"धर्म (पंथ)": अवतरणों में अंतर

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[[File:Prevailing world religions map.png|thumb|450px|संसार के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख धर्म.]]
[[चित्र:Worldwide percentage of Adherents by Religion.png|right|Thumb|300px|प्रमुख धर्मों के अनुयायीयों का प्रतिशत]]
'''धर्म'''का (इसका अर्थया '''मज़हब नहीं ''') किसी एक या अधिक परलौकिक शक्ति में विश्वास और इसके साथ-साथ उसके साथ जुड़ी रीति, रिवाज, परम्परा, पूजा-पद्धति और दर्शन का समूह या इनसे जुड़ी मान्यताओं का कोई सरोकार नहीं है ।है।
 
इस संबंध में प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन का अभिमत है कि आज धर्म के जिस रूप को प्रचारित एवं व्याख्यायित किया जा रहा है उससे बचने की जरूरत है। वास्तव में धर्म संप्रदाय नहीं है। ज़िंदगी में हमें जो धारण करना चाहिए, वही धर्म है। नैतिक मूल्यों का आचरण ही धर्म है। धर्म वह पवित्र अनुष्ठान है जिससे चेतना का शुद्धिकरण होता है। धर्म वह तत्व है जिसके आचरण से व्यक्ति अपने जीवन को चरितार्थ कर पाता है। यह मनुष्य में मानवीय गुणों के विकास की प्रभावना है, सार्वभौम चेतना का सत्संकल्प है।