"शरीर का निर्जलीकरण": अवतरणों में अंतर

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निर्जलीकरण जिसे अंग्रेजी में डिहाइड्रेशन कहते हैं, शरीर में पानी की कमी का परिणाम होता है। यह स्थिति तब पैदा होती है, जब शरीर से निकलने वाले पानी (पसीना, मल या मूत्र के रूप में) की मात्रा दिनभर में ली जाने वाली पानी की मात्रा से अधिक हो जाती है <ref>[https://medlineplus.gov/dehydration.html निर्जलीकरण]</ref>। व्यक्ति विशेष और शरीर में पानी की मौजूदगी के आधार पर यह समस्या हल्की, माध्यम और गंभीर हो सकती है <ref>[https://medlineplus.gov/ency/article/000982.htm डिहाइड्रेशन]</ref>। वहीं, पानी की आवश्यक मात्रा न मिलने की स्थिति में कभी-कभी निर्जलीकरण से मौत भी हो सकती है । साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि व्यक्ति द्वारा लिए जाने वाले खाद्य पदार्थों में मौजूद पानी के अलावा भी व्यक्ति को अतिरिक्त तरल की आवश्यकता होती है, जो उम्र, लिंग और व्यक्ति विशेष की दिनचर्या पर निर्भर करता है। इसलिए, सामान्य रूप से पुरुषों को दिन में करीब 3000 मिली (करीब 12 गिलास) और महिलाओं को करीब 2200 मिली (करीब 9 गिलास) पानी लेने की सलाह दी जाती है <ref>[https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/20356431 शरीर का निर्जलीकरण]</ref>।
[[शरीर]] से अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ समाप्त हो जाना '''जल्ह्रास''' या '''निर्जलीकरण''' ([[अंग्रेज़ी]]:''डी-हाइड्रेशन'') कहलाता है। मानव शरीर को कार्य करने के लिए निर्धारित मात्रा में कम से कम ८ गिलास के बराबर (एक लीटर या सवा लीटर) तरल पदार्थ शरीर के लिए आवश्यक होता है जो व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता और आयु पर निर्भर करता है। परंतु अधिक कार्यशील व्यक्ति को इससे दो या तीन गुना अधिक तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। साधारण मानव जो तरल पदार्थ लेते हैं, वह उस तरल पदार्थ का स्थान ले लेती है जो शारीरिक कार्य को करने के लिए आवश्यक होता है। यदि कोई शरीर की आवश्यकता से कम तरल पदार्थ लेते हैं, तब निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) हो जाता है।
 
== कारण ==
साधारण तौर पर मल, मूत्र और पसीने के रूप में हर व्यक्ति के शरीर से पानी बाहर निकलता है, जो एक सामान्य क्रिया है। शरीर में होने वाली पानी की कमी लिए जाने वाले खाद्य और तरल पदार्थों से पूरी हो जाती है, लेकिन कुछ विशेष स्थितियों जैसे - अधिक पसीना आना, बार-बार उल्टी होना व डायरिया (दस्त की समस्या) के कारण शरीर में पानी की तेजी से कमी होने लगती है। इन्हें डिहाइड्रेशन का मुख्य कारण माना गया है। इस समस्या के कुछ अन्य कारण भी हैं, जो इस प्रकार हैं <ref>[https://www.urmc.rochester.edu/encyclopedia/content.aspx?contenttypeid=85&contentid=P00828 निर्जलीकरण के कारण]</ref>।
आंतों में यदि दहन हो रहा हो या उसे नुकसान पहुंच रहा हो अथवा कीटाणु या वायरस के जमा होने की वजह से अंतड़ियां अवशोषण करने की क्षमता से अधिक तरल पदार्थ उत्पन्न कर रहा हो तब आंत के मार्ग में अधिक तरल पदार्थ निकल जाता है जिससे निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) होता है। पेय के रूप में तरल पदार्थ कम मात्र में लेने का कारण भूख न लगना या मिचली होना हो सकता है।
 
* अधिक तापमान या व्यायाम के कारण जरूरत से ज्यादा पसीना निकल जाना।
जल्ह्रास के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं :
* बुखार आने के कारण।
* कुछ विशेष दवाओं का उपयोग, जिनके कारण बार-बार पेशाब आता है।
* पानी के साथ-साथ इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम) के स्तर में कमी के कारण।
* इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम) की अधिकता भी डिहाइड्रेशन की वजह बन सकती है।
 
== लक्षण ==
1. '''जलरिक्तता या प्रांरभिक जल्ह्रास''' - यह मनुष्य को पानी न मिलने, ज्वर होने, बार बार वमन और दस्त आने से हो जाता है।
निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन ) के मुख्य लक्षणों में से एक कुछ ही दिनों में (कुछ मामलों में कुछ घंटों में) वजन का तेजी से कम होना है। 10 प्रतिशत से अधिक वजन तेजी से कम होना गंभीर लक्षण माना जाता है। इन लक्षणों को वास्तविक बीमारी से अलग करके देखना काफी मुश्किल काम है <ref>[https://files.eric.ed.gov/fulltext/EJ1187132.pdf निर्जलीकरण के लक्षण]</ref>। इसके अलावा भी कुछ लक्षण हैं, जो डिहाइड्रेशन की ओर इशारा करते हैं <ref>[https://medlineplus.gov/ency/article/000982.htm डिहाइड्रेशन]</ref>।
 
'''1. हल्के से मध्यम निर्जलीकरण के लक्षण'''
2. '''इलेक्ट्रोलाइट के कुल परिमाण में कमी तथा लवण का नि:शेषण''' (depletion) - शरीर के बाह्य कोशिकाद्रवों तथा आंतर कोशिकाद्रवों के इलेक्ट्रोलाइटों के बीच जल के निरसन या अवरोधन द्वारा सांद्रण स्थायी रखा जाता है। कुल इलेक्ट्रोलाइटों की कमी या वृद्धि से शरीर में पानी की मात्रा घटती या बढ़ती रहती है।
 
* प्यास का लगना
3. '''अतिबली विलयन (Hypertonic solution) का अंत: शिरा इंजेक्शन''' - इससे रक्त में रसाकर्षणदाब अस्थायी रूप से बढ़ जाती है और ऊतक द्रव बहकर उसमें चला जाता है। बाद में बढ़ा हुआ द्रव वृक्क द्वारा उत्सर्जित होता है और शरीर के जल में वास्तविक ह्रास होता है।
* मुंह सूखना व चिपचिपा महसूस होना
* पेशाब कम आना
* गाढ़े पीले रंग का पेशाब आना
* सूखी और ठंडी त्वचा
* सिरदर्द होना मांसपेशियों में ऐठन
 
'''2. गंभीर निर्जलीकरण के लक्षण'''
== लक्षण ==
 
निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) का विश्वसनीय लक्षण कुछ ही दिनों में वजन का तेजी से कम होना है (कुछ मामलों में कुछ घंटो में)। 10 प्रतिशत से अधिक वजन तेजी से कम होना गंभीर लक्षण माना जाता है। इन लक्षणों को वास्तविक बीमारी से अलग करके देखना काफी मुश्किल काम है। सामान्यतः निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं। अधिक प्यास लगना, मुंह सूखना, कमजोरी व चक्कर आना (विशेषकर जब व्यक्ति खड़ा होता है) मूत्र का गाढ़ा होना या कम पेशाब आना। अत्यधिक निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) शरीर का रसायन ही बदल देता है। इसमें गुर्दे खराब हो जाते हैं और ये जीवन के लिए घातक हो सकते हैं।
* पेशाब का बिल्कुल न आना या बहुत अधिक गहरे पीले रंग का आना
* सूखी और सिकुड़ी हुई त्वचा का दिखाई देना
* चिड़चिड़ापन या भ्रम की स्थिति पैदा होना
* चक्कर आना या आंखों के सामने अंधेरा छाना
* धड़कन और सांस का तेज होना
* आंखों के नीचे गड्ढे नजर आना
* बेहोश हो जाना
 
== परिणाम ==
गंभीर निर्जलीकरण होने की स्थिति में ध्यान न देने पर किडनी और दिमाग की क्षति के साथ-साथ मृत्यु भी हो सकती हैं <ref>[https://www.urmc.rochester.edu/encyclopedia/content.aspx?contenttypeid=85&contentid=P00828 निर्जलीकरण के परिणाम]</ref>।
जल्ह्रास के संभव परिणाम निम्नलिखित हैं :
 
==इलाज==
सामान्य रूप से निर्जलीकरण का इलाज <ref>[https://www.stylecraze.com/hindi/nirjalikaran-ke-karan-lakshan-aur-gharelu-upay-in-hindi/ निर्जलीकरण का इलाज]</ref> करने के लिए निम्न तरीकों को इस्तेमाल में लाया जा सकता है <ref>[https://medlineplus.gov/ency/article/000982.htm डिहाइड्रेशन का इलाज]</ref>:
 
* धीरे-धीरे पानी पिएं या बर्फ के टुकड़े को थोड़ी-थोड़ी देर के लिए मुंह में डाल कर रखें।
* जितना हो सके पानी पिएं। अधिक प्रभाव के लिए इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम) युक्त तरल का सेवन करें।
* डायरिया की समस्या होने पर खाने और पीने के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।
* नमक का अधिक प्रयोग न करें।
* निर्जलीकरण की गंभीर अवस्था में अस्पताल में निडल (IV) के जरिए शरीर में तरल पदार्थ दिया जा सकता है।
 
==बचाव==
 
निर्जलीकरण से बचाव के लिए आपको निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए <ref>[https://medlineplus.gov/ency/article/000982.htm डिहाइड्रेशन से बचाव]</ref>:
 
* अच्छी मात्रा में नियमित रूप से तरल पदार्थों का सेवन करें।
शरीर के भार में कमी, अम्ल और क्षार के संतुलन में विक्षोभ, रक्त में प्रोटोनविहीन नाइट्रोजन की वृद्धि, क्लोराइड की प्लाविका प्रोटीनसांद्रण में वृद्धि, शरीर के ताप में वृद्धि, नाड़ी में वृद्धि और हृदय निपज (output) में कमी, प्यास लगना, त्वचीय और उपत्वचीय जल्ह्रास के कारण त्वचा का ढीलापन, शुष्कता और उसमें झुर्रियाँ पड़ना तथा परिक्लांति और पात।
* बुखार या बीमारी की स्थिति में ध्यान रखें कि मरीज (खासकर बच्चे और बुजुर्ग) उचित मात्रा में पेय पदार्थ ले रहे हैं या नहीं।
* उल्टी या डायरिया होने पर अच्छी मात्रा में तरल का सेवन करें और अधिक से अधिक पानी पिएं। निर्जलीकरण होने का इंतजार न करें।
* निर्जलीकरण के संकेत दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
 
== सन्दर्भ ==<references/>
<references/>
 
== बाहरी कड़ियाँ ==