"रामचन्द्र शुक्ल": अवतरणों में अंतर

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''' सैद्धान्तिक आलोचनात्मक निबंध'''- '[[कविता क्या है]]', '[[काव्य में लोक मंगल की साधनावस्था]]', '[[साधारणीकरण और व्यक्ति वैचित्र्यवाद]]', आदि निबंध सैध्दांतिक आलोचना के अंतर्गत आते हैं। आलोचना के साथ-साथ अन्वेषण और गवेषणा करने की प्रवृत्ति भी शुक्ल जी में पर्याप्त मात्रा में है। '[[हिंदी साहित्य का इतिहास]]' उनकी इसी प्रवृत्ति का परिणाम है।
 
''' व्यवहारिकव्यावहारिक आलोचनात्मक निबंध'''- भारतेंदु हरिश्चंद्र, तुलसी का भक्ति मार्ग, मानस की धर्म भूमि आदि निबंध व्यावहारिक आलोचना के अंतर्गत आते हैं।
 
''' मनोवैज्ञानिक निबंध'''- मनोवैज्ञानिक निबंधों में [[करुणा]], [[श्रध्दा]], [[भक्ति]], [[लज्जा]], [[ग्लानि]], [[क्रोध]], [[लोभ और प्रीति]] आदि भावों तथा मनोविकारों पर लिखे गए निबंध आते हैं। शुक्ल जी के ये मनोवैज्ञानिक निबंध सर्वथा मौलिक हैं। उनकी भांति किसी भी अन्य लेखक ने उपर्युक्त विषयों पर इतनी प्रौढ़ता के साथ नहीं लिखा। शुक्ल जी के निबंधों में उनकी अभिरुचि, विचार धाराविचारधारा अध्ययन आदि का पूरा-पूरा समावेश है। वे लोकादर्श के पक्के समर्थक थे। इस समर्थन की छाप उनकी रचनाओं में सर्वत्र मिलती है।
 
== भाषा ==