"ब्रज": अवतरणों में अंतर
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| '''क्षेत्रीय पशु'''
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| '''क्षेत्रीय वाहन'''
| [[बैलगाड़ी]]
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[[चित्र:*Bindrabun -Vrindavan-. Gate of Shet Lukhmeechund's Temple; a photo by Eugene Clutterbuck Impey, 1860's.jpg|right|thumb|300px|शेठ लक्ष्मीचन्द मन्दिर का द्वार (१८६० के दशक का फोटो)]]
वर्तमान समय में [[उत्तर प्रदेश]] के [[मथुरा]] नगर सहित वह भू-भाग, जो [[श्रीकृष्ण]] के जन्म और उनकी विविध [[लीला]]ओं से सम्बधित है, '''ब्रज''' कहलाता है। इस प्रकार ब्रज वर्तमान मथुरा मंडल और प्राचीन शूरसेन प्रदेश का अपर नाम और उसका एक छोटा रूप है। इसमें मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, महाबन, वलदेव, नन्दगाँव, वरसाना, डीग
'''ब्रज''' शब्द [[संस्कृत]] धातु 'व्रज' से बना है, जिसका अर्थ गतिशीलता से है। जहां [[गाय]] चरती हैं और विचरण करती हैं वह स्थान भी ब्रज कहा गया है। [[अमरकोश]] के लेखक ने ब्रज के तीन अर्थ प्रस्तुत किये हैं- गोष्ठ ([[गाय|गायों]] का बाड़ा), मार्ग और वृंद (झुण्ड)। [[संस्कृत]] के व्रज शब्द से ही हिन्दी का ब्रज शब्द बना है।
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कृष्ण उपासक सम्प्रदायों और ब्रजभाषा कवियों के कारण जब ब्रज संस्कृति और ब्रजभाषा का क्षेत्र विस्तृत हुआ तब ब्रज का आकार भी सुविस्तृत हो गया था। उस समय मथुरा नगर ही नहीं, बल्कि उससे दूर-दूर के भू-भाग, जो ब्रज संस्कृति और ब्रज-भाषा से प्रभावित थे, व्रज अन्तर्गत मान लिये गये थे। वर्तमान
काल में मथुरा नगर सहित मथुरा जिले का अधिकांश भाग
उक्त समस्त भू-भाग रे प्राचीन नाम, मधुबन, शुरसेन, मधुरा, मधुपुरी, मथुरा और मथुरामंडल थे तथा आधुनिक नाम ब्रज या ब्रजमंडल हैं। यद्यपि इनके अर्थ-बोध और आकार-प्रकार में समय-समय पर अन्तर होता रहा है। इस भू-भाग की धार्मिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक और संस्कृतिक परंपरा अत्यन्त गौरवपूर्ण रही है।<ref>http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/brij101.htm</ref>
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