"मृच्छकटिकम्": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 11:
 
== दस अंकों का परिचय ==
मृच्छकटिकमृच्छकटिकम् में दस अंक हैं, प्रत्येक अंक में कई दृष्य हैं। इस नाटक में एक सच्चरित्र किन्तु गरीब ब्राह्मण चारुदत्त की कहानी है जिसे सौंदर्यमयी गणिका वसन्तसेना प्रेम करती है। इसी के साथ आर्यक की राज्यप्राप्ति की राजनीतिक कथा भी गुँथी हुई है। कृतिकार ने दोनों कथाओं को कुशलता से जोड़ा है। यह नाटक मोटे तौर पर दो हिस्सों में हैं- पहला, वसन्तसेना और चारुदत्त का प्रेम-प्रसंग तथा दूसरा, राज्य विद्रोह के साथ आर्यक को राजपद की प्राप्ति।
 
'''पहला अंक (अलंकारन्यास)''' : इस अंक में यह कथा है कि राजा का साला शाकार उज्जयिनी की प्रसिद्ध गणिका वसन्तसेना को पाना चाहता है। अपने दो साथियों के साथ एक अँधेरी रात में वह वसन्तसेना का पीछा करता है। भयभीत वसन्तसेना चारुदत्त के घर में शारण लेती है। चोरों से बचने की बात कहकर वह अपने सारे स्वर्ण-आभूषाण चारुदत्त के घर में धरोहर के रूप में छोड़ देती है।