"सरयूपारीण ब्राह्मण": अवतरणों में अंतर

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(१) ऊंचहरिया (२)पिछौरा
 (३) भेंडी  (४) बकरूआं  (५) अकोलियाँ  (६) भरवलियाँ  (७) कनइल (८) मोढीफेकरा (९) मल्हीयन (१०) महसों (११) महुलियार (१२) बुद्धहट (१३) मामखोर इसमे चार  गाँव का नाम आता है लखनौरा, मुंजीयड, भांदी, और नौवागाँव| ये सारे गाँव लगभग[[गोरखपुर]], देवरिया और बस्ती में आज भी पाए जाते हैं|मामखोर ग्राम के कुछ ब्राम्हण श्राद्ध (क्रिया-कर्म)का कार्य करने लगे जो बाद में महा ब्राम्हण की श्रेडी में आने लगे 12 गाओ के पंडितो के विरोध के बाद इन्हें अपना गाओ छोड़कर दक्षिण की ओर प्रस्थान करना पड़ा। आज मध्य प्रदेश,कर्नाटक,उड़ीसा आदि जगहों पर उन्नहे फिर इज्जत सम्मान की नजर से देखा जाने लगा आज भी वह ब्राम्हण इनके यहां सादी संबंध नहीं करते जिन्हें इनके इतिहास की जानकारी है
 
'''उपगर्ग (शुक्ल-वंश)'''