"पट्टदकल्लु": अवतरणों में अंतर
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|skyline_caption = पत्तदकल में स्मारक परिसर
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'''पत्तदकल''' ([[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] - ಪತ್ತದಕಲು) [[भारत]] के [[कर्नाटक]] राज्य में एक कस्बा है, जो [[भारतीय स्थापत्यकला]] की [[वेसर]] शैली के आरम्भिक प्रयोगों वाले स्मारक समूह के लिये प्रसिद्ध है। ये मंदिर [[आठवीं शताब्दी]] में बनवाये गये थे। यहाँ [[भारतीय स्थापत्यकला|द्रविड़]] (दक्षिण भारतीय) तथा [[भारतीय स्थापत्यकला|नागर]] (उत्तर भारतीय या आर्य) दोनों ही शैलियों के मंदिर हैं। पत्तदकल दक्षिण भारत के [[चालुक्य वंश]] की राजधानी [[बादामी]] से २२ कि.मी. की दूरी पर स्थित हैं। [[चालुक्य वंश]] के राजाओं ने [[सातवीं शताब्दी|सातवीं]] और [[आठवीं शताब्दी]] में यहाँ कई मंदिर बनवाए। [[एहोल]] को स्थापत्यकला का विद्यालय माना जाता है, [[बादामी]] को महाविद्यालय तो पत्तदकल को विश्वविद्यालय कहा जाता है।<ref>{{cite web
|url=http://www.hinduonnet.com/fline/fl2201/stories/20050114000106500.htm
|title=द चालुक्यन मैग्नीफीशियेंस
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|accessmonthday= [[५ मार्च]]
|accessyear= [[२००९]]
}}</ref> पत्तदकल शहर उत्तरी [[कर्नाटक]] राज्य में [[बागलकोट जिला|बागलकोट जिले]] में [[मलयप्रभा नदी]] के तट पर बसा हुआ है। यह [[बादामी]] शहर से २२ कि.मि. एवं [[ऐहोल]] शहर से मात्र १० कि.मी. की दूरी पर है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन २४ कि.मी. दक्षिण-पश्चिम में बादामी है।<ref name="कॉम"/> इस शहर को कभी किसुवोलाल ([[कन्नड़]]:ಕಿಸುವೊಲಾಲ್) कहा जाता था, क्योंकि यहां का [[बलुआ पत्थर]] लाल आभा लिए हुए है।<ref name="टूर">{{cite web
|url=http://www.karnataka.com/tourism/pattadakal
|title=पत्तदकल
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==शिल्प स्मारक==
[[चालुक्य]] शैली का उद्भव ४५० ई. में एहोल में हुआ था। यहाँ वास्तुकारों ने नागर एवं द्रविड़ समेत विभिन्न शैलियों के प्रयोग किए थे। इन शैलियों के संगम से एक अभिन्न शैली का उद्भव हुआ। [[सातवीं शताब्दी]] के मध्य में यहां [[चालुक्य वंश|चालुक्य राजाओं]] के राजतिलक होते थे। कालांतर में मंदिर निर्माण का स्थल [[बादामी]] से पत्तदकल आ गया। यहाँ कुल दस मंदिर हैं, जिनमें एक जैन धर्मशाला भी शामिल है। इन्हें घेरे हुए ढेरों चैत्य, पूजा स्थल एवं कई अपूर्ण आधारशिलाएं हैं। यहाँ चार मंदिर द्रविड़ शैली के हैं, चार नागर शैली के हैं एवं पापनाथ मंदिर मिश्रित शैली का है। पत्तदकल को [[१९८७]] में [[युनेस्को]] द्वारा [[विश्व धरोहर स्थल]] घोषित किया गया था। <ref>{{cite web
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