"मिहिर भोज": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
छो संजीव कुमार द्वारा सम्पादित संस्करण 4201451 पर पूर्ववत किया: गुर्जर-राजपूत संपादन युद्ध। (ट्विंकल) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 4:
| image = Statue of Pratihar Samraat Mihir Bhoj in Bharat Upvan ofAkshardham Mandir New Delhi.jpg
| alt = सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार
| caption = दिल्ली में मिहिरभोज
| succession = छठे
| predecessor = [[रामभद्र
| successor = [[महेन्द्रपाल
| issue = [[महेन्द्रपाल
| death_date = 885
| death_place = [[नर्मदा नदी]]
पंक्ति 15:
| father = [[रामभद्र प्रतिहार]]
}}
'''मिहिरभोज प्रतिहार''', [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश]] के सबसे महान राजा माने जाते
▲''', गुर्जर प्रतिहार के सबसे महान राजा माने जाते हैं जो राजपूत वंश की शाखा है ,इन्होने लगभग ५० वर्ष तक राज्य किया था। इनका साम्राज्य अत्यन्त विशाल था और इसके अन्तर्गत वे क्षेत्र आते थे जो आधुनिक भारत के राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियांणा, उडीशा, गुजरात, हिमाचल आदि राज्यों हैं।
मिहिरभोज गुर्जर
सम्राट मिहिरभोज ने 836 ईस्वीं से 885 ईस्वीं तक 49 साल तक राज किया। मिहिरभोज
915 ईस्वीं में भारत आए बगदाद के इतिहासकार अल- मसूदी ने अपनी किताब मरूजुल महान मेें भी मिहिरभोज प्रतिहार की 36 लाख सेनिको की पराक्रमी सेना के बारे में लिखा है। इनकी राजशाही का निशान “वराह” था और मुस्लिम आक्रमणकारियों के मन में इतनी भय थी कि वे वराह यानि सूअर से नफरत करते थे। मिहिरभोज की सेना में सभी वर्ग एवं जातियों के लोगो ने राष्ट्र की रक्षा के लिए हथियार उठाये और इस्लामिक आक्रान्ताओं से लड़ाईयाँ लड़ी।
Line 29 ⟶ 28:
== सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार द्वारा चलाये गये सिक्के ==
अरब यात्री सुलेमान और मसूदी ने अपने यात्रा विवरण में लिखा है ’जिनका नाम बराह (मिहिरभोज) है। उसके राज्य में चोर डाकू का भय कतई नहीं है। उसकी राजधानी कन्नौज भारत का प्रमुख नगर है जिसमें 7 किले और दस हजार मंदिर है। आदि बराह का (विष्णु) का अवतार माना जाता है। यह इसलाम धर्म और अरबों का सबसे बड़ा शत्रु है। मिहिरभोज अपने जीवन के पचास वर्ष युद्ध के मैदान में घोड़े की पीठ पर युद्धों में व्यस्त रहा। उसकी चार सेना थी उनमें से एक सेना कनकपाल परमार गुर्जर के नेतृत्व में गढ़वाल नेपाल के राघवदेव की तिब्बत के आक्रमणों से रक्षा करती थी। इसी प्रकार एक सेना अल्कान देव के नेतृत्व में पंजाब के वर्तमान गुर्जराज नगर के समीप नियुक्त थी जो काबुल के ललियाशाही राजाओं को तुर्किस्तान की तरफ से होने वाले आक्रमणों से रक्षा करती थी। इसकी पश्चिम की सेना मुलतान के मुसलमान शासक पर नियंत्रण करती थी। दक्षिण की सेना मानकि के राजा बल्हारा से तथा अन्य दो सेना दो दिशाओं में युद्धरत रहती थी।सम्राट मिहिरभेाज प्रतिहार इन चारों सेनाओं का संचालन, मार्गदर्शन तथा नियंत्रण स्वयं करता था।अपने पूर्वज
एक तरफ अरब, सीरिया व ईराक आदि के इस्लामिक सैनिक थे, जिनका मकसद पूरी दुनिया में इस्लामी हुकूमत कायम करना था और दूसरी तरफ महान हिन्दू-धर्म व संस्कृति के प्रतीक प्रतिहार
हिन्दू योद्धा रात्रि में सोये हुए सेनिको पर आक्रमण को धर्म विरुद्ध मानते थे लेकिन मुस्लिम आक्रान्ता रात्रि के समय कभी भी हमला कर देते इस प्रकार के भयानक युद्ध अरबों व प्रतिहारों में निरन्तर चलते रहे। कभी रणक्षेत्र में भिनमाल, कभी हकड़ा नदी का किनारा, कभी भड़ौच व वल्लभी नगर तक अरबों के प्रहार हो जाते थे। कोई नगर क्षतिग्रस्त और कोई नगर ध्वस्त होता रहता था। जन धन की भारी हानि प्रतिहारो को युद्ध में उठानी पड़ी जिनका प्रभाव अगले युद्धों पर पड़ा। बारह वर्ष तक इन भयानक युद्धों में भिनमाल आदि अनेक प्रसिद्ध नगर बुरी तरह ध्वस्त व कई राजवंश नष्ट हो गए और कई की दशा बहुत बिगड़ गई परन्तु हिन्दू धर्म व संस्कृति के रक्षक वीरों ने हिम्मत नहीं हारी। कश्मीर का सम्राट शंकर वर्मन मिहिरभोज प्रतिहार का मित्र था। मिहिरभोज के समय अरबों ने भारत में अपनी शक्ति बढ़ाने का खूब प्रयास किया लेकिन बहादुर हिन्दू सम्राट ने अरबों को कच्छ से भी निकाल भगाया जहाँ वे आगे बढ़ने लगे थे। इस वीर सम्राट ने अपने बाहुबल से खलीफा का अधिकार सिन्ध से भी हटा लिया। मिहिरभोज प्रतिहार का राज्याधिकारी अलाखान काबुल हिन्दूशाही वंश के राजा लालिप को अरबों के होने वाले आक्रमणों के विरूद्ध निरन्तर सहायता देता रहा क्योंकि उस समय काबुल कन्धार भारतवर्ष के ही भाग थे।
==इन्हें भी देखें==
*[[गुर्जर प्रतिहार राजवंश]]
* [[परमार भोज]] - [[परमार वंश]] के महान् सम्राट
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
सन्दर्भ : -
(1) प्रतिहारों का मूल इतिहास लेखक - देवी सिंह मंडावा
(2) विंध्य क्षेत्र के प्रतिहार वंश का इतिहास लेखक - डा अनुपम सिंह
(3) परिहार वंश का प्रकाश लेखक - मुंशी देवी प्रसाद
(4) नागौद परिचय लेखक - जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी
(5) मण्डौर का इतिहास लेखक - श्री सिंह
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.pravakta.com/east-central-span-oblivion-megastar-emperor-mehr-banquet/ पूर्व मध्य काल का विस्मृति महानायक: सम्राट मिहिर भोज]
*[http://Pratihars.blogspot.com जानिए कौन थे महान हिन्दू सम्राट मिहिरभोज प्रतिहार]
[[श्रेणी:भारतीय सम्राट]]
|