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'''प्राच्यवाद''' ({{lang-en|Orientalism}} '''ऑरि'एन्ट्लिज़म्''')
'''प्राच्यवाद''' ({{lang-en|Orientalism}} '''ऑरि'एन्ट्लिज़म्''') पश्चिम से लेखकों, डिजाइनरों और कलाकारों द्वारा पूर्वी संस्कृतियों के लिए काम में लिया जाने वाला शब्द है।<ref>{{cite book|title=समाजविज्ञान विश्वकोश |url=http://books.google.co.in/books?id=SjVCpxYBSUwC&pg=PA441|page=441|author=जे॰ पी॰ सिंह|publisher=फ़ाई पब्लिकेशन|isbn=9788120336995}}</ref>
प्राच्यवाद एक विचारधारा है जिसके अंतर्गत पश्चिम द्वारा अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के दौरान स्वयं को केंद्र में रख
कर अपनी श्रेष्ठता प्रमाणित करने के लिए पूर्वी
संस्कृतियों की स्थावर संरचना बनायी गयी थी।
 
'''प्राच्यवाद''' ({{lang-en|Orientalism}} '''ऑरि'एन्ट्लिज़म्''') पश्चिम से लेखकों, डिजाइनरों और कलाकारों द्वारा पूर्वी संस्कृतियों के लिए काम में लिया जाने वाला शब्द है।<ref>{{cite book|title=समाजविज्ञान विश्वकोश |url=http://books.google.co.in/books?id=SjVCpxYBSUwC&pg=PA441|page=441|author=जे॰ पी॰ सिंह|publisher=फ़ाई पब्लिकेशन|isbn=9788120336995}}</ref>
 
== इतिहास ==