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विष्णुवर्धन होयसल वंश का एक वीर और प्रतापी राजा था, जो 1110 ई. में द्वारसमुद्र की राजगद्दी पर आरूढ़ हुआ। इसने 1141 ई. तक राज्य किया और अनेक युद्ध किए तथा अपने राज्य का विस्तार किया। वह नाममात्र के लिए ही चालुक्यों का अधीनस्थ बना था। बाद में उसने अपने राज्य को चालुक्यों की अधीनता से मुक्त कर अन्य राज्यों पर आक्रमण शुरू किए। सुदूर दक्षिण में चोल, पांड्य और मलाबार के क्षेत्र में विष्णुवर्धन ने विजय यात्राएँ कीं और अपनी शक्ति को प्रदर्शित किया। तत्कालीन भारतीय इतिहास में उसने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। प्रारम्भ में वह जैन मतावलम्बी था, किंतु प्रख्यात वैष्णव आचार्य रामानुज के प्रभाव से वह वैष्णव मतावलम्बी हो गया। मत परिवर्तन के बाद उसने अपना पहले का नाम 'विहिदेव' या 'विहिव' त्याग दिया और 'विष्णुवर्धन' नाम धारण कर लिया।
 
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साभार bhartdiscovery.org