"स्वर्ग लोक": अवतरणों में अंतर

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[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]
 
 
स्वयं के मस्तिष्क के केन्द्र में पूर्ण ध्यान स्थापित कर लेना ही मोक्ष पा लेना है या परम् शांति प्राप्त कर लेना है या स्वर्ग प्राप्त कर लेना है ।
विज्ञान के अनुसार सम्पूर्ण शरीर को मस्तिष्क के मध्य स्थित MASTER GLAND नियंत्रित व संचालित करता है ।
हिन्दू धर्म के अनुसार सहस्त्र चक्र या तीसरी आंख होना मनुष्य जगते रहता है तो उसकी आत्मा मस्तिष्क के केन्द्र में ही रहता है ।
बौध्द धर्म में अमितय बुध्द के माथे मे एक बिन्दु रूप में दिखाया गया है ।
क्रिश्चियन में पवित्र आत्मा जो सदैव JESUS AND GOD FATHER के बीच दिखाया गया है ।
प्रचीन मिस्र में नून जिसे विश्व की संरचना हुई है ।
माया सभ्यता के कैलेंडर में मध्य में चेहरे के ऊपर तीन बिन्दु में बीच बिन्दु के प्रतीक के रूप में है ।
इस्लाम मे ईद के चांद जो चेहरे का प्रतीक है और तारा मस्तिष्क के केन्द्र का प्रतीक है ।
यहूदी में सीधे तारे के रूप में चित्रित है ।
जैन धर्म में तीर्थंकर के माथे के तिलक के रूप में।
विज्ञान का बिंग बैंग सिध्दान्त की कल्पना भी मस्तिष्क करता है अर्थात मास्टर गैलेंड ।
 
मस्तिष्क के केन्द्र में ध्यान स्थापित को कही परमात्मा कही आत्मा कहा गया है वास्तविक में स्वयं ही है मस्तिष्क के केन्द्र की शक्ति या ऊर्जा।
 
मुस्लिम इसे सातवें आसमान में आल्लाहा कहते है हिन्दू सातवा सहस्त्र चक्र या तीसरी नेत्र कहते है ।
विज्ञान के भौतिक नियम अनुसार स्वयं के मस्तिष्क में ही GOD PARTICAL को समझने की क्षमता होती है ।
सिख ब्रह्म रन्ध्र होने की कल्पना करते है ।
इसी प्रकार प्रचीन धर्म इसे कई संकेतों व वाक्यों से इस पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से कहते है ।
पारसी धर्म में इसे अहुरा मज्दा के रूप में चित्रित किया गया है जो एक पक्षी के सामान है जो इसाई के पवित्र आत्मा से मिलता है क्योंकि वहां भी कबूतर के रूप में पदर्शित है ।
शिन्तो में मस्तिष्क के मध्य केन्द्र को सूर्य के रूप में चित्रित किया गया है ।
प्रचीन पश्चिमी सभ्यता में से एक अनुनाकी के रूप में चित्रित है ।
ताओ धर्म में भी तीन GOD में मध्यवाला के रूप में है ।