"अक्षांश रेखाएँ": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Latitude and longitude graticule on a sphere.svg|right|thumb|300px|इस चित्र में धरती को एक गोला मानते हुए दिखाया गया है कि किस प्रकार किसी स्थान के '''अक्षांश''' (<math>\phi</math>) और '''रेखांश''' (<math>\lambda</math>) परिभाषित किए जाते हैं।]]
अक्षांश, [[भूमध्य रेखा|भूमध्यरेखा]] से किसी भी स्थान की उत्तरी अथवा दक्षिणी ध्रुव की ओर की कोणीय दूरी का नाम है। भूमध्यरेखा को ''0°''' की अक्षांश रेखा माना गया है। भूमध्यरेखा से उत्तरी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ उत्तरी अक्षांश और दक्षिणी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ दक्षिणी अक्षांश में मापी जाती है। ध्रुवों की ओर बढ़ने पर भूमध्यरेखा से अक्षांश का मान बढ़ता है और ध्रुवों का अक्षांश मान 90° है। सभी अक्षांश रेखाएँ परस्पर समानान्तर और पूर्ण [[वृत्त]] होती हैं। ध्रुवों की ओर जाने से वृत्त छोटे होने लगते हैं।
दो अक्षांश रेखाएँ के बीच में जो स्थान पाया जाता है उस स्थान को जोन कहते हैं।[[https://www.gyaanigk.in/2020/04/gk-for-latitude-and-longitude-pdf-Hindi.html]]
पृथ्वी के किसी स्थान से [[सूर्य]] की ऊँचाई उस स्थान के अक्षांश पर निर्भर करती है। न्यून अक्षांशों पर दोपहर के समय सूर्य ठीक सिर के ऊपर रहता है। पृथ्वी के तल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों की गरमी विभिन्न अक्षांशों पर अलग अलग होती हैं। पृथ्वी के तल पर के किसी भी देश अथवा नगर की स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश और देशांतर के द्वारा ही किया जाता है।
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