"साहित्य दर्पण": अवतरणों में अंतर
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इस प्रकार प्रायः प्रत्येक शास्त्रकार ने अपने समय में उपलब्ध महाकाव्यों के आधार पर महाकाव्य के लक्षणों का विधान किया है, लेकिन अधिकांश आधुनिक विचारक विश्वनाथ के विचारों को प्रामाणिक मानते हैं और परवर्ती महाकाव्यों में तो विश्वनाथ के मत को अधिकाधिक ग्राह्य समझा गया है।
==सन्दर्भ== Sanskrit
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