पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व

भारत मे बायोस्पीयर रिजरर्व | २००९ में नामीत किया गया

पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व एक गैर-उपयोग संरक्षण क्षेत्र है यह मध्य भारत के सतपुड़ा रेंज में स्थित है। इस संरक्षण क्षेत्र को 1999 में भारत सरकार द्वारा बनाया गया था। यूनेस्को ने 2009 में इसे बायोस्फीयर रिजर्व नामित किया था।

पचमढ़ी घाटी में पचमढ़ी बायोस्फियर रिजर्व।

भूगोल संपादित करें

पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व, मध्य प्रदेश के होशंगाबाद, बैतूल और छिंदवाड़ा जिलों मध्य में स्थित है। बायोस्फीयर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 4926.28 वर्ग किलोमीटर (1,217,310 एकड़) है। इसमें तीन वन्यजीव संरक्षण इकाइयां शामिल हैं:

सतपुरा राष्ट्रीय उद्यान को मुख्य क्षेत्र के रूप में प्राधिकृत है और शेष 40101.91 किमी2, बोरी और पचमढ़ी अभयारण्य सहित शेष क्षेत्र, बफर जोन के रूप में कार्य करता है।

 
पचमढ़ी बायोस्फियर रिजर्व में स्थित झरना

पारिस्थितिकी संपादित करें

यह आरक्षित क्षेत्र मुख्य रूप से स्थानीय वन्यजीव के लिए बना हुआ है, और यह पश्चिमी और पूर्वी भारत के वन प्रजातियों के बीच एक महत्वपूर्ण संक्रमण क्षेत्र की तरह कार्य करता है।

फ्लोरा संपादित करें

जंगलों में मुख्य रूप से सागौन (टेक्टोना ग्रांडी) के पेड़ पाए जाते है इसके आलावा यहाँ साल (शोरो रोबस्टा) के पेड़ भी हैं, जो की पूर्वी भारत के जंगलों का प्रमुख पेड़ है। अन्य स्थानिक वनस्पतियों में जंगली आम, सिल्वर फ़र्न, जामुन और अर्जुन आदि शामिल हैं।[1]

लोक वनस्पति संपादित करें

यहाँ पर पाए जाने वाले चौदह लोक वनस्पति पौधों की प्रजातियों का अध्ययन किया जा चुका है, जिसे रिसर्व के बफर ज़ोन क्षेत्र पर स्थित चयनित गांवों से लाया गया। इन महत्वपूर्ण प्रजातियों के विभिन्न पौधों को स्थानीय लोग अपनी खपत तथा व्यापार के लिए एकत्र करते हैं। इन आरक्षित वनस्पति का एक हिस्सा प्रो. चंद्र प्रकाश कला द्वारा अध्ययन किया गया है, विशेषकर पौधों के स्वदेशी उपयोगों के संबंध में।

कुल 5 लोक-वनस्पति प्रजातियां जैसे बबूलिया नीलोटिका, अनोगेसस लेटिफोलिया, स्टेरक्लिया यूरैंस, टर्मिनलिया टोमेंटोसा और टर्मिनलिया अर्जुन से गोंद संग्रह किया जाता हैं। बबूल नीलोटिका और टर्मिनलिया टोमेंटोसा के पेड़ से गोंद, बिना किसी चीरा लगाए उसकी शाखाओं से स्वतः ही निकल जाता हैं। अनोगेसस लेटिफोलिया, स्टेर्क्यूलिया यूरेंस, और टर्मिनलिया अर्जुन में गोंद संग्रह हेतु पारंपरिक रूप चले आ रहे विधि द्वारा तने में चीरा लगाके किया जाता हैं।

जीव संपादित करें

बड़े स्तनपायी प्रजातियों में बाघ, तेंदुए, जंगली सूअर, गौर, चीतल हिरण, हिरण, सांभर हिरण, और रीसस बन्दर शामिल हैं। स्थानिक पशुवर्ग में चिंकारा, नीलगाय, जंगली कुत्ते, भारतीय भेड़िया, गवल, भारतीय विशाल गिलहरी, और उड़न गिलहरी शामिल हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें