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DorlandsID = गुर्दा
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[http://www.maabharati.com/2018/11/kidney-human-body-important-organ.html '''वृक्क''' या गुर्दे] का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है। गुर्दे बहुत से [[वर्टिब्रेट]] पशुओं में मिलते हैं। ये मूत्र-प्रणाली के अंग हैं। इनके द्वारा इलेक्त्रोलाइट, क्षार-अम्ल संतुलन और [[रक्तचाप]] का नियामन होता है। इनका मल स्वरुप मूत्र कहलाता है। इसमें मुख्यतः यूरिया और अमोनिया होते हैं।
 
[http://www.maabharati.com/2018/11/kidney-human-body-important-organ.html '''गुर्दे''' युग्मित अंग] होते हैं, जो कई कार्य करते हैं। ये अनेक प्रकार के पशुओं में पाये जाते हैं, जिनमें कशेरुकी व कुछ अकशेरुकी जीव शामिल हैं। ये हमारी मूत्र-प्रणाली का एक आवश्यक भाग हैं और ये इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण, अम्ल-क्षार संतुलन, व रक्तचाप नियंत्रण आदि जैसे समस्थिति (homeostatic) कार्य भी करते है। ये शरीर में रक्त के प्राकृतिक शोधक के रूप में कार्य करते हैं और अपशिष्ट को हटाते हैं, जिसे मूत्राशय की ओर भेज दिया जाता है। मूत्र का उत्पादन करते समय, गुर्दे यूरिया और अमोनियम जैसे अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित करते हैं; गुर्दे जल, ग्लूकोज़ और अमिनो अम्लों के पुनरवशोषण के लिये भी ज़िम्मेदार होते हैं। [http://www.maabharati.com/2018/11/kidney-human-body-important-organ.html गुर्दे] हार्मोन भी उत्पन्न करते हैं, जिनमें कैल्सिट्रिओल (calcitriol), रेनिन (renin) और एरिथ्रोपिटिन (erythropoietin) शामिल हैं।
 
औदरिक गुहा के पिछले भाग में रेट्रोपेरिटोनियम
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(retroperitoneum) में स्थित गुर्दे वृक्कीय धमनियों के युग्म से रक्त प्राप्त करते हैं और इसे वृक्कीय शिराओं के एक जोड़े में प्रवाहित कर देते हैं। प्रत्येक गुर्दा मूत्र को एक मूत्रवाहिनी में उत्सर्जित करता है, जो कि स्वयं भी मूत्राशय में रिक्त होने वाली एक युग्मित संरचना होती है।
 
[http://www.maabharati.com/2018/11/kidney-human-body-important-organ.html गुर्दे की कार्यप्रणाली] के अध्ययन को वृक्कीय शरीर विज्ञान कहा जाता है, जबकि गुर्दे की बीमारियों से संबंधित चिकित्सीय विधा मेघविज्ञान (nephrology) कहलाती है। गुर्दे की बीमारियां विविध प्रकार की हैं, लेकिन गुर्दे से जुड़ी बीमारियों के रोगियों में अक्सर विशिष्ट चिकित्सीय लक्षण दिखाई देते हैं। गुर्दे से जुड़ी आम चिकित्सीय स्थितियों में नेफ्राइटिक और नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम, वृक्कीय पुटी, गुर्दे में तीक्ष्ण घाव, गुर्दे की दीर्घकालिक बीमारियां, मूत्रवाहिनी में संक्रमण, वृक्कअश्मरी और मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न होना शामिल हैं।<ref name="robbins">{{cite book |author=Cotran, RS S.; Kumar, Vinay; Fausto, Nelson; Robbins, Stanley L.; Abbas, Abul K. |title=Robbins and Cotran pathologic basis of disease |publisher=Elsevier Saunders |location=St. Louis, MO |year=2005 |pages= |isbn=0-7216-0187-1 |oclc= |doi= |accessdate=}}</ref> गुर्दे के कैंसर के अनेक प्रकार भी मौजूद हैं; सबसे आम वयस्क वृक्क कैंसर वृक्क कोशिका कर्कट (renal cell carcinoma) है। कैंसर, पुटी और गुर्दे की कुछ अन्य अवस्थाओं का प्रबंधन गुर्दे को निकाल देने, या वृक्कुच्छेदन (nephrectomy) के द्वारा किया जा सकता है। जब गुर्दे का कार्य, जिसे केशिकागुच्छीय शुद्धिकरण दर (glomerular filtration rate) के द्वारा नापा जाता है, लगातार बुरी हो, तो डायालिसिस और गुर्दे का प्रत्यारोपण इसके उपचार के विकल्प हो सकते हैं। हालांकि, पथरी बहुत अधिक हानिकारक नहीं होती, लेकिन यह भी दर्द और समस्या का कारण बन सकती है। पथरी को हटाने की प्रक्रिया में ध्वनि तरंगों द्वारा उपचार शामिल है, जिससे पत्थर को छोटे टुकड़ों में तोड़कर मूत्राशय के रास्ते बाहर निकाल दिया जाता है। कमर के पिछले भाग के मध्यवर्ती/पार्श्विक खण्डों में तीक्ष्ण दर्द पथरी का एक आम लक्षण है।
 
==[http://www.maabharati.com/2018/11/kidney-human-body-important-organ.html शरीर रचना ]==
=== अवस्थिति ===
मनुष्यों में, गुर्दे उदर गुहा में रेट्रोपेरिटोनियम (retroperitoneum) नामक रिक्त स्थान में स्थित होते हैं। इनकी संख्या दो होती है और इनमें से एक-एक गुर्दा मेरुदण्ड के दोनों तरफ एक स्थित होता है; वे लगभग T12 से L3 के मेरुदण्ड स्तर पर होते हैं।<ref name="boron">{{cite book |author=Walter F., PhD. Boron |title=Medical Physiology: A Cellular And Molecular Approach |publisher=Elsevier/Saunders |location= |year=2004 |pages= |isbn=1-4160-2328-3 |oclc= |doi= |accessdate=}}</ref> दायां गुर्दा मध्यपट के ठीक नीचे और यकृत के पीछे स्थित होता है, तथा बायां मध्यपट के नीचे और प्लीहा के पीछे होता है। प्रत्येक गुर्दे के शीर्ष पर एक अधिवृक्क ग्रंथि होती है। यकृत के कारण उदर गुहा में पाई जाने वाली विषमता के कारण दायां गुर्दा बाएं की तुलना में थोड़ा नीचे होता है और बायां गुर्दा दाएं की तुलना में थोड़ा अधिक मध्यम में स्थित होता है।<ref>{{cite web |url=http://www.indexedvisuals.com/scripts/ivstock/pic.asp?id=118-100 |title=Kidneys Location Stock Illustration |format= |work= |accessdate=}}</ref><ref>http://www.bioportfolio.com/indepth/Kidney.html</ref> गुर्दे के ऊपरी (कपालीय) भाग आंशिक रूप से ग्यारहवीं व बारहवीं पसली द्वारा सुरक्षा की जाती है और पूरा गुर्दा तथा अधिवृक्क ग्रंथि वसा (पेरिरीनल व पैरारीनल वसा) तथा वृक्क पट्टी (renal fascia) द्वारा ढंके होते हैं। प्रत्येक वयस्क गुर्दे का भार पुरुषों में 125 से 170 ग्राम के बीच और महिलाओं में 115 से 155 ग्राम के बीच होता है।<ref name="boron" /> विशिष्ट रूप से बायां गुर्दा दाएं की तुलना में थोड़ा बड़ा होता है।<ref name="pmid20030823">{{cite journal |author=Glodny B, Unterholzner V, Taferner B, ''et al.'' |title=Normal kidney size and its influencing factors - a 64-slice MDCT study of 1.040 asymptomatic patients |journal=BMC Urology |volume=9 |issue= |pages=19 |year=2009 |pmid=20030823 |pmc=2813848 |doi=10.1186/1471-2490-9-19 |url=http://www.biomedcentral.com/1471-2490/9/19}}</ref>