"मानव का पाचक तंत्र": अवतरणों में अंतर

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=== आरम्भिक पाचन ===
[[मुख]] में आहार [[दाँत|दाँतों]] द्वारा चबाकर सूक्ष्म कणों में विभक्त किया जाता है और उसमें [[लार]] मिलता रहता हैं, जिसमें [[टायलिन]] (Ptylin) नामक [[एंज़ाइम]] मिला रहता है। यह रस मुँह के बाहर स्थित कपोलग्रंथि और अधोहन्वीय तथा अधोजिह्व ग्रंथियों में बनता हैं। इन ग्रंथियों से, विशेषकर आहार को चबाते समय उनकी वाहनियों द्वारा, लार रस मुँह में आता रहता है। इसकी क्रिया [[क्षार|क्षारीय]] होती है। उसके टायलिन एंजाइम की रासायनिक क्रिया विशेषकर [[कार्बोहाइड्रेट]] पर होती हैं, जिससे उसका [[स्टार्च]] पहले डेक्सट्रिन (dextrin) में और तत्पश्चात्‌ [[ग्लूकोज़]] में परिवर्तित हो जाता है। साधारण [[ईख]] की चीनी में भी यही परिवर्तन होता है। आहार के ग्रास को गीला और स्निग्ध करना भी लालालार का मुख्य कर्मकार्य हैं, जिससे वह सहज में निगला जा सके और पतला ग्रास नाल में होता हुआ आमाशय में पहुँच जाय।
 
निगलने (deglutition) की क्रिया मुख के भीतर जिह्वा की पेशियों तथा ग्रसनी की पेशियों द्वारा होती है। जिह्वा की पेशियों के संकोच से जिह्वा ऊपर को उठकर तालु और जिह्वापृष्ठ पर रखे हुए ग्रास को दबाती है, जो वहाँ से फिसलकर पीछे [[ग्रसनी]] से चला जाता है। तुरंत ग्रसनी की पेशियाँ संकोच करती हैं और ग्रास घांटीढक्कन (epiglottis) पर होता हुआ ग्रासनली (oesophagus) में चला जाता है, जहाँ उसकी भित्तियों में स्थित वृत्ताकार और अनुदैर्घ्य सूत्र अपने संकोच और विस्तार से उत्पन्न हुई आंत्रगति द्वारा उसको नाल के अंत तक पहुँचा देते हैं। और ग्रास जठरद्वार द्वारा आमाशय में प्रवेश करता है।