"प्राच्यवाद": अवतरणों में अंतर
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यह दुराग्रह पश्चिमी विद्वत्ता में इतना रच-बस गया है कि बहुत से पश्चिमी प्रेक्षक भी इसे नहीं देख पाते हैं। साम्राज्यवादी प्रभुत्व के तहत बहुत से पूर्वी विद्वानों ने भी इसे आत्मसात कर लिया है। इस प्रक्रिया में पश्चिम सभ्यता का मानक बन गया है तथा प्राच्य असंगत हो गया है। इस प्रकार ऑक्सीडेंट (पश्चिम) ओरिएंट (पूर्व) को अपने विपरीत ध्रुव की तरह रचता है।
== अंतरअनुशासनात्मकता ==
प्राच्यवाद की अवधारणा अंतर्अनुशासनात्मक अनुसंधान का परिणाम है। जिसमें विभिन्न समाजविज्ञान के साथ ही तुलनात्मक साहित्य की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। फ़ूको की सत्ता और ज्ञान के अंतर्संबंधों के साथ-साथ एंटोनियो ग्राम्शी की वर्चस्व की अवधारणा ने इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इसके अतिरिक्त कोलम्बिया विश्वविद्यालय में तुलनात्मक साहित्य के प्रोफ़ेसर के रूप में सईद को नस्लवादी प्रभाव वाले रचनाकार अंर्स्ट रेनन का अध्ययन करते हुए ही यूरोकेंद्रीयता के उद्गम की पहचान हुई थी।
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