"चंद्रयान-२": अवतरणों में अंतर
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<ref>https://www.nytimes.com/2019/09/06/science/india-moon-landng-chandrayaan-2.html</ref>
== चंद्रयान-2 की क्या है ==
इसमें 13 [[भारतीय]] पेलोड में 8 ऑर्बिटर, 3 लैंडर और 2 रोवर होंगे,इसके अलावा NASA का एक पैसिव एक्सपेरिमेंट होगा ! इसरो ने मिशन के बारे में यह जानकारियां जारी [https://biographyarts.com/chandrayaan-2-mission-in-hindi/ की] हैं !हालांकि इन सभी पेलोड के काम को लेकर विस्तार से जानकारियां नहीं दी है !यह पूरा स्पेसक्राफ्ट कुल मिलाकर 3.8 टन वजनी होगा
== इतिहास ==
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चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के लिए अनुसंधान दल ने लैंडिंग विधि की पहचान की। और इससे जुड़े प्रौद्योगिकियों का अध्ययन किया। इन प्रौद्योगिकियों में उच्च संकल्प कैमरा, नेविगेशन कैमरा, खतरा परिहार कैमरा, एक मुख्य तरल इंजन (800 न्यूटन) और अल्टीमीटर, वेग मीटर, एक्सीलेरोमीटर और इन घटकों को चलाने के लिए सॉफ्टवेयर आदि है।<ref name="duration"/><ref name="AR2015"/> लैंडर के मुख्य इंजन को सफलतापूर्वक 513 सेकंड की अवधि के लिए परीक्षण किया जा चुका है। सेंसर और सॉफ्टवेयर के बंद लूप सत्यापन परीक्षण 2016 के मध्य में परीक्षण करने की योजना बनाई है। <ref name="AR2016"/> लैंडर के इंजीनियरिंग मॉडल को कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले के चुनलेरे में अक्टूबर 2016 के अंत में भूजल और हवाई परीक्षणों के दौर से गुजरना शुरू किया। इसरो ने लैंडिंग साइट का चयन करने के लिए और लैंडर के सेंसर की क्षमता का आकलन करने में सहायता के लिए चुनलेरे में करीब 10 क्रेटर बनाए।
=== “चंद्रयान-2” से भारत देश को होने वाले लाभ – ===
# [https://biographyarts.com/chandrayaan-2-mission-in-hindi/ धरती] के बाद चांद पर भौगोलिक आधिपत्य की होड़ में भारत अग्रणी बनकर उभरेगा.
# फ्रांस का अमेरिका के बाद [[भारत के ज़िले|भारत]] भी सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण स्पेस कमांड वाला देश बन सकता है.
# [[ISO मानकों की सूची|ISRO]] की शक्तिशाली रॉकेट व भारी-भरकम पेलोड छोड़ने की क्षमता का दुनिया को पता चला.
# संचार, सेंसर प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में ISRO की क्षमता का प्रदर्शन होगा
# 2022 में प्रस्तावित भारत के अंतरिक्ष में मानव मिशन ” गगणयान मिशन ” का रास्ता साफ होगा.
# चांद पर मिशन भेजने वाले तीन ताकतवर देशों के क्लब का चौथा सदस्य बन जाएगा.
# चंद्रयान-2 में रखे गए पेलोड से मिलने वाले डाटा से वहां पानी और खनिजों की मौजूदगी का पता चलेगा जिससे वैज्ञानिक प्रयोग शुरु होंगे.
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