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* [[कुशवाहा शिवपूजन मेहता]], भारतीय राजनेता
*[[रीतलाल वर्मा]] ,भारतीय राजनेता
*सुनील कुमार कुशवाहा शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश
 
==सन्दर्भ==
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==विस्तृत अध्ययन==
*Bayley C. (1894) ''Chiefs and Leading Families In Rajputana''
*[10:45, 4/11/2019] Sunil: यह लेख ऐतिहासिक रूप से राजपूत शासक जाति के बारे में है। कालांतर में कुशवाहा उपनाम प्रयुक्त करने वाली वर्तमान जातियों के लिए, काछी (कुशवाह) जाति देखें। भारतीय समाज मे कुशवाहा एक जाति हैं। कुशवाह समाज मे ब्रद से पूछने पर उनहोने वताया कि राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के कुछ छेत्र मे कछुया वंश के राजा का राज था बाद मे मुगलकाल ने उसे परास्त कर दिया उसके बाद उसके वंश के लोगो ने अपना सरनेम कुशवाह रखा और अलग अलग क्षेत्रों मे बस गये! कछवाहा या कुशवाहा वंश सूर्यवंशी रियासत धुंधर स्वतंत्र राजशाही: नरवर जयपुर अलवर मैहर मुरेना रोहतास जयपुर राज्य का पंचरंग ध्वज कुशवाहा[1] कुशवाहा परंपरागत रूप से किसान थे परंतु 20वीं शताब्दी में उन्होने स्वयं को राजपूत वंश का बताया। इस जाति का कई स्वतंत्र राज्यों व रियासतों पर शासन रहा हैं जिनमे से अलवर, आमेर (वर्तमान जयपुर) व मैहर प्रमुख हैं। कुशवाहा या कछवाहा, स्वयं को अयोध्या के सूर्यवंशी राजा राम के पुत्र कुश का वंशज मानते हैं।[2] अनुक्रम 1 शासक गण 2 चर्चित हस्ती 3 सन्दर्भ 4 विस्तृत अध्ययन शासक गण कछवाहा परिवार ने आमेर (आंबेर) पर शासन किया, जिसे बाद में जयपुर राज्य के नाम से जाना गया, कुशवाहों की इस शाखा को राजपूत माना गया।[3][4] मुग़ल शासक अकबर के सहयोग व समर्थन से कुशवाह सम्मानित राजाओं के रूप में स्थापित हुये।[5][6] चर्चित हस्ती उपेन्द्र कुशवाहा, भारतीय राजनेता बाबू सिंह कुशवाहा, भारतीय राजनेता अविनाश कुशवाहा भारतीय राजनेता कुशवाहा शिवपूजन मेहता, भारतीय राजनेता रीतलाल वर्मा ,भारतीय राजनेता [10:45, 4/11/2019] Sunil: कुशवाहा मुख्य रूप से एक बृहद समुदाय का हिस्सा हैं जिसका अतीत स्वर्णिम और इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. अपने गौरवशाली इतिहास को भूल जाने कारण कुशवाहा समाज को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन कुशवाहा समाज अब अपनी पहचान वापस पाने के लिए, विकास की मुख्यधारा में आने के लिए और एक राजनितिक शक्ति बनने के लिए संघर्षरत है और सफल भी हो रहे हैं. कौन हैं कुशवाहा 1. भारत का हिन्दू समुदाय (धर्म) कई जातियों से से बना हुआ है. कुशवाहा मुख्य रूप से भारतीय हिन्दू समाज की एक वंश/जाति है. कुशवाह समुदाय कुशवाह नाम से भी जाना जाता है. 2. कुशवाहा पारंपरिक रूप से कुशल किसान थे इसलिए इन्हे कृषक जाति माना जाता है. इनका मुख्य काम खेती है. कुशवाहा सब्जियाँ उगाने और बेचने, मधुमक्खी पालने और पशुपालन का कार्य करते हैं. 3. कुशवाह शब्द कम से कम चार उपजातियों (कुशवाह, कछवाहा, कोइरी व मुराओ) के लिए प्रयोग किया जाता हैं. लेकिन काफी लोग ऐसे भी हैं जो कछवाहा, सैनी, शाक्य, मौर्या को भी कुशवाहा के अंतर्गत ही मानते हैं. कहाँ पाए जाते हैं- 4. कुशवाहा भारत के लगभग सभी राज्यों में अलग-अलग नामों से पाए जाते हैं. मुख्यतः कुशवाहा उत्तर भारत में पाए जाते हैं. इसका निवास क्षेत्र बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड , मध्यप्रदेश और झारखण्ड है. वर्तमान स्थिति- 5. सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा होने के कारण कुशवाहा समाज को भारत की सकारात्मक भेद भाव की व्यवस्था (आरक्षण/Positive Discrimination) के अंतर्गत अलग -अलग राज्यों में “अन्य पिछड़ा वर्ग” या पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है. 6. बिहार में कुशवाहा समाज को “अन्य पिछड़ा वर्ग” के रूप में वर्गीकृत किया गया है. 7. साल 2013 में हरियाणा सरकार ने कुशवाहा, कोइरी व मौर्य जातियो को “पिछड़ी जतियों” में सम्मिलित किया है. उत्पत्ति और इतिहास– 8. कुशवाहा या कछवाहा खुद को अयोध्या के सूर्यवंशी राजा भगवान राम के पुत्र कुश का वंशज होने का दावा करते हैं. 9.साथ ही कुशवाहा यह भी मानते हैं की महात्मा बुद्ध, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक कुशवाहा वंश के ही थे. 10. पारंपरिक रूप से किसान रहे कुशवाहा ने 20वीं शताब्दी में खुद को राजपूत वंश या क्षत्रिय वंश का बताना शुरू किया. 11. कई स्वतंत्र राज्यों व रियासतों जैसे अलवर, आमेर (वर्तमान जयपुर) व मैहर पर कुशवाहा जाति का शासन रहा . 12 . काछी और कोइरी अफीम की खेती में सहयोग के कारण लंबे समय तक से ब्रिटिश शासन के करीबी रहे. 13. वर्तमान समय में कुशवाहा खुद को विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज और सूर्यवंशी होने का दावा करते हैं. लेकिन पूर्वकाल में कुशवाहा जातियाँ- मौर्य, कुशवाह व कोइरी -शिव और शाक्त के उपासक थे और खुद को शिव व शाक्त संप्रदाय से जुड़ा हुआ बताते थे. 13.पारंपरिक रूप से कुशल किसान और खेती करने के कारण कुशवाहा शूद्र वर्ण के माने जाते थे. लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान कुशवाहा समुदाय की जातियों ने ब्रिटिश प्रशासको के समक्ष अपने परंपरागत शूद्र बताये जाने के विरुद्ध चुनौती दी और क्षत्रिय वर्ण में शामिल करने की मांग की. 14 .1910 से काछी और कोइरी जातियों ने एक संगठन बनाकर इन दोनों जातियों को कुशवाहा क्षत्रिय बताने लगे. 15 .1928 में मुराओ जाति ने भी 1928 में क्षत्रिय वर्ण में सम्मिलित करने के लिए लिखित याचिका दायर की थी. 16. 1921 मे कुशवाह क्रांति के समर्थक गंगा प्रसाद गुप्ता ने कोइरी, काछी, मुराओ व कछवाहा जातियों के क्षत्रिय होने के साक्ष्यों पर एक किताब प्रकाशित की. गंगा प्रसाद गुप्ता ने अपने किताब में तर्क दिया कि कुशवाहा कुश के वंशज है और बारहवी श… [10:45, 4/11/2019] Sunil: विधायक सूरज नंदन प्रसाद कुशवाहा एक ही वाक्य में रोमिला थापर से लेकर आरएस शर्मा जैसे इतिहासकारों के अध्ययन को खारिज कर देते हैं. उनका दावा है कि उनकी पार्टी के पास ठोस सबूत है कि सम्राट अशोक कुशवाहा ही थे दिल्ली से इतिहासकार रोमिला थापर, जिन्होंने सम्राट अशोक पर विस्तार से अध्ययन कर एक किताब लिखी है. वह कहती रहीं कि अशोक की जाति का कहीं से कोई पता नहीं चलता. पटना निवासी प्रख्यात इतिहासकार आरएस शर्मा के अध्ययन संदर्भों का उदाहरण देकर पटना के ही इतिहासकार राजेश्वर प्रसाद सिंह कहते रहे कि अशोक के पूर्वज चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म एक शूद्र दासी की कोख से हुआ था, इसलिए उनके कुशवाहा होने का तो सवाल नहीं. दूसरी तरफ पटना में इतिहास पढ़ाने वाले विधायक सूरज नंदन प्रसाद कुशवाहा जैसे भाजपा के बौद्धिक चिंतक यह कहकर एक ही वाक्य में रोमिला थापर से लेकर आरएस शर्मा जैसे इतिहासकारों के अध्ययन को खारिज करते रहे कि उनकी पार्टी के पास ठोस सबूत है कि सम्राट अशोक कुशवाहा ही थे. बहुत सारे तथ्य और तर्क हैं पास में. इतिहास के पन्नों से संदर्भ और तथ्य टकराते रहे हैं. बिहार में इतिहास से कोई सरोकार नहीं रखने वाले लोगों के भी सहज सवाल टकराते रहे कि अशोक पर तो कुशवाहा समाज पहले से दावेदारी करता ही रहा है. समाज उनके नाम पर आयोजन भी करता-कराता रहता था तो अचानक भाजपा को खुलकर जाति के इस खेल में आने की जरूरत क्यों पड़ गई? बिहार की राजनीति को जानने-समझने वालों को पता है कि भाजपाइयों में आया यह भाव अकारण नहीं है. वे जानते हैं कि बिहार की सियासत वर्षों से ऐसे ही समीकरणों से चलती रही है. जल्द ही अशोक कुशवाहा समाज के एक बड़े हिस्से के नायक हो जाएंगे और भाजपा ऐसा कर इस चुनाव में कुछ न कुछ तो फायदा उठा ही लेगी. इतिहास का क्या कबाड़ा होगा और आगे का इतिहास कैसा बनेगा, इसकी चिंता फिलहाल किसी को नहीं है. विधानसभा चुनाव में वे अशोक की जाति खोजकर क्या फायदा उठा लेंगे, यही उनके लिए सबसे जरूरी है. और उम्मीद की जा रही है कि कुछ हद तक तो वे इससे अपना मतलब साध ही लेंगे. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता इसे ऐसे समझाते हैं, ‘देखिए, बिहार में वर्षों से लव-कुश समीकरण चल रहा है. यह दो जातियों कोईरी और कुर्मी के मेल-मिलाप वाला समीकरण है. इसके चैंपियन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार माने जाते रहे हैं. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में इस समीकरण से उनका गणित हल नहीं हो सका.’ इस पर वह सवाल उठाते हुए पूछते हैं, ‘बताइए लव और कुश, दोनों भाई, दोनों क्षत्रीय कुल के रामचंद्र के वंशज, तो भला उनमें से एक कुर्मी और दूसरा कोईरी कैसे बन गया. कालांतर में समीकरण पर और उसी मिथकीय आधार पर वर्षों तक राजनीति को कैसे साधा जाता रहा.’ वह बताते हैं, ‘सम्राट अशोक वाले मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं, बस अभी चुनाव है. लोकसभा चुनाव में कोईरी-कुर्मी गठजोड़ को नरेंद्र मोदी की आंधी के जरिये और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता को आगे कर के तोड़ा जा चुका है. दूसरे नेताओं की जो बची-खुची संभावनाएं हैं, उस पर हमला करने के लिए ही सम्राट वाला फॉर्मूला निकाला गया है.’ यह पूछे जाने पर कि सब तो ठीक है लेकिन आपके दल के बड़े नेता पटना में अशोक की प्रतिमा भी लगाने को कह रहे हैं. उनकी प्रतिमा की कल्पना कैसे करेंगे? क्या मन से सोच लेंगे कि अशोक ऐसे रहे होंगे, वैसे रहे होंगे? इस पर वह बात को टालते हुए कहते हैं, ‘राम, कृष्ण या किसी दूसरे देवता को किसी ने देखा है क्या… फिर भी आज उनकी तस्वीरें और मूर्तियां पूरी दुनिया में हैं. अशोक की भी वैसे ही लग जाएगी.’ ‘बिहार में वर्षों से लव-कुश समीकरण चल रहा है. बताइए लव और कुश, दोनों भाई, दोनों क्षत्रिय कुल… [10:45, 4/11/2019] Sunil: गाजीपुर : कुशवाहा समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है। यदि समाज के लोगों को अपने अतीत का सही बोध हो जाए तो उन्हें विकास करने से कोई रोक नहीं सकता। मुख्य अतिथि पूर्व प्रधानाचार्य कोमल कुशवाहा रविवार को एमजेआरपी स्कूल, जगदीशपुरम में कुशवाहा महासभा की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समाज को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए राजनीतिक रूप से शक्तिशाली बनाना होगा। राजनीतिक ताकत के लिए आर्थिक समृद्धि की जरूरत है। समाज के लोग अपनी सामाजिक एवं राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को पहचानें तभी सफल होंगे। पूर्व सांसद जगदीश कुशवाहा ने कहा कि जिस वंश में महात्मा बुद्ध, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक जैसे महान लोग पैदा हुए आज वह समाज दिग्भ्रमित हो गया है। विकास के लिए सभी लोगों को मिलकर प्रयास करना होगा। पूर्व विधान परिषद सदस्य ब्रजभूषण कुशवाहा ने कहा कि संगठित होकर समय को अनुकूल बना सकते हैं। संघर्ष के अलावा कोई विकल्प नहीं है। शिक्षा के माध्यम से समाज को चरित्रवान, संस्कारवान बनाने के साथ ही विकास की ओर ले जा सकते हैं। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बैठक में पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा, देवनाथ कुशवाहा, श्याम नारायन, राम नरेश, राधेश्याम, ओमप्रकाश अकेला, रामेश्वर, अनिल, नरेंद्र, गुलाब, तूफानी, अशोक, संतोष आदि उपस्थित थे। जिलाध्यक्ष धनजय मौर्य व संचालन सपा के जिला महासचिव राजेश कुशवाहा ने किया। [10:45, 4/11/2019] Sunil: झाझा: प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेनीबांक के प्रांगण में रविवार को जिलास्तरीय कुशवाहा एकता सह नव वर्ष मिलन समारोह का आयोजन सिंघेश्वर मंडल की अध्यक्षता में किया गया. मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सूबे के नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सभी जात व धर्म के लोग आज आगे बढ़ रहे हैं और हम क्यों पीछे हैं,  यह एक यक्ष प्रश्न है. पूरे भारत में हमारी जनसंख्या 17 प्रतिशत है फिर भी समाज की अगली पंक्ति में हमलोग आज तक नहीं आ पाये हैं. इसलिए हम सबों को एकजुट होकर एक मंच पर आना होगा. हम सभी जानते हैं कि कुशवाहा समाज का वोट जिधर जायेगा जीत उसी की होगी. फिर भी हम अपनी उपस्थिति जोरदार तरीके से नहीं दिखा पाते हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा समेत कई अहम पदों पर हमारी संख्या नगण्य है. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब तक उनके जात के लोग एक पैर पर खड़े थे बिहार में शासन चलाया. उन्होंने कहा कि हम लवकुश के वंशज है,  जिन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा को रोक लिया था. हम आजादी के 68 वर्षो के बाद भी मुख्य धारा में अपनी जगह नहीं बना पाये हैं. मेहनत हम करते हैं और क्रेडिट दूसरे लोग ले जाते हैं. नगर विकास मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि सूबे के 38 जिला समेत जमुई में एक करोड़ 18 लाख की लागत से सम्राट अशोक भवन बनवाया जायेगा. जहां कुशवाहा समाज के लोग एकत्रित होकर अपना सुख-दु:ख बांट सकें. अगले वित्तीय वर्ष में बेनीबांक में उच्च विद्यालय बनवाने की घोषणा भी किया. सड़क, पानी, बिजली, सिंचाई समेत किसी भी तरह की समस्या हो तो हमें बतायें. जून के पहले सारे समस्याओं का समाधान करवा दिया जायेगा. सम्मेलन में आये अतिथियों को बुके देकर एवं माला पहनाकर स्वागत किया गया. मंच संचालन शंभूनाथ जगतबंधु ने किया. कार्यक्रम को पूर्व मंत्री बसावन भगत, अजरुन मंडल, जिला पार्षद सावित्री देवी, प्रो. केदार प्रसाद मंडल, रविंद्र मंडल, नयना देवी, बिंदेश्वरी मंडल, सुमित्र देवी, मनोज कुशवाहा, डा. श्याम सुंदर दीनबंधु, चंद्रशेखर, दिनेश मंडल, सुरेंद्र मंडल, पूनम देवी, सरयुग मंडल, हरिनारायण महतो, शीतल मंडल, शैलेंद्र कुमार समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे. [10:45, 4/11/2019] Sunil: मौर्य जातियों को मिला उनका नायक 1908 ईस्वी के एक सर्वे में भी यह बात सामने आई थी कि कुम्हरार (पाटलिपुत्र), जहाँ मौर्य साम्राज्य के राजप्रासाद थे, से सटे बड़े क्षेत्र में कुशवाहों के अनेक गाँव (यथा कुम्हरार खास, संदलपुर, तुलसीमंडी, रानीपुर आदि) हैं तथा इन गाँवों की 70 से 80 प्रतिशत जनसँख्या कुशवाहा है। प्राचीन काल में जिन स्थलों पर भी राजधानियाँ रहीं हैं, वहाँ इस जाति का जनसंख्या-घनत्व अधिक रहा है [10:45, 4/11/2019] Sunil: 16 दिसंबर, 2015 को बिहार कैबिनेट की बैठक में सम्राट् अशोक का जन्म दिवस मनाने और उस दिन सरकारी छुट्टी घोषित करने का फैसला किया गया। इस घोषणा के साथ ही सम्राट् अशोक की जन्मतिथि और जाति को लेकर विवाद और बहस शुरू हो गयी है। यह संयोग है कि इस साल अशोक जयंती 14 अप्रैल को है, जो डॉ आंबेडकर का जन्मदिन भी है। ऐसे में, बिहार सरकार ने फैसला किया है कि सरकारी कैलेंडरों में इस साल यह अवकाश ‘अशोक जयंती (अशोकाष्टमी) सह आंबेडकर जयंती’ के रूप दर्ज किया जाएगा। अशोकाष्टमी की तिथि की गणना चन्द्र कैलेंडर से होगी तथा हर साल बदलेगी। king-ashoka-1-225x300 सम्राट अशोक सम्राट् अशोक की जन्मतिथि को लेकर उठे विवाद पर ‘अशोक इन एनसियेंट इंडिया’ के लेखक और दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर नयनजोत लाहिडी, बिहार सरकार की इस घोषणा को काल्पनिक और मनगढंत बताते है। लाहिडी कहते है कि हम नहीं जानते कि अशोक की जन्मतिथि क्या है। बिहार सरकार की यह घोषणा सुनकर इतिहासकार डी.एन. झा को धक्का लगा है। झा कहते है कि वे नही जानते कि बिहार सरकार को यह सलाह किसने दी। इधर पटना विश्वविद्यालय में इतिहास के पूर्व प्रोफेसर राजेश्वर प्रसाद सिंह और ओपी जायसवाल भी बिहार सरकार के घोषणा से चकित हैं। उनका कहना है कि बिहार सरकार ने इतिहासकारों से बिना सलाह-मशविरा किए यह निर्णय लिया है। बहरहाल, उत्तर भारत में कोई घटना घटे या सरकारी स्तर पर कोई निर्णय हो और उसको जाति की नजरिए से न देखा जाय, यह संभव नहीं। सम्राट् अशोक की जाति के प्रश्न पर झा कहते हैं कि अशोक को राजनीति का मुद्दा बनाकर जाति के दायरे तकं सीमित करने की कोशिश हो रही है। इसका एक मात्र उद्देश्य कुशवाहा वोटरों को आकर्षित करना है। उधर विधानपरिषद् सदस्य और इतिहास के प्रोफेसर सूरज नंदन कुशवाहा उक्त सभी जानेमाने विद्वानों के दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहते हैं कि हमारे पास मूर्त और प्रत्यक्ष सबूत है कि सम्राट अशोक कुशवाहा वंश से संबंधित थे। राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के अध्यक्ष और केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा भी दावे के साथ कहते हैैं कि सम्राट अशोक कुशवाहा वंश के थे। राष्ट्रवादी कुशवाहा परिषद् का दावा है कि बिहार में निवास करने वाली कोयरी (कुशवाहा) आबादी मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य और विश्व विख्यात सम्राट अशोक की वंशज है। परिषद् ने इन्हीं प्रतीकों के माध्यम से कोयरी जाति को भाजपा से जोडऩे का अभियान चलाया था। बिहार में यादव और मुसलमान के बाद तीसरी सबसे बड़ी आबादी कोयरियों की है, जो 7-10 प्रतिशत के आसपास बताई जाती है। राष्ट्रवादी कुशवाहा परिषद की पहल पर बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व पटना में आयोजित एक समारोह में केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सम्राट् अशोक पर डाक टिकट जारी करते हुए कहा था कि यदि बिहार में भाजपा की सरकार बनेगी तो कुम्हरार में सम्राट् अशोक की विशाल प्रतिमा स्थापित होगी। इसी समारोह में जोर-शोर से बताया गया कि सम्राट् अशोक कुशवाहा वंश से संबंधित थे। हालांकि भाजपा और कुछ इतिहासकारों के दावों के वितरीत वास्तविकता यह है कि बिहार में मौर्यवंश व सम्राट अशोक सिर्फ कोईरी ही नहीं कुर्मी व कई अन्य हमपेशा जातियों के लिए एक उर्जावान प्रेरणाश्रोत रहे हैं। ये जातियां स्वयं को इनका वंशज मानती हैं। देश के अन्य हिस्सों में इस प्रेरणा श्रोत से जुड़ी कई अन्य हमपेशा जातियां भी हैं (सूची देखें)। बहरहाल भाजपा की इस कवायद की चुनाव के बहुत पहले आलोचना शुरु हो गयी थी। ‘द टेलीग्राफ’ ने 9 दिसंबर 14 को और ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने अपने 14 सितम्बर 2015 के अंक में कहा कि मौर्य … [10:45, 4/11/2019] Sunil: पटना जिस अशोक स्तंभ का महत्व भारत के संविधान में सीलबंद है, उसी अशोक स्तंभ के सम्राट् अशोक अब बीजेपी की जातिगत राजनीति का ताजा निशाना बन गए हैं। बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र सभी राजनीतिक दल जातिगत राजनीति को उभारने की अपनी कोशिशों में जुटे हुए हैं। इस दौड़ में बीजेपी सबसे आगे दिख रही है। देश के ऐतिहासिक महत्व से जुड़े प्रतीकों को भी राजनीति में खींचने से गुरेज़ नहीं किया जा रहा है। इन्हीं कोशिशों के अंतर्गत, पिछले दिनों, बीजेपी नेताओं ने राष्ट्रवादी कुशवाहा परिषद के झंडे तले सम्राट् अशोक की 2320वीं जयंती मनाई। इसके बाद से ही देश के अलग-अलग इतिहासकारों ने बीजेपी की सम्राट् अशोक को कुशवाहा जाति से जोड़ने की कोशिशों की भरपूर निंदा की है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, जो कि कुशवाहा जाति के राजनीतिक दल के रूप में जानी जाती है, तीन संसदीय सीट के साथ बीजेपी की एक सहयोगी पार्टी है। जयंती के मौके पर ही, राष्ट्रीय टेलिकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद, ने बिहार चुनाव में अपनी पार्टी के जीतने पर सम्राट् अशोक के नाम पर एक डाक टिकट निकालने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा ऐतिहासिक महत्व के कारण रिज़र्व कर दिए गए पटना के कुम्हरार क्षेत्र में सम्राट् अशोक की एक विशाल आदमकद मूर्ति लगवाने का भी वायदा किया। बिहार में कुशवाहा जाति सामाजिक रूप से बेहद मजबूत और प्रभावी OBC जाति मानी जाती है। बिहार के कुल जनमत में कुशवाहा जाति का हिस्सा तकरीबन 9 फीसदी है। अशोक के विषय में सबसे बड़ी जानकार मानी जाने वाली जानी-मानी इतिहासकार, रोमिला थापर, ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत के दौरान बताया कि इतिहास में सम्राट् अशोक की जाति के विषय में कोई जानकारी मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘शायद बीजेपी नेताओं ने टेलीविजन पर आने वाले अशोका नाम की श्रृंखला को देखकर अपने दिमाग में एक अलग अशोक की कल्पना कर ली होगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी सम्राट् अशोक से जुड़े जो भी दावे कर रही है उन सबका कोई भी ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी बिना किसी ऐतिहासिक सबूत के ही ऐतिहासिक चीजों और पात्रों को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। रोमिला थापर, जो कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पूर्व प्रफेसर रह चुकी हैं, ने साल 1961 में सम्राट् अशोक पर एक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक था, ‘अशोक और मुगल साम्राज्य का पतन।’ यह किताब इतिहास के गलियारों में सम्राट् अशोक से जुड़ी प्रामाणिक जानकारियों के लिए इतिहासकारों और इतिहास के छात्रों के बीच खासी लोकप्रिय है। विख्यात इतिहासकार, आर.एस.शर्मा, का ज़िक्र करते हुए पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष राजेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि इतिहास के मुताबिक चंद्रगुप्त मौर्य को एक मुरा ‘शूद्र’ महिला ने जन्म दिया था, जो कि महाराजा नंद के दरबार में काम करती थी। हालांकि, एक प्राचीन बौद्ध ग्रंथ के मुताबिक मौर्य वंश नेपाल की तराई में बसे गोरखपुर प्रांत के एक छोटे जनतंत्र ‘पिप्फलीवन’ में राज्य करता था। चाहे ऐतिहासिक साक्ष्यों में कितना भी मतभेद हो एक बात तो पक्की है कि चंद्रगुप्त मौर्य, जो कि सम्राट् अशोक के दादा थे, का संबंध क्षत्रिय वंश से ही था। वहीं, बीजेपी और राष्ट्रवादी कुशवाहा परिषद के लोगों का कहना है कि उनके पास सम्राट् अशोक के कुशवाहा वंश का होने संबंधी ठोस दस्तावेज मौजूद हैं। बीजेपी के विधायक, सूरज नंदन प्रसाद कुशवाहा, ने कहा कि उनके पास अपने दावे को सही साबित करने के लिए ऐतिहासिक सबूत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका संगठन पिछले कई साल से सम्राट् अशोक की जयंती मनाता आ रहा है। वह पटना सिटी के एक क़ालेज में इतिहास पढ़ाते हैं। देश के एक अन्य विख्यात इतिहासकार, डी.एन.झा, ने भी रोमिला थापर के विचारों की पुष्टि की। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी द्वारा ऐसे मुद्दों को राजनीतिक लाभ के लिए उछालना बेहद दुखद है। तिलक मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी में प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के प्रफेसर, के.के.मंडल, ने कहा कि यह पूरा मुद्दा बीजेपी के राजनीतिक अजेंडे का एक भाग है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सोची-समझी नीति के तहत पूरे मुद्दे का भगवाकरण करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक बताया।Bayley C. (1894) ''Chiefs and Leading Families In Rajputana''
*David Henige|Henige, David (2004). ''Princely states of India;A guide to chronology and rulers''
*Jyoti J. (2001) ''Royal Jaipur''
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*Topsfield, A. (1994). ''Indian paintings from Oxford collections''
*Tillotson, G. (2006). ''Jaipur Nama'', Penguin books
 
*सुनील कुमार कुशवाहा शाहजहाँपुर मो 09721939379 email sunilkushwaha06@gmail.com
 
 
[[श्रेणी:वंश]]