"प्राच्यवाद": अवतरणों में अंतर
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यूरोपिय कलाकारों का चित्रण सभी पूर्वी समाजों को तर्कबुद्धि से वंचित, दुर्बल
और स्त्रैण के रूप में किया गया है। इसके बरक्स वह पश्चिम को बुद्धिसंगत, बलवान और पौरुषपूर्ण चित्रित करता है।
यह दुराग्रह पश्चिमी विद्वत्ता में इतना रच-बस गया है कि बहुत से पश्चिमी प्रेक्षक भी इसे नहीं देख पाते, और साम्राज्यवादी प्रभुत्व के तहत बहुत से पूर्वी विद्वानों ने भी इसे आत्मसात कर लिया है।
== सन्दर्भ ==
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