"ऑपरेशन ब्लू स्टार": अवतरणों में अंतर

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|date=3– 6 जून 1984
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'''आपरेशन ब्लू स्टार''' [[भारतीय सेना]] द्वारा 3 से 6 जून 1984 को [[अमृतसर]] (पंजाब, भारत) स्थित [[हरिमंदिर साहिब]] परिसर को [[ख़ालिस्तान]] समर्थक [[सतं जनरैल सिंह भिंडरावाले]] और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/multimedia/2014/06/140605_operation_blue_star_gallery_rns|title=जरनैल सिंह भिंडरावाले का सफ़र}}</ref> [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो हो रही थीं तोजिन्हें [[पाकिस्तान]] से समर्थन मिल रहा था। Ye sab jhoth hai khalistan zindabad khalistan zindabad khalistan zindabad 🚩 Saint baba jarnail Singh Khalsa bindrawale zindabad
 
== ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ==
[[पंजाब (भारत)|पंजाब]] समस्या की शुरुआत 1970 के दशक से अकाली राजनीति में खींचतान और अकालियों की [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] संबंधित माँगों के रूप में हुई थी। 1973 और 1978 ई. में अकाली दल ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया। मूल प्रस्ताव में सुझाया गया था कि [[भारत]] की केंद्र सरकार का केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार हो जबकि अन्य विषयों पर राज्यों को पूर्ण अधिकार हों. वे भारत के उत्तरी क्षेत्र में स्वायत्तता चाहते थे। उनकी माँग थी कि- [[चंडीगढ़]] केवल [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] की ही राजधानी हो, पंजाबी भाषी क्षेत्र पंजाब में शामिल किए जाएँ, नदियों के पानी के मुद्दे पर [[सर्वोच्च न्यायालय]] की राय ली जाए, 'नहरों के हेडवर्क्स' और पन-बिजली बनाने के मूलभूत ढाँचे का प्रबंधन पंजाब के पास हो, फ़ौज में भर्ती काबिलियत के आधार पर हो और इसमें सिखों की भर्ती पर लगी कथित सीमा हटाई जाए, तथा अखिल भारतीय गुरुद्वारा क़ानून बनाया जाए.
अकालियों का समर्थन और प्रभाव बढ़ने लगा। इसी बीच अमृतसर में 13 अप्रैल 1978 को अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई। इसमें 13 अकाली कार्यकर्ता मारे गए। रोष दिवस में सिख धर्म प्रचार की संस्था के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। अनेक पर्यवेक्षक इस घटना को पंजाब में चरमपंथ की शुरुआत के रूप में देखते हैं। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी पर सिख समुदाय में अकाली दल के जनाधार को घटाने के लिए जरनैल सिंह भिंडरांवाले को परोक्ष रूप से प्रोत्साहन देने का आरोप लगाया जाता है।
:अकाली दल भारत की राजनीतिक मुख्यधारा में रहकर पंजाब और सिखों की माँगों की बात कर रहा था लेकिन उसका रवैया ढुलमुल माना जाता था। जरनैल सिंह भिंडरवालेभिंडरांवाले ने इनपर कड़ा रुख़ अपनाया और केंद्र सरकार को दोषी ठहराना शुरु किया। वे विवादास्पद राजनीतिक मुद्दों और धर्म और उसकी मर्यादा पर नियमित तौर पर भाषण देने लगे। उन्हें एक तबके का समर्थन भी मिलने लगा।
:पंजाब में हिंसक घटनाएँ बढ़ने लगी। सितंबर 1981 में हिंदी समाचार - [[पंजाब केसरी]] अख़बार समूह के संपादक लाला जगत नारायण की हत्या कर दी गईगई। (कयोंकि जगत नायाण सिखो तथा उनके गुरु के बारे में बहुत आपशबद लिखे। पहले उसे संत ने रोका भी पर वो नहीं माना) जलंधरजालंधर, तरन तारन, अमृतसर, फ़रीदकोट और गुरदासपुर में हुई हिंसक घटनाओं में कई जानें गईं। भिंडरांवाले पर हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप लगे। पुलिस पर्याप्त सबूत नहीं होने की बात कहकर उनके खिलाफ कार्यवाई करने से बचती रही।
:सितंबर १९८१ में भिंडरांवाले के महता चौक गुरुद्वारे के सामने गिरफ़्तार होने पर वहाँ एकत्र
भीड़ और पुलिस के बीच गोलीबारी हुई और ग्यारह व्यक्तियों की मौत हो गई। पंजाब में हिंसा का दौर शुरु हो गया। कुछ ही दिन बाद सिख छात्र संघ के सदस्यों ने एयर इंडिया के विमान का अपहरण कर लिया।
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== क्षति ==
भीषण ख़ून-ख़राबा हुआ। अकाल तख़्त पूरी तरह तबाह हो गया। स्वर्ण मंदिर पर भी गोलियाँ चलीं। कई सदियों में पहली बार वहाँ से पाठ छह, सात और आठ जून को नहीं हो पाया। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सिख पुस्तकालय जल गया।
:भारत सरकार के श्वेतपत्र के अनुसार 83 सैनिक मारे गए और 249 घायल हुए। 493 चरमपंथी या आम नागरिक मारे गए, 86 घायल हुए जो दर्शन करने आए थे और 1592 को गिरफ़्तार किया गया। लेकिन ये आंकड़े विवादित माने जाते हैं।
 
== धार्मिक प्रभाव ==