"सारस्वत ब्राह्मण": अवतरणों में अंतर

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'''सारस्वत ब्राह्मण''' भारत के हिन्दू ब्राह्मणों का एक उप-बड़ा समूह है जो अपने आपको [[सरस्वती नदी]] के किनारे रहने वालोंवाले ब्राह्मणों का वंशज मानते हैं। इनकी संख्या पंजाब, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश,दिल्ली में सबसे अधिक है। इनकी ही शाखा हैं [[गौड़ सारस्वत ब्राह्मण]] जो दक्षिण में बहुत प्रचलित हैं। गोवा,केरल,महाराष्ट्र,कर्नाटक में इनकी संख्या अधिक है ।
 
पंचगौड़ ब्राह्मण के अन्तर्गत
1.सारस्वत
2.कान्यकुब्ज
3.गौड़
4.मैथिल
5.उत्कल
सृष्टि की उत्‍पत्ति परमपिता परमेश्‍वर विष्‍णु भगवान की नाभि से कमल, कमल से ब्रह्मा एवं ब्रह्मा के चरों दिशाओं में देखने से चार मुख तथा उनके सृष्टि की कल्‍पना व उत्‍पत्ति से मरीचि ऋषि का पैदा होना पाया गया। इन्‍हीं मरीचि ऋषि से वंश श्रृंखला के महान मुर्धन्‍यदैवज्ञ ब्रह्मा के पौत्र श्रृंखला में अर्थवर्ण ऋषि हुए जिन्‍होंने मां भगवती की आराधना की व उन्‍हीं के आशीर्वाद से कंदर्य ऋषि की पुत्री शान्‍ती से ऋषि की शादी हुई जिनके 2 संतान- एक पुत्र द‍धीचि तथा एक पुत्री नारायणी पैदा हुई।
 
मां सरस्‍वती व दधीचि (दध्‍यंग) ऋषि से सारस्‍वत कुल का पैदा होना बताया जाता है जिनका क्षेत्रवार नाम भी रहा है। एक मान्‍यता यह भी है कि सरस्‍वती नदी के किनारे रहनेवाले ब्राह्मण सारस्‍वत कहलाए। सरस ऋषि की संतान के रूप में भी प्रसिद्धि फैली हुई है। सारस्‍वत समाज (कुण्‍डीय) में चार थांबा (स्‍तंभ), 24 जातियां शामिल हैं।
 
[[कल्हण]] के ''[[राजतरंगिणी]]'' (१२वीं सदी) में [[विन्ध्याचल पर्वत शृंखला|विन्ध्याचल]] के उत्तर में रहने वाले पाँच पंच गौड ब्राह्मणों में से एक है।<ref>{{cite book |url=https://books.google.com/books?id=lXyWE6KbG8oC&pg=PA168 |title=Caste in Life: Experiencing Inequalities |editor=डी॰ श्याम बाबू और रविन्द्र एस॰ खरे |publisher=पीयर्सन एजुकेशन इंडिया |year=2011 |isbn=9788131754399 |page=168 |language=en}}</ref>