"प्रेमचंद": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 35:
प्रेमचंद के लेख 'पहली रचना' के अनुसार उनकी पहली रचना अपने मामा पर लिखा व्‍यंग्‍य थी, जो अब अनुपलब्‍ध है। उनका पहला उपलब्‍ध लेखन उनका उर्दू उपन्यास 'असरारे मआबिद'<ref>यह उपन्‍यास उर्दू साप्‍ताहिक 'आवाजे खल्‍क' में 8 अक्‍टूबर 1903 से 1 फ़रवरी 1905 तक धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ। इसमें लेखक का नाम छपा था- मुंशी धनपतराय उर्फ नवाबराय इलाहाबादी। बाद में स्‍वयं प्रेमचंद ने इसका हिन्‍दी तर्जुमा 'देवस्‍थान रहस्‍य' नाम से किया, जो उनके पुत्र अमृतराय द्वारा उनके आरंभिक उपन्‍यासों के संकलन 'मंगलाचारण' में संकलित है।</ref> है। प्रेमचंद का दूसरा उपन्‍यास 'हमखुर्मा व हमसवाब' जिसका हिंदी रूपांतरण 'प्रेमा' नाम से १९०७ में प्रकाशित हुआ। इसके बाद प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह ''[[सोज़े-वतन]]'' नाम से आया जो १९०८ में प्रकाशित हुआ। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होने के कारण इस पर अंग्रेज़ी सरकार ने रोक लगा दी और इसके लेखक को भविष्‍य में इस तरह का लेखन न करने की चेतावनी दी। इसके कारण उन्हें नाम बदलकर लिखना पड़ा। 'प्रेमचंद' नाम से उनकी पहली कहानी ''बड़े घर की बेटी'' ज़माना पत्रिका के दिसम्बर १९१० के अंक में प्रकाशित हुई। मरणोपरांत उनकी कहानियाँ [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मानसरोवर] नाम से ८ खंडों में प्रकाशित हुईं।
१९२१ में उन्होंने महात्मा गांधी] के आह्वान पर अपनी नौकरी छोड़ दी। कुछ महीने मर्यादा पत्रिका का [[संपादन]] भार संभाला, छह साल तक [[माधुरी पत्रिका|माधुरी]] नामक पत्रिका का संपादन किया, १९३० में बनारस से अपना मासिक पत्र [[हंस (संपादक प्रेमचंद)|हंस]] शुरू किया और १९३२ के आरंभ में [[जागरण साप्ताहिक|जागरण]] नामक एक साप्ताहिक और निकाला। उन्होंने [[लखनऊ]] में [[१९३६]] में [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ] के सम्मेलन की अध्यक्षता की। उन्होंने [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/munshi-premchand-ki-kahaniya.html मोहन दयाराम भवनानी] की [[अजंता सिनेटोन कंपनी]]<ref>{{cite web |url= http://mail.sarai.net/pipermail/filmstudies/2003-July.txt|title= Premchand in Bombay|access-date=26 जून 2008|format= टीएक्सटी| publisher= सराय|language=en}}</ref> में कहानी-लेखक की नौकरी भी की। १९३४ में प्रदर्शित ''[[मज़दूर (१९३४ फ़िल्म)|मजदूर]]''<ref>{{cite web |url= http://www.imdb.com/title/tt0156780/|title= Mazdoor (1934)|access-date=26 जून 2008|format=|publisher= आई.एम.डी.बी.|language=en}}</ref> नामक फिल्म की कथा लिखी और कॉन्ट्रेक्ट की साल भर की अवधि पूरी किये बिना ही दो महीने का वेतन छोड़कर बनारस भाग आये। उन्‍होंने मूल रूप से हिंदी में १९१५ से कहानियां लिखना और १९१८ (सेवासदन) से उपन्‍यास लिखना शुरू किया।
== रचनाएं ==
=== उपन्यास ===
प्रेमचंद का पहला उर्दू उपन्यास (अपूर्ण) ‘असरारे मआबिद उर्फ़ 'देवस्थान रहस्य’ उर्दू साप्ताहिक ‘'आवाज-ए-खल्क़'’ में ८ अक्टूबर, १९०३ से १ फरवरी, १९०५ तक धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ। उनका दूसरा उपन्‍यास 'हमखुर्मा व हमसवाब' जिसका हिंदी रूपांतरण 'प्रेमा' नाम से १९०७ में प्रकाशित हुआ। चूंकि प्रेमचंद मूल रूप से उर्दू के लेखक थे और उर्दू से हिंदी में आए थे, इसलिए उनके सभी आरंभिक उपन्‍यास मूल रूप से उर्दू में लिखे गए और बाद में उनका हिन्‍दी तर्जुमा किया गया।