"युधिष्ठिर": अवतरणों में अंतर

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→‎बाहरी सम्पर्क: युधिष्ठिर को झूठ बोलना पड़ा था
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== बाहरी सम्पर्क ==
 
{{महाभारत}}युधिष्ठिर ने अज्ञातवास के समय राजा विराट से झूठ बोले थे
{{महाभारत}}
 
अपना परिचय देते हुए युधिष्ठिर ने कहा, “मेरा नाम कनक है, मैं एक ब्राह्मण हूं। मैं वैयघरा नाम के ब्राह्मण परिवार से सम्बधित हूं। मैं धर्मराज युधिष्ठिर का मित्र हूं। मैं पाशे खेलने में बहुत कुशल हूं। मैं सुदूर एक नगर (काल्पनिक नाम) से आया हूं।“
{{आधार}}
{{आधार}} लेकिन इस झूठ मे धर्म था क्योंकि अज्ञातवास मे अपनी पहचान छुपाना धर्म था
 
[[श्रेणी:महाभारत के पात्र]]