन बस्ती का हिस्सा था, इसका प्रमाण है भारतापुझा नदी जिसका नाम जैनों के पौराणिक राजा भारता के नाम पर रखा गया है। आर्यभट ने भी युगों को परिभाषित करते वक्त राजा भारता का जिक्र किया है- दसगीतिका के पांचवें छंद में राजा भारत के समय तक बीत चुके काल का वर्णन आता है। उन दिनों में कुसुमपुरा में एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था जहाँ जैनों का निर्णायक प्रभाव था और आर्यभट का काम इस प्रकार कुसुमपुरा पहुँच सका और उसे पसंद भी किया गया।<ref>[5] ^ आर्यभट की कथित गलती- उनके पर्येवेक्षण के स्थान पर प्रकाश, वर्त्तमान विज्ञान, ग्रन्थ .९३, १२, २५ दिसम्बर २००७, पीपी १८७० -७३.</ref>
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|author = Douglas Harper
|year = 2001
|accessdate = 2007-07-14 जुलाई 2007
}}</ref>
 
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|date = 2001-05
|url = http://www.bartleby.com/65/om/OmarKhay.html
|accessdate =2007-06-10 जून 2007
}}</ref> जिसके संस्करण (१९२५ में संशोधित) आज [[ईरान]] और [[अफगानिस्तान]] में राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में प्रयोग में हैं। जलाली तिथिपत्र अपनी तिथियों का आंकलन वास्तविक सौर पारगमन के आधार पर करता है, जैसा आर्यभट (और प्रारंभिक [[सिद्धांत]] कैलेंडर में था).इस प्रकार के तिथि पत्र में तिथियों की गणना के लिए एक [[पंचांग]] की आवश्यकता होती है।
यद्यपि तिथियों की गणना करना कठिन था, पर [[जलाली तिथिपत्र]] में [[ग्रेगोरियन कैलेंडर|ग्रेगोरी तिथिपत्र]] से कम मौसमी त्रुटियां थी।
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भारत के प्रथम उपग्रह [[आर्यभट (उपग्रह)|आर्यभट]], को उनका नाम दिया गया।[[चंद्र खड्ड]] [[आर्यभट खड्ड|आर्यभट]] का नाम उनके सम्मान स्वरुप रखा गया है। खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान में अनुसंधान के लिए भारत में नैनीताल के निकट एक संस्थान का नाम आर्यभट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान (एआरआईएस) रखा गया है।
 
अंतर्विद्यालयीय [[आर्यभट गणित प्रतियोगिता]] उनके नाम पर है।<ref>{{cite news |title= Maths can be fun |url=http://www.hindu.com/yw/2006/02/03/stories/2006020304520600.htm |publisher=[[द हिन्दू]] |date = 3 फरवरी 2006-02-03|accessdate=6 जुलाई 2007-07-06 }}</ref> ''बैसिलस आर्यभट'', [[इसरो]] के वैज्ञानिकों द्वारा २००९ में खोजी गयी एक बैक्टीरिया की प्रजाति का नाम उनके नाम पर रखा गया है।<ref>[http://www.isro.org/pressrelease/Mar16_2009.htm स्ट्रैटोस्फियर में नए सूक्ष्मजीवों की खोज]. १६ मार्च २००९.इसरो.</ref>
 
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