"पचमढ़ी": अवतरणों में अंतर

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"नागव्दार यात्रा " पचमढ़ी (होशंगाबाद, मध्यप्रदेश ) केदारनाथ यात्रा के समान मध्यप्रदेश मे प्रतिवर्ष की जाने वाली नागव्दार यात्रा भक्ति भावना (ईश्वर के प्रति समर्पिण)की प्राकाष्टा को प्रदर्शित करती है प्रारंभ - पचमढ़ी शहर (होशंगाबाद ) से समापन - नागव्दार गुफा, महादेव पहाड़ी (सतपुड़ा के पर्वतो मे ) समर्पित - भगवान् शिव यात्रीगण- 5 वर्ष से 60 वर्षीय बच्चे,युवा एवं बुर्जुग वर्ग, जो उतरी महाराष्ट्र (ज्यादातर यात्री), म.प्र . एवं थोड़े-बहुत अन्य राज्यो से । यात्रा -...
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[[चित्र:Pachmarhi.jpg|thumb|right|350px|पचमढ़ी की पांडव गुफाएँ]][[मध्यप्रदेश]] के एकमात्र पर्वतीय स्थल [[होशंगाबाद]] जिले में स्थित '''पचमढ़ी''' समुद्र तल से १,०६७ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। सतपुड़ा श्रेणियों के बीच स्थित होने और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है। यहाँ घने जंगल, कलकल करते जलप्रपात और तालाब हैं। [[सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान]] का भाग होने के कारण यहाँ आसपास बहुत घने जंगल हैं। यहाँ के जंगलों में शेर, [[तेंदुआ]], [[सांभर]], [[चीतल]], गौर, [[चिंकारा]], [[भालू]], [[भैंसा]] तथा कई अन्य जंगली जानवर मिलते हैं। यहाँ की गुफाएँ पुरातात्विक महत्व की हैं, क्योंकि यहाँ गुफाओं में [[शैलचित्र]] भी मिले हैं।
"नागव्दार यात्रा "
पचमढ़ी (होशंगाबाद, मध्यप्रदेश )
 
केदारनाथ यात्रा के समान मध्यप्रदेश मे प्रतिवर्ष की जाने वाली नागव्दार यात्रा भक्ति भावना (ईश्वर के प्रति समर्पिण)की प्राकाष्टा को प्रदर्शित करती है
 
प्रारंभ - पचमढ़ी शहर (होशंगाबाद ) से
 
समापन - नागव्दार गुफा, महादेव पहाड़ी (सतपुड़ा के पर्वतो मे )
 
समर्पित - भगवान् शिव
 
यात्रीगण- 5 वर्ष से 60 वर्षीय बच्चे,युवा एवं बुर्जुग वर्ग, जो उतरी महाराष्ट्र (ज्यादातर यात्री), म.प्र . एवं थोड़े-बहुत अन्य राज्यो से ।
 
यात्रा - पचमढ़ी से प्रारंभ होकर 20 km. तक का सफर पैदल चलकर तय करना होता है।
 
पर्यटन स्थल -
-धुपगढ , (1350 m. ऊंचाई पर स्थित म. प्र . का सबसे ऊंचा स्थान )
- पांडव की गुफाए,
- अप्सरा जलप्रपात,
- नागव्दार गुफा
 
विशेष -
- इस यात्रा की अनुमति म.प्र. सरकार व्दारा प्रतिवर्ष सिर्फ छः दिनों के लिए दी जाती है ।
- पैदल की जाने वाली इस यात्रा से सतपुड़ा के पर्वतो को घुमने का सुअवसर प्राप्त होता है ।
 
इस तरह नागव्दार यात्रा अपने लौकिक एवं प्राकृतिक सौंदर्यो के कारण विशिष्ट पहचान को बनाए हुए है ।
Written by bablu dayma
 
== पहुंचने का मार्ग ==