"गोत्र": अवतरणों में अंतर

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'''गोत्र''' मोटे तौर पर उन लोगों के समूह को कहते हैं जिनका वंश एक मूल पुरुष पूर्वज से अटूट क्रम में जुड़ा है। [[व्याकरण]] के प्रयोजनों के लिये [[पाणिनि]] में गोत्र की परिभाषा है 'अपात्यम पौत्रप्रभ्रति गोत्रम्' (४.१.१६२), अर्थात 'गोत्र शब्द का अर्थ है बेटे के बेटे के साथ शुरू होने वाली (एक साधु की) संतान्। गोत्र, कुल या वंश की संज्ञा है जो उसके किसी मूल पुरुष के अनुसार होती है
 
लेकिन गोत्र की सही गणना का पता न होने के कारणको हिन्दू लोग लाखो हजारो वर्ष पहले पैदा हुए पूर्वजो के नाम से ही अज्ञानतावश अपना गोत्र चला रहे है
संक्षेप में कहे तो मनुस्मृति के अनुसार सात पीढ़ी बाद सगापन खत्म हो जाता है
जिससे वैवाहिक जटिलताएं उतपन्न नही हो रही हैं।
अर्थात सात पीढ़ी बाद गोत्र का मान बदल जाता है
और आठवी पीढ़ी के पुरुष के नाम से नया गोत्र आरम्भ होता है।
 
 
लेकिन गोत्र की सही गणना का पता न होने के कारण हिन्दू लोग लाखो हजारो वर्ष पहले पैदा हुए पूर्वजो के नाम से ही अज्ञानतावश अपना गोत्र चला रहे है
जिससे वैवाहिक जटिलताएं उतपन्न हो रही हैं।
 
==गोत्रीय तथा अन्य गोत्रीय==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/गोत्र" से प्राप्त