पचमढ़ी
पंचमढ़ी (𑂣𑂒𑂧𑂛𑂲) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के नर्मदापुरम जिले में स्थित एक पर्वतीय पर्यटक स्थल (हिल स्टेशन) है। यह ब्रिटिश राज के जमाने से एक छावनी रही है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण 1067 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह शहर अक्सर "सतपुड़ा की रानी" कहलाता है। यह पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व में आता है और मध्य प्रदेश का उच्चतम बिंदु, 1352 मीटर ऊँचा धूपगढ़, यहीं स्थित है।[1][2]
पचमढ़ी 𑂣𑂒𑂧𑂛𑂲 | |
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पचमढ़ी का एक दृश्य | |
उपनाम: सतपुड़ा की रानी | |
निर्देशांक: 22°28′00″N 78°26′00″E / 22.4667°N 78.4333°Eनिर्देशांक: 22°28′00″N 78°26′00″E / 22.4667°N 78.4333°E | |
संभाग | नर्मदापुरम जिला |
राज्य | मध्य प्रदेश |
देश | भारत |
भाषा | |
• प्रचलित | हिंदी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
विवरण
संपादित करेंयह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 190 किलोमीटर दूर स्थित है। पचमढ़ी की खोज का श्रेय डी एच गार्डन नामक विद्वान को जाता है। समुद्र तल से 1069 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। सतपुड़ा श्रेणियों के बीच स्थित होने और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है। यहाँ घने जंगल, कलकल करते जलप्रपात और तालाब हैं। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का भाग होने के कारण यहाँ आसपास बहुत घने जंगल हैं। यहाँ के जंगलों में शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू, भैंस तथा कई अन्य जंगली जानवर मिलते हैं। यहाँ की गुफाएँ पुरातात्विक महत्व की हैं, क्योंकि यहाँ गुफाओं में शैलचित्र भी मिले हैं।
पहुँचने का मार्ग
संपादित करेंपचमढ़ी पिपरिया तहसील में पिपरिया-पचमढ़ी मार्ग पर तहसील मुख्यालय से 54 किमी की दूरी पर स्थित है। भोपाल से पचमढ़ी की दूरी लगभग 204 किमी है जहां से नियमित बसें चलती हैं। मध्य रेलवे की इटारसी-जबलपुर शाखा पर स्थित पिपरिया रेलवे स्टेशन । पचमढ़ी सड़क मार्ग पर यह लगभग 52 किमी दूर है।
पचमढ़ी एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल होने के कारण यह सड़क, रेल और वायुमार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है। किसी भी माध्यम से यहाँ सरलता से पहुँचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त यहाँ ठहरने के लिए भी कई विकल्प उपलब्ध हैं
रेल: मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग पर इटारसी व जबलपुर के बीच पिपरिया स्टेशन सबसे पास है।
सड़क: पचमढ़ी भोपाल, इंदौर, नागपुर, नर्मदापुरम, छिंदवाड़ा तथा पिपरिया से सीधा जुड़ा है। पिपरिया से टैक्सी भी उपलब्ध रहती हैं।
हवाई मार्ग:भोपाल हवाई अड्डे के द्वारा दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर, मुंबई, रायपुर और जबलपुर से जुड़ा है।
सामान्य जानकारी
संपादित करेंपचमढ़ी सदाबहार सतपुड़ा पर्वत श्रेणी पर सुंदर पहाड़ियों से घिरा पठार है, जिसे पर्यटक प्यार से सतपुड़ा की रानी कहते हैं। इस पठार का वनक्षेत्र सहित कुल क्षेत्र लगभग 60 वर्ग किमी है। सामान्य मान्यता के अनुसार पचमढ़ी नाम, पचमढ़ी या पांडवों की पाँच गुफा से व्युत्पन्न है, जिनके संबंध में माना जाता है कि, उन्होंने इस क्षेत्र में अपने अज्ञातवास का अधिकांश समय बिताया था। अंग्रेजों के शासन काल में पचमढ़ी मध्य प्रांत की राजधानी थी। अभी भी मध्यप्रदेश के मंत्रियों तथा उच्च शासकीय अधिकारियों के कार्यालय, कुछ दिनों के लिए पचमढ़ी में लगते हैं। ग्रीष्म काल में यहाँ अधिकारियों की अनेक बैठकें भी होती हैं। यह आरोग्य निवास के रूप में उपयोगी है।
इस स्थान की खोज केप्टन जे॰ फॉरसोथ ने की थी। उन्हें यहां सन् 1862 में, सतपुड़ा के इस भाग के अन्वेषण के लिए भेजा गया था। उन्होंने यहां एक फॉरेस्ट लॉज का निर्माण किया और द हाइलेंडस ऑफ सेंट्रल इंडिया नामक एक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी, जिसमें सतपुड़ा पर्वत श्रेणी की उत्कृष्ट सुंदरता का चित्रण है। जब वे पचमढ़ी आए तो इस क्षेत्र पर पंचमढ़ी के कोरकू जागीरदार का अधिकार था, किंतु हांडी खो के समीप मग्न झोपड़ियों के स्थलों के रूप में अति प्राचीन सभ्यता के चिन्ह विद्यमान थे।
जलवायु
संपादित करेंपंचमढ़ी का ठंडा सुहावना मौसम इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। सर्दियों के मौसम में यहाँ तापमान लगभग 4-5 डिग्री से॰ग्रे॰ रहता है लेकिन मई-जून के महीनों में जब मप्र के अन्य भागों में तापमान 45 डिग्री से॰ग्रे॰ तक पहुँच जाता है, पचमढ़ी में 35 डिसे से अधिक नहीं होता। इस कारण यहाँ गर्मियों में पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है। सतपुड़ा के घने जंगलों से घिरा यह रमणीय स्थल इसके मौसम के कारण ही अपने आप में विशिष्ट बन गया है।
यहाँ की सदाबहार हरियाली घास और हर्रा, जामुन, साज, साल, चीड़, देवदारू, सफेद ओक, यूकेलिप्टस, गुलमोहर, जेकेरेंडा और अन्य छोटे-बडे सघन वृक्षों से आच्छादित वन गलियारों तथा घाटियों के कारण दृश्यावली मनमोहक है। तल भूमि भी घास तथा जहाँ-तहाँ फर्न और पत्तों से हरी-भरी है। भाँति-भाँति के खिले फूल और उन पर मंडराती तितलियाँ नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत करते हैं। प्रहारियों के समान खड़ी पहाड़ियाँ मुलायम बलुआ पत्थर की बनी है। पानी से वे विरूपित हो गई है किंतु भव्य दिखाई देती हैं।
दर्शनीय स्थल
संपादित करेंयहाँ महादेव, चौरागढ़ का मंदिर, रीछागढ़, डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुंड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया जिसका क्षेत्रफल 524 वर्ग किलोमीटर है। यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ रुकने के लिए उद्यान के निर्देशक से अनुमति लेना जरूरी है। इसके अलावा यहाँ कैथोलिक चर्च और क्राइस्ट चर्च भी हैं।
प्रियदर्शिनी प्वाइंट : यहाँ से सूर्यास्त का दृश्य बहुत ही लुभावना लगता है। तीन पहाड़ी शिखर बायीं तरफ चौरादेव, बीच में महादेव तथा दायीं ओर धूपगढ़ दिखाई देते हैं। इनमें धूपगढ़ सबसे ऊँची चोटी है।
रजत प्रपात: यह अप्सरा विहार से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 350 फुट की ऊँचाई से गिरता इसका जल इसका जल एकदम दूधिया चाँदी की तरह दिखाई पड़ता है।
बी फॉल: यह जमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिकनिक मनाने के लिए यह एक आदर्श जगह है।
राजेंद्र गिरि : इस पहाड़ी का नाम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया है। सन 1953 में डॉ॰ प्रसाद स्वास्थ्य लाभ के लिए यहाँ आकर रुके थे और उनके लिए यहाँ रविशंकर भवन बनवाया गया था। इस भवन के चारों ओर प्रकृति की असीम सुंदरता बिखरी पड़ी है।
हांडी खोह : यह खाई पचमढ़ी की सबसे गहरी खाई है जो 300 फीट गहरी है। यह घने जंगलों से ढँकी है और यहाँ कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही सुकूनदायक लगता है। वनों के घनेपन के कारण जल दिखाई नहीं देता; पौराणिक संदर्भ कहते हैं कि भगवान शिव ने यहाँ एक बड़े राक्षस रूपी सर्प को चट्टान के नीचे दबाकर रखा था। स्थानीय लोग इसे अंधी खोह भी कहते हैं जो अपने नाम को सार्थक करती है; यहाँ बने रेलिंग प्लेटफार्म से घाटी का नजारा बहुत सुंदर दिखता है।
जटाशंकर गुफा: यह एक पवित्र गुफा है जो पचमढ़ी कस्बे से 1.5 किलोमीटर दूरी पर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए कुछ दूर तक पैदल चलना पड़ता है। मंदिर में शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है। यहाँ एक ही चट्टान पर बनी हनुमानजी की मूर्ति भी एक मंदिर में स्थित है। पास ही में हार्पर की गुफा भी है।
पांडव गुफा: महाभारत काल की मानी जाने वाली पाँच गुफाएँ यहाँ हैं जिनमें द्रौपदी कोठरी और भीम कोठरी प्रमुख हैं। पुरातत्वविद मानते हैं कि ये गुफाएँ गुप्तकाल की हैं, जिन्हें बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया था।
अप्सरा विहार: पांडव गुफाओं से आगे चलने पर 30 फीट गहरा एक ताल है जिसमें नहाने और तैरने का आनंद लिया जा सकता है। इसमें एक झरना आकर गिरता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसंदर्भ
संपादित करें- ↑ "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
- ↑ "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293