"आतंकवाद": अवतरणों में अंतर

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<br />[[चित्र:Terrorincidents2001atlas.jpg|thumb|300px|right|आतंकवाद के शिकार<ref>"अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घटनाओं, अमेरिका 2001" द्वारा [[राज्य विभाग|विभाग राज्य]] Department of State)</ref>]]
 
'''आतंकवाद''' एक प्रकार के माहौल को कहा जाता है। इसे एक प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने [[आर्थिक]], [[धार्मिक]], [[राजनीतिक]] एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और [[युद्ध]] को भी शामिल कर लिया गया है। अगर इसी तरह की गतिविधि आपराधिक संगठन द्वारा चलाने या को बढ़ावा देने के लिए करता है तो सामान्यतः उसे आतंकवाद नहीं माना जाता है, यद्यपि इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है। गैर-इस्लामी संगठनों या व्यक्तित्वों को नजरअंदाज करते हुए प्रायः इस्लामी या जिहादी के साथ आतंकवाद की अनुचित तुलना भी की जाती जो समय के साथलिए बदलेइसकी हुएआलोचना आतंकवाद को परिभाषित करती है वर्तमान में आतंकवाद के स्वरूप पूर्ण रूप से इस्लाम से जुड़ा हुआ है इस के अनेक उदाहरण हैं जिन में अमेरिका ब्रिटेन फ्राँस भारत इस्रायल इराक सिरिया सऊदी अरब भारत जापान आदि देशों में पिछले 20 वर्षों के अंदर हुए आतंकी हमलों का संबंध इस्लामिक मूल विचारधारा से सीधा जुड़ा हुआ है यह एक घ्रणित परवर्ती है जिस में आतंकी सम्बद्ध रखने वाले तमाम संघठन जैसे तालिबान अलकायदा बोकोहरम IS लश्कर ए तैयबा जैश ए मोहम्मद इंडियन मुजाहिदीन सिमी आदि सभी दलों का सबंध इस्लाम और कुरान के उन आयतों से सीधा जुड़ा है जिन में जिहाद और गैरमुस्लिमो के विरुद्ध हिंसा करने का उल्लेख है और यह आतंकी संगठन इन्ही बातों को आधार बनाकर गैरमुस्लिमो के साथ हिंसा करके उन का दमन करना चाहते हैं यही मौजूदा आतंकवाद पिछले 20 वर्षों में दुनियाभर में हुए सभी आतंकी हमलों से पहले या बाद या हमलों के समय आतंकियो ने विशेष इस्लामिक नारे लगाये हैं जब कि इन के अलावा किसी और सामूहिक हिंसा जिस को आतंकवाद का नाम दिया जा सके उन में इस्लामिक नारो का सम्मलित होना सिद्ध करता है कि वर्तमान में हिंसाभी की यह प्रवर्ति इस्लाम से प्रभवित है जिस को दूर करने के लिये इस्लाम के मानने वालों को ही पहल करनी होगी जो पिछले 20 वर्षों से हुई नही है इस का क्या कारण है यह तो ज्ञात नही पर यह धर्म से जुड़कर और ज्यादा घातक हो गया है जिस को खत्म करने के लिये पूरे विश्व को सामूहिक रूप से एक होनाजाती होगाहै।
हिंदुस्तान के पुलवामा मे 14 फरवरी को जो आतांकी हमला हुवा,दुनिया इस गुनाह के लिये पाकिस्तान को कभी माफ नही करेगी।
 
==शब्द की उत्पत्ति==