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| caption = भरतपुर के 18 वें सदी के हिन्दू जाट शासक महाराजा सूरज मल।
}}
'''जाट''' उत्तरी [[भारत]] और [[पाकिस्तान]] की एक जाति है। वर्ष 2016 तक, जाट, भारत की कुल जनसंख्या का 62 प्रतिशत हैं ।<ref name="IndiaToday.in 2016">{{cite web | author= | title=Jat Agitation: Everything you need to know : Current Affairs | website=इंडिया टुडे | date=25 फ़रवरी 2016 | url=http://indiatoday.intoday.in/education/story/jat-agitation/1/604023.html | accessdate=२४ मई २०१६ |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
''[[एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका]]'' के अनुसार, {{quote|२१वीं सदी के पूर्वार्द्ध में, पंजाब की कुल जनसंख्या का २० प्रतिशत जाट थी, लगभग १० प्रतिशत जनसंख्या ब्लोचिस्तान, राजस्थान और दिल्ली तथा २ से ५ प्रतिशत जनसंख्या सिन्ध, उत्तर-पश्चिम सीमान्त और उत्तर प्रदेश में रहती थी। पाकिस्तान के ४० लाख जाट मुस्लिम हैं; भारत के लगभग 5 करोड़ ६० लाख जाट दो अलग जातियों के रूप में विभाजित हैं: एक सिख जो मुख्यतः पंजाब केन्द्रित हैं तथा अन्य हिन्दू हैं। (स्रोत से लिए गये वाक्य का हिन्दी अनुवाद)<ref>{{cite web|url=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/301575/Jat|title=Jat (caste)|last=Britannica|first=Encyclopedia|publisher=Encyclopædia Britannica|page=1|accessdate=२४ मई २०१६ 2010|archiveurl=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/301575/Jat|archivedate=२७ जनवरी २०१६}}</ref>}}
 
 
जाट जाति की उत्पत्ति के मुख्य सिद्धांत निम्नानुसार हैं:-
===ज्येष्ठ से जाट की उत्पत्ति===
कुछ इतिहासकार जाट जाति की उत्पत्ति ज्येष्ठ शब्द से मानते है. ऐसी धरणा है कि राजसूय-यज्ञ करने के बाद युधिष्ठिर को 'ज्येष्ठ' घोसित किया गया था. आगे चल कर उनकी सन्तान 'ज्येष्ठ' से 'जेठर' तथा 'जेटर' और फ़िर 'जाट' कहलाने लगे. कुछ अन्य इतिहासकार मानते हैं कि पाण्डवों को महाभारत में विजय दिलाने के कारण श्रीकृष्ण को युधिष्ठिर की सभा में ज्येष्ठ की उपाधि दी गयी थी. अलबरुनी श्रीकृष्ण को जाट मानते हैं. (अलबिरुनी, भारत, पृ. 176). वैसे युधिष्ठिर और कृष्ण दोनों के वंशज चंद्रवंशी क्षेत्रीय में सम्मिलित हैं. कृष्ण के वंशज जो कृष्णिया या कासनिया कहलाते हैं वर्तमान में जाटों के एक गोत्र के रूप में मौजूद हैं.
===शिव से जाट की उत्पत्ति===
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार शिव की जटाओं से जाट की उत्पत्ति मानी जाती है. यह सिद्धान्त देव संहिता में उल्लेखित है. देव संहिता की इस कहानी में कहा गया है कि शिव के ससुर राजा दक्ष ने हरिद्वार के पास कनखल में एक यज्ञ किया था. सभी देवताओं को तो यज्ञ में बुलाया पर न तो महादेवजी को ही बुलाया और न ही अपनी पुत्री सती को ही निमंत्रित किया. शिव की पत्नि सती ने शिव से पिता के घर जाने के लिये पूछा तो शिव ने कहा- तुम अपने पिता के घर बिना बुलाये भी जा सकती हो. सती जब पिता के घर गयी तो वहां शिव के लिये कोई स्थान निर्धारित नहीं था, न उनके पति का भाग ही निकाला गया है और न उसका ही सत्कार किया गया. उलटे शिवजी का अपमान किया और बुरा भला कहा गया. अपने पति का अपमान देखकर, पिता तथा ब्रह्मा और विष्णु की योजना को ध्वस्त करने के उद्देश्य से उसने यज्ञ-कुण्ड में छलांग लगा कर प्राण दे दिये. इससे क्रुद्ध शिव ने अपने जट्टा से वीरभद्र नामक गण को उत्पन्न किया. वीरभद्र ने जाकर यज्ञ को भंग कर दिया. आगन्तुक राजाओं का मानमर्दन किया. ब्रह्मा और विष्णु को यज्ञ से जाना पडा. वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया. ब्रह्मा और विष्णु शिव को मनाने उनके पास गये. उन्होने शिव से कहा कि आप भी हमारे बराबर हैं. इस समझौते के बाद शिव और उसके गण जाटों को बराबर का दर्जा मिला. शिव ने दक्ष का सिर जोड दिया. कहते हैं कि दक्ष को बकरे का सिर जोडा गया था. यह भी धारणा है कि ब्राह्मण इसी अपमान के कारण जाटों का इतिहास नहीं बताते या इतिहास तोड़-मरोड़ कर लिखते है.
देवसंहिता के कुछ श्लोक निम्न प्रकार हैं-
पार्वत्युवाचः
भगवन सर्व भूतेश सर्व धर्म विदाम्बरः । कृपया कथ्यतां नाथ जाटानां जन्म कर्मजम् ।।12।।
अर्थ- हे भगवन! हे भूतेश! हे सर्व धर्म विशारदों में श्रेष्ठ! हे स्वामिन! आप कृपा करके मेरे तईं जाट जाति का जन्म एवं कर्म कथन कीजिये ।।12।।
का च माता पिता ह्वेषां का जाति बद किकुलं । कस्तिन काले शुभे जाता प्रश्नानेतान बद प्रभो ।।13।।
अर्थ- हे शंकरजी ! इनकी माता कौन है, पिता कौन है, जाति कौन है, किस काल में इनका जन्म हुआ है ? ।।13।।
श्री महादेव उवाच:
श्रृणु देवि जगद्वन्दे सत्यं सत्यं वदामिते । जटानां जन्मकर्माणि यन्न पूर्व प्रकाशितं ।।14।।
अर्थ- महादेवजी पार्वती का अभिप्राय जानकर बोले कि जगन्माता भगवती ! जाट जाति का जन्म कर्म मैं तुम्हारी ताईं सत्य-सत्य कथन करता हूँ कि जो आज पर्यंत किसी ने न श्रवण किया है और न कथन किया है ।।14।।
महाबला महावीर्या, महासत्य पराक्रमाः । सर्वाग्रे क्षत्रिया जट्‌टा देवकल्‍पा दृढ़-व्रता: || 15 ||
अर्थ- शिवजी बोले कि जाट महाबली हैं, महा वीर्यवान और बड़े पराक्रमी हैं क्षत्रिय प्रभृति क्षितिपालों के पूर्व काल में यह जाति ही पृथ्वी पर राजे-महाराजे रहीं । जाट जाति देव-जाति से श्रेष्ठ है, और दृढ़-प्रतिज्ञा वाले हैं || 15 ||
श्रृष्टेरादौ महामाये वीर भद्रस्य शक्तित: । कन्यानां दक्षस्य गर्भे जाता जट्टा महेश्वरी || 16 ||
अर्थ- शंकरजी बोले हे भगवती ! सृष्टि के आदि में वीरभद्रजी की योगमाया के प्रभाव से उत्पन्न जो पुरूष उनके द्वारा और ब्रह्मपुत्र दक्ष महाराज की कन्या गणी से जाट जाति उत्पन्न होती भई, सो आगे स्पष्ट होवेगा || 16 ||
गर्व खर्चोत्र विग्राणां देवानां च महेश्वरी । विचित्रं विस्‍मयं सत्‍वं पौराण कै साङ्गीपितं || 17 ||
अर्थ- शंकरजी बोले हे देवि ! जाट जाति की उत्पत्ति का जो इतिहास है सो अत्यन्त आश्चर्यमय है । इस इतिहास में विप्र जाति एवं देव जाति का गर्व खर्च होता है । इस कारण इतिहास वर्णनकर्ता कविगणों ने जाट जाति के इतिहास को प्रकाश नहीं किया है || 17 ||
यद्यपि यह एक पौराणिक कहानी है परन्तु यह कुछ ऐतिहासिक तथ्यों की तरफ़ संकेत करती है. इससे एक बात तो साफ है कि सृष्टि के आदि में जाट प्राचीनतम क्षेत्रीय थे. वीरभद्र शिव का अंश था जिससे जाट उत्पन्न हुए. उस समय जाट गणों के रूप में संगठित थे. 'शिव के जट' का अर्थ 'शिव के गण' लगाया जाना चाहिए परन्तु पुरोहितों ने इसका अर्थ गलत लगाया 'शिव के जट्टा' अर्थात 'शिव के सिर के बाल'. उपर के विवरण में कारण भी निहित है कि ब्राह्मणों ने क्यों इनका इतिहास छुपाया और क्यों गलत व्याख्या की गयी. इसी बात को स्पस्ट करने के लिए देव संहिता का ऊपर विवरण दिया गया है. जिसने भी शिव जैसे कार्य कर उनका स्तर प्राप्त किया उसे शिव कहा गया. शिव के चित्र का अवलोकन करें तो देखते हैं कि इनके सर पर जटा-जूट और चन्द्रमा हैं तथा गले में नाग है. इसकी ऐतिहासिक विवेचना यह हो सकती है कि शिव ने चंद्रवंशी जाटों एवं नागवंशी क्षेत्रियों को संगठित किया. इन क्षत्रिय वर्गों की शक्तियां शिव में समाहित हो गयी. लिंगपुराण में शिव के 1000 नाम दिए हैं. उनका हर नाम किसी क्षत्रिय वर्ग का प्रतीक है. अनेक जाट गोत्र इनमें से निकले हैं. रामस्वरूप जून ने अपनी जाट इतिहास की पुस्तक में वीरभद्र की वंशावली दी है जिसके अनुसार पुरु की वंशावली में संयति के पुत्र वीरभद्र के वंशज पौनभद्र से पूनिया, कल्हण भद्र से कल्हण, दहीभद्र से दहिया, जखभद्र से जाखड, ब्रह्मभद्र से बमरोलिया आदि जाट गोत्रों की शाखायें चली
 
 
''[[एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका]]'' के अनुसार, {{quote|२१वीं सदी के पूर्वार्द्ध में, पंजाब की कुल जनसंख्या का २० प्रतिशत जाट थी, लगभग १० प्रतिशत जनसंख्या ब्लोचिस्तान, राजस्थान और दिल्ली तथा २ से ५ प्रतिशत जनसंख्या सिन्ध, उत्तर-पश्चिम सीमान्त और उत्तर प्रदेश में रहती थी। पाकिस्तान के ४० लाख जाट मुस्लिम हैं; भारत के लगभग 5 करोड़ ६० लाख जाट दो अलग जातियों के रूप में विभाजित हैं: एक सिख जो मुख्यतः पंजाब केन्द्रित हैं तथा अन्य हिन्दू हैं। (स्रोत से लिए गये वाक्य का हिन्दी अनुवाद)<ref>{{cite web|url=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/301575/Jat|title=Jat (caste)|last=Britannica|first=Encyclopedia|publisher=Encyclopædia Britannica|page=1|accessdate=२४ मई २०१६ 2010|archiveurl=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/301575/Jat|archivedate=२७ जनवरी २०१६}}</ref>}}
 
===स्वतंत्रता से पूर्व===
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====भारतीय गणराज्य====
राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में जाट जाति मेहनती[[अन्य जातिपिछड़ा वर्ग]] के रूप में वर्गीकृत की गयी हैं।<ref>{{cite web|url=http://timesofindia.indiatimes.com/home/lok-sabha-elections-2014/news/Upper-castes-rule-Cabinet-backwards-MoS/articleshow/35624877.cms|title=Upper castes rule Cabinet, backwards MoS|work=द टाइम्स ऑफ़ इंडिया |language=अंग्रेज़ी}}</ref><ref>{{cite web |url = http://www.expressindia.com/news/ie/daily/19991023/ige23036.html https://web.archive.org/web/20120120161910/http://www.expressindia.com/news/ie/daily/19991023/ige23036.html |title= Sheila puts Delhi Jats on OBC list |date=23 अक्टूबर 1999 |publisher=एक्सप्रेस इंडिया |archiveurl = https://web.archive.org/web/20120120161910/http://www.expressindia.com/news/ie/daily/19991023/ige23036.html |archivedate=२० जनवरी २०१२ |language=अंग्रेज़ी}}</ref><ref>{{cite web|url=http://sify.com/news/so-why-are-the-gujjars-hungry-for-the-st-pie-news-national-jegr99ahfcd.html|title=So why are the Gujjars hungry for the ST pie?|work=Sify}}</ref><ref>{{cite web|url=http://books.google.co.in/books?id=S46rbUL6GrMC&pg=PA166&lpg=PA166|title=Political Process in Uttar Pradesh|work=google.co.in}}</ref>
 
२०वीं सदी और वर्तमान में जाट हरियाणा<ref>{{cite web|url=http://books.google.co.in/books?id=2UX2-pnGoScC&pg=PA197&lpg=PA197.htm|title=Caste and Democratic Politics in India|work=google.co.in}}</ref>राजस्थान और [[पंजाब (भारत)|पंजाब]]<ref>{{cite web|url=http://www.indianmuslims.info/news/2007/january/21/india_news/history_of_punjab_politics_jats_do_it.html|title=PremiumSale.com Premium Domains|work=indianmuslims.info}}</ref> में राजनैतिक रूप से अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। भारत के छटे प्रधानमन्त्री [[चरण सिंह]] सहित कुछ जाट नेता ख्यात राजनेताओं के रूप में उभरे।
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==गौत्र पद्धति==
जाट लोग विभिन्न गोत्रों में विभक्त हैं जिनमें से कुछ गौत्र एक दूसरे पर अधिव्यापित होती हैं।<ref>{{cite book |first=जे॰ए॰ |last=मार्शल |title=Guide to Taxila |trans-title=तक्षिला का मार्गदर्शन |publisher=कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस |year=1960 |page=24|language=अंग्रेज़ी}}</ref>
==भारत के प्रमुख जाट राजवंश==
*भारत के प्रमुख जाट गणराज्य यौधेय,शिवि,कठ,मालव,दहिया,अर्जुनायन,कुनिद,पोरस
नागवंश आज वर्तमान में जाट जाति में सम्मलित है।
*गुप्त वंश-गुप्त साम्राज्य के संस्थापक धारण जाट थे। चंद्रगोमिनी और मरुकल्प के अनुसार गुप्त वंश जाट थे।
*थानेस्वर का जाट वंश
*मालवा का औलिकर वारिक वंश
*दिल्ली का तोमर वंश
*अजमेर का चौहान वंश
*सोरो का सोलंकी वंश
*नागौर का नागवंशी जाट राजा
*किनसरिया का दहिया राजवंश
*राजस्थान के जाट गणराज्य
*सारण (सारणौटी) रियासत में 360 गाँव आते इसकी राजधानी भाडंग थी। राजा पूलाजी सारण इनके अंतिम राजा थे राज्य के प्रमुख गांव खेजड़ा , फोगां , धीरवास , भाडंग , सिरसला , बुच्चावास , सवाई, पूलासर, हरदेसर, कालूसर, बन्धनाऊ , गाजूसर, सारायण, उदासर
*पूनियावाटी (पूनिया पट्टी) इसके अधीन भी 360 गाँव थे।इसकी राजधानी बड़ी लूदी थी। राजा कान्हाजी पूनिया अंतिम राजा थे। इस राज्य में लूदी, झांसल, मरौडा, अजीतपुर प्रमुख गांव थे।
*बेनीवाल पट्टी इसके अधीन 360 गाँव आते थे।इसकी राजधानी रायसलाना (रस्लान)थी। राजा रायसलजी बेनीवाल इनके राजा थे।इसके प्रमुख गाँव भूखरका , सुन्दरी, सोनडी, मनोहरपुरा, कूई, बाय थे।
*भुरूपाल के जोहिया के अधिन 600गांव थे। इनकी राजधानी भुरूपाल थी। भुरूपाल का अंतिम राजा शेरसिंह था इस राज्य के प्रमुख गाँव जैतपुर,कुमाना महाजन,पीपासर,उदासर थे।
*स्यागोटी राज्य सिहाग गोत्र के जाटों का राज्य था इनके अधीन 160 गाँव थे इनकी राजधानी सूंई (लूणकरणसर)थी। इनका अंतिम राजा चोखासिंह सिहाग था।यह बड़ा दयालु था।इनकी दयालुता के लिए एक कहावत प्रचलित है-
सियागां मैं सम्प घणों, दूजी जात न जोड़
सियाग चोखै दान दियो, छपन लाख करोड़
इस राज्य के प्रमुख गाँव पल्लू, दांदूसर, बीरमसर, गन्धेली, रावतसर थे।
*गोदारा पट्टी राज्य में 360 गाँव आते थे।इनकी राजधानी लादड़िया (शेखसर) थी। इनका अंतिम राजा पाण्डुजी गोदारा था। इस राज्य के प्रमुख गाँव पून्दलीसर, गुसाईंसर , शेखसर, रासीसर थे।
*सिवानी के राज्य के अधीन 160 ग्राम थे। इनकी राजधानी सिवानी थी। इनके राजा का नाम नरसिंह तोमर(जाट) था।
 
==सन्दर्भ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/जाट" से प्राप्त