"पंचायतीराज में महिला सहभागिता": अवतरणों में अंतर

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== सहभागिता बढ़ाने के उपाय ==
आरक्षण के कारण सैद्धान्तिक रुप से शक्ति महिलाओं के हाथों में आ गई है। परन्तु यह भी कि आज पुरुष ही सत्ता पर वास्तविक नियन्त्रण रखे हुए है। अज्ञानता एवं अनुभवहीनता, पुरुषों पर निर्भरता महिलाओं के लिए आरक्षण को अर्थहीन बना देती है। अतः यह आवश्यक है कि महिलाओं में जागरुकता लाई जाये। उनको राजनीतिक जानकारी से अवगत करवाया जाए। जहां तक सम्भव हो उन्हे नई भूमिका को निभाने के लिए शिक्षित एवं प्रशिक्षित किया जाए। पंचायतों में कार्यरत महिलाओं को समय-समय पर नए कार्यक्रमों की जानकारी दी जाये तथा वर्तमान में चालू कार्यक्रमों में उन्हें कितने संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे है इसकी जानकारी भी दी जाए तभी वे ग्राम के लिए प्रभावशाली योजनाएं बना सकेंगी व विभिन्न कार्यक्रमों के लक्ष्य तक पहुंच पाएगी। इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायतों की कार्यप्रणाली उनकी भूमिका पर समय-समय पर मीडिया, पत्र-पत्रिकाओं द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई जाए व रेडियो, व टी.वी. प्रसारणों में वार्ताओं व विशेष रुप से ग्राम पंचायतों को ध्यान में रखकर सूचनाओं का प्रसारण किया जाना चाहिए।
 
पंचायतों में कार्यरत महिलाओं को समय-समय पर नए कार्यक्रमों की जानकारी दी जाये तथा वर्तमान में चालू कार्यक्रमों में उन्हें कितने संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे है इसकी जानकारी भी दी जाए तभी वे ग्राम के लिए प्रभावशाली योजनाएं बना सकेंगी व विभिन्न कार्यक्रमों के लक्ष्य तक पहुंच पाएगी। इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायतों की कार्यप्रणाली उनकी भूमिका पर समय-समय पर मीडिया, पत्र-पत्रिकाओं द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई जाए व रेडियो, व टी.वी. प्रसारणों में वार्ताओं व विशेष रुप से ग्राम पंचायतों को ध्यान में रखकर सूचनाओं का प्रसारण किया जाना चाहिए।
 
 
बिहार, हिमाचल प्रदेष, उŸाराखण्ड, राजस्थान और केरल जैसे राज्यों ने स्थानीय स्वषासन की संस्थाआंे में महिलाओं के 50 प्रतिषत प्रतिनिधित्व को सुनिष्चित किया है जो महिला सषक्तिकरण की दिषा में अनुकरणीय पहल है।
 
अतः महिलाओं को जागरुक बनाने तथा सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए संविधान का 73 वां संशोधन इस क्षेत्र में उठाया गया एक ठोस कदम है इसके अतिरिक्त अभी महिलाओं के और हितों की बात की करनी होगी। जिससे हमारा राष्ट्र नित नए विकास के पायदानों पर निरन्तर अग्रसर हो। गांधीजी ने स्वयं कहां था कि ’’ सच्चा लोकतंत्र इसमें नही है कि शिखर पर बैठे कुछ लोग उसका संचालन करें, बल्कि इसे प्रत्येक गांव के लोग महिलाएं की सहभागिता सुनिचिश्चत हो के द्वारा निचले स्तर से नीति प्रदान की जानी चाहिए। विकेन्द्रीकरण की यह अवधारण निश्चित रुप से भारतीय जीवन पद्धति में ’’प्रजा सुखे सुखम राज्ञः प्रजानाम्  हिते हित’’ की उक्ति को साकार रुप प्रदान करती है।
 
पंचायत व्यवस्था मूलतः स्वशासन तथा सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। जिसमें कि व्यवस्था में संरचनात्मक तथा प्रकार्यात्मक दोनों दृष्टियों से जो परिवर्तन किए गए वे निश्चित रुप से न केवल विकेन्द्रीकरण की दिशा में वरन् महिलाओं की स्थिति को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।
 
[[श्रेणी:पंचायत]]